घाटशिला कॉलेज में युवा कैरियर पर व्याख्यान
30% अध्ययन और 70% अनुभव ही जीवन को सार्थक बनाता है-
नवीन चौधरी
राष्ट्र संवाद संवाददाता
घाटशिला
अगर हम अपने जीवन का सम्यक विश्लेषण करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है की पाठ्यक्रम या प्रशिक्षकों के माध्यम से हम अपने जीवन में केवल 30% ही सीख पाते हैं। जीवन का अनुभव हमें 70% सीखना है। इसलिए अगर हमें अपने करियर में सफल होना है और जीवन में पूर्णता प्राप्त करनी है तो अध्ययन और अनुभव का समावेश करना होगा। हम क्या बनना चाहते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। हम किसी और की उपलब्धि को अपना आदर्श बनाकर अगर स्वयं को विकसित करने की चेष्टा करेंगे तो वह उपलब्धि हासिल नहीं हो पाएगी, जो हम चाहते हैं। हमें तो खुद से बेहतर होना है।
खुद से ही प्रतियोगिता करनी है। आज से अधिक कल करूंगा इसके बारे में सोचना है। यह सारी बातें देश के जाने-माने कैरियर सलाहकार और खुद से बेहतर करियर काउंसलिंग की पुस्तक के लेखक दिल्ली से आए नवीन चौधरी ने कहा। वे गुरुवार को घाटशिला कॉलेज, घाटशिला के बच्चों को करियर काउंसलिंग की टिप्स दे रहे थे।
श्री चौधरी की दो उपन्यासों की भी काफी चर्चा है। ढाई चाल और जनता स्टोर। इन उपन्यासों में भी इन्होंने राजनीति मीडिया आदि को इसके प्रभाव और संजाल के माध्यम से समझने की चेष्टा की है।
साहित्य कला फाउंडेशन और घाटशिला कॉलेज, घाटशिला के साहित्य कला परिषद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम कॉलेज के प्राचार्य डॉ आर के चौधरी ने श्री नवीन चौधरी के साथ उपस्थित विशिष्ट अतिथि कोल्हन विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ बी के सिंह और एबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य एवं जाने-माने साहित्यकार डॉ अशोक कुमार झा तथा साहित्य कला फाउंडेशन के ट्रस्टी बृजेश कुमार मिश्रा का अंगवस्त्र देकर सम्मान किया।
स्वागत करते हुए उन्होंने आशा व्यक्त किया कि घाटशिला कॉलेज के अनुशासित छात्र छात्राएं करियर काउंसलिंग की टिप्स प्राप्त कर उसे अपने जीवन में धारण करेंगे और लाभ उठाएंगे। उन्होंने साहित्य कला फाउंडेशन के ब्रजेश मिश्रा का भी स्वागत किया और आभार प्रकट किया कि उनके साथ मिलकर महाविद्यालय परिवार साहित्य और कला के क्षेत्र में कई कार्यक्रमों का आयोजन करने का अवसर प्राप्त करेगी। जिससे छात्रों में साहित्य के प्रति रुचि में वृद्धि होगी।
हिंदी विभाग के डॉ दिलचंद राम ने खुद से बेहतर पुस्तक में अंग्रेजी शब्दावलियों के प्रयोग पर लेखक से प्रश्न पूछा और यह जानना चाहा की हिंदी की पुस्तक होते हुए अंग्रेजी के 13 पारिभाषिक शब्दों का उपयोग किया जाना कितना उचित है जबकि पूरे टिप्स ही 15 है। नवीन चौधरी ने इसका जवाब देते हुए बताया कि यह साहित्य की पुस्तक नहीं है। यह करियर की पुस्तक है और जिसमें प्रचलित शब्दों के साथ ही बच्चे अपना तादात्म्य जोड़ पाते हैं। इसकी हिंदी पारिभाषिक शब्द और भी कठिन है। कई बच्चों ने करियर से संबंधित प्रश्न किया।
डॉ अशोक कुमार झा ने बच्चों को करियर की अनिश्चिता के संबंध में बताते हुए कहा कि आज हम अगर अपना पाठ्यक्रम पूरा करते हैं तो कल निश्चित रूप से जो भी कार्य का अवसर होगा उसमें बेस्ट हम अपने हिस्से में कर पाएंगे। कल कंप्यूटर का क्रेज था आज आई का क्रेज है। कल नहीं रहेगा। सीमा पर पहले जवानों की जरूरत होती थी अब रोबोट की जरूरत होगी तो नौकरियों के अवसर बदलते रहेंगे। नौकरियां जरूर रहेगी परंतु क्षेत्र बदल जाएंगे। इसलिए आज 5 साल आगे की हम सोच कर निर्णय नहीं ले सकते हैं। परंतु आज जो हमारा पाठ्यक्रम है उसे सत प्रतिशत पूरा कर भविष्य की संभावनाओं के द्वारा खोले जा सकते हैं।
इस कार्यक्रम में कोल्हान विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी डॉ बी के सिंह को 146 बार रक्तदान करने पर उन्हें सम्मानित किया गया। साहित्य कला परिषद, घाटशिला कॉलेज, घाटशिला के संयोजक डॉ संदीप चंद्र ने धन्यवाद ज्ञापन किया और साथ में मिलकर और भी कई कार्यक्रमों के आयोजन की बात कही। करियर काउंसलिंग के कार्यक्रम का प्रभावी संचालन कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव एवं घाटशिला कॉलेज, घाटशिला के राजनीतिक विज्ञान के अध्यक्ष प्रो इंदल पासवान ने किया। इस अवसर पर काफी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।