उमर को जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द बहाल किए जाने की उम्मीद
श्रीनगर: मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार का पहला काम लोगों की आवाज बनना होगा। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर लंबे समय तक केंद्र शासित प्रदेश नहीं रहेगा और जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल कर लेगा।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से कुछ घंटे पहले, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा कि गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के साथ सब कुछ ठीक है और उनकी पार्टी मंत्री पदों को भरने के लिए अपनी सहयोगी पार्टी और अपनी टीम के साथ बातचीत कर रही है।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनकी सरकार की जनता के प्रति जिम्मेदारी है। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमें लोगों की समस्याओं को दूर करने के वास्ते काम करने के लिए जनादेश मिला है और हम पहले दिन से यही करना चाहते हैं।’’
नेकां और उसके गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के बीच अनबन की खबरों पर उमर ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘नहीं, सब ठीक क्यों नहीं है। अगर सब ठीक नहीं है, तो (मल्लिकार्जुन) खरगे (कांग्रेस अध्यक्ष), राहुल (गांधी) और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता यहां क्यों आ रहे हैं। यहां उनकी मौजूदगी इस बात को दर्शाती है कि गठबंधन मजबूत है और हम (जम्मू-कश्मीर के) लोगों के लिए काम करेंगे।’’
अपने मंत्रिमंडल में कांग्रेस के किसी विधायक को शामिल न किए जाने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस मंत्रिमंडल से बाहर नहीं है।
यह याद दिलाते हुए कि मुफ्ती सईद सरकार में सभी विधायकों को मंत्री पद मिला था, उन्होंने कहा, ‘‘यह कांग्रेस को तय करना है। हम उनके साथ चर्चा कर रहे हैं। हमारी चर्चा मुख्य रूप से इस बात पर केंद्रित है कि एक सदन की व्यवस्था वाले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में, हमारे पास उच्च सदन नहीं है। इसलिए, सरकार का आकार बहुत सीमित है। वे दिन चले गए जब आप 40 या 45 मंत्री देखते थे।’’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘इस बार ऐसा नहीं है। इसलिए मैं मंत्रिपरिषद में सभी नौ रिक्तियों को नहीं भरूंगा… इसलिए सभी रिक्तियों को नहीं भरा जाएगा, कुछ रिक्तियों को धीरे-धीरे भरा जाएगा जैसा कि मैंने कहा कि हम कांग्रेस के साथ-साथ अपनी टीम से भी बातचीत कर रहे हैं। देखते हैं, आगे क्या निर्णय होता है।’’
कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसने जम्मू-कश्मीर की नवगठित सरकार की मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होने का फैसला किया है क्योंकि पार्टी इस बात से ‘‘नाखुश’’ है कि केंद्र शासित प्रदेश का, पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया गया।
अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर 2018 से बिना निर्वाचित सरकार के है, इसलिए लोकतंत्र के बिना यह एक लंबा अंतराल रहा है और जनता ने महसूस किया कि उनकी ‘‘आवाज उठाने वाला नहीं है।’’
नेकां नेता ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पहला काम जो इस सरकार को करना चाहिए, वह है जम्मू-कश्मीर की जनता की आवाज बनना। जनता को महसूस होना चाहिए कि वे इस सरकार का हिस्सा हैं, उन्हें महसूस होना चाहिए कि उन्हें आवाज उठाने का मौका दिया जा रहा है और हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी आवाज सुनी जाए। हम उनकी आवाज को दबा नहीं सकते।’’
उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया के माध्यम से लोगों की आवाज बुलंद होती है और बिना कार्यशील मीडिया के आप लोकतंत्र नहीं बना सकते।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘एक मजबूत लोकतंत्र के लिए मीडिया की एक मजबूत संस्था की आवश्यकता होती है और मैं इसके लिए प्रतिबद्ध हूं।’’
आगे की चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक मिलीजुली स्थिति है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार में पीढ़ीगत बदलाव को लेकर, एक नयी टीम के आने के लिए एक असाधारण मौका है और हम केंद्र शासित प्रदेश हैं इसलिए यह पता लगाने का एक मौका है कि यहां कैसे काम होता है। यह लोगों की ओर से एक नया जनादेश है। बहुत सारी चुनौतियां हैं, लेकिन यह एक असाधारण मौका भी है, इस मौके को व्यर्थ जाने देना एक अपराध होगा।’’
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जैसे ‘हाफ स्टेट’ (दिल्ली विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश है जहां मुख्यमंत्री के पास समिति शक्तियां है) की सत्ता संभालने के अपने अनुभव को उमर के साथ साझा करने की इच्छा व्यक्त की है। इस पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मुझे बहुत कुछ सीखना है। मैंने छह साल में बहुत कुछ सीखा है, कुछ गलतियां की हैं और अब मैं उन गलतियों को नहीं दोहराना चाहता क्योंकि मूर्ख ही बार-बार वही गलतियां दोहराता है।’’
उन्होंने कहा, ‘मैं निश्चित रूप से ऐसा नहीं कर रहा हूं। लेकिन कोई भी व्यक्ति परिपूर्ण नहीं होता इसलिए हर दिन सीखने का अवसर होता है। इस देश में सत्ता संभालने का अनुभव रखने वाले हर व्यक्ति से कोई न कोई सीखेगा। लेकिन मैं फिर से अपनी बात रखता हूं। मेरा ईमानदारी से मानना है कि हम लंबे समय तक केंद्र शासित प्रदेश नहीं रहेंगे। इसलिए यह तथाकथित ‘हाफ स्टेट’ अस्थायी चरण है और हम जल्द ही पूर्ण राज्य बन जाएंगे।’’
अब्दुल्ला ने अनुच्छेद-370 को निरस्त करने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने इससे पहले 2008 से 2014 तक पूर्ववर्ती राज्य की सत्ता संभाली थी।
जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में हमारा दर्जा अस्थायी है। हमें भारत सरकार, खासकर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और अन्य से वादा मिला है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा और हमें उम्मीद है कि यह जल्द से जल्द होगा।’’
पूर्ण राज्य के दर्जे पर सांसद शेख रशीद के बयान पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उनसे कुछ सीखने की जरूरत नहीं है। लोग जानते हैं कि वह कौन हैं… मैं उन सभी बातों को नजरअंदाज कर रहा हूं जो उन्होंने किसी के कहने पर कहीं। जनता ने अपनी बात कह दी है और उन्हें लोगों के जनादेश का सम्मान करना चाहिए।’’