नज़र आई चाँद, कल होगी ईद की खुशियाँ
संवादाता – ए बी सिद्दीकी
आज रात चाँद के दिखाई देने के साथ ही पूरी मुस्लिम दुनिया में ईद की खुशी का माहौल बन गया। इस महीने की समाप्ति और रमजान के पवित्र माह के बाद मुसलमानों का सबसे बड़ा पर्व ईद-उल-फित्र पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता है। चाँद के दिखाई देने की खबर जैसे ही आई, पूरे शहर में उत्साह का माहौल बन गया। लोग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देने के लिए फोन पर और सोशल मीडिया पर संदेश भेजने लगे। चाँद को देखकर उनकी आँखों में मुस्कान और दिलों में खुशी की लहर दौड़ गई।
ईद का पर्व सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। यह दिन है जब मुस्लिम समुदाय अपने अच्छे आचरण, परिश्रम, और उपवास की समाप्ति पर खुशी मनाता है। रमजान के महीने में मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं, और यह विशेष पर्व उन्हें एक नई ऊर्जा और आशा के साथ पुनः शुरू करने का अवसर प्रदान करता है।पारंपरिक रूप से, ईद के दिन चाँद का दीदार होने के बाद मुसलमानों में त्योहार की शुरुआत मानी जाती है। रविवार की रात को जब चाँद दिखाई दिया, तो विभिन्न मस्जिदों और इस्लामिक संगठनों ने इसे आधिकारिक रूप से पुष्टि कर दी। शहरभर में इस ख़बर के बाद हर घर में खुशियाँ मनाई जाने लगीं। रातभर मस्जिदों में लोग इकट्ठा हुए और एक दूसरे को मुबारकबाद दी। शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक, हर स्थान पर ईद की तैयारियाँ जोरों पर थीं। खासकर बच्चों में विशेष उत्साह था, क्योंकि वे नए कपड़े पहनने और ईदी प्राप्त करने के लिए इंतजार कर रहे थे। ईद के दिन सुबह-सुबह मस्जिदों में नमाज़ के लिए लोग एकत्रित होने लगे। सुबह की पहली ताजगी और ठंडक में ईद की नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिदों के बाहर लंबी कतारें लगीं। हर एक व्यक्ति की आँखों में विशेष प्रकार की श्रद्धा और भक्ति थी। यह नमाज़, जिसे विशेष रूप से ईद की नमाज़ कहा जाता है, दो रकातों में अदा की जाती है और इसमें विशेष दुआएं होती हैं। नमाज़ के बाद लोग एक दूसरे से गले मिलते हैं और ईद की खुशियाँ बाँटते हैं। मस्जिदों के इमाम ने विशेष दुआ मांगी, जिसमें देश की समृद्धि, भाईचारे, और शांति की कामना की गई। ईद का यह पर्व एकता, प्रेम और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। ईद-उल-फित्र के दिन विशेष दान (जकातुल फितर) देने का महत्व होता है, जिसे गरीबों और जरूरतमंदों को दिया जाता है। इस दिन को मुसलमान इस तरह मनाते हैं कि सभी लोग एक-दूसरे के साथ खुशी बाँटें, विशेषकर वे जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ईद के दिन घरों में विशेष पकवानों की तैयारी होती है। महिलाएँ सुबह से ही रोटियाँ, सिवईं, मिठाइयाँ और अन्य पारंपरिक व्यंजन बनाती हैं। घर के आंगन में हंसी-खुशी का माहौल होता है। बच्चे नए कपड़े पहनते हैं और उनके चेहरे पर खुशी और उत्साह साफ दिखाई देता है। खासकर सिवईं का स्वाद और मीठे पकवानों का स्वाद पूरे परिवार को एक साथ जोड़ता है। हर घर में चाय, हलवा, बिरयानी, समोसे, और अन्य स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं। यह दिन खाने-पीने और अपने प्रियजनों के साथ खुशी मनाने का होता है। खुशहाली का यह माहौल हर किसी को एक साथ बांधता है। चाहे वह बड़े हों या छोटे, सब एक साथ मिलकर यह दिन मनाते हैं। इस दिन को खास बनाने के लिए महिलाएँ और बच्चे अपने घरों की सजावट भी करते हैं। रंगीन दीपों, गुब्बारों और विशेष सजावट से घरों को सजाया जाता है। ईद के मौके पर बाजारों में भी एक अलग ही रौनक़ देखने को मिलती है। बाजार में भारी भीड़ होती है, जहां लोग नए कपड़े, जूते, और अन्य उपहार खरीदने के लिए उमड़ते हैं। दुकानदार भी इस दिन के लिए विशेष छूट और ऑफ़र रखते हैं। बच्चे और युवा अपने पसंदीदा कपड़े खरीदने के लिए अपने माता-पिता से पैसे मांगते हैं। वहीं, बाजारों में रंग-बिरंगे उपहार, खिलौने और ईद के विशेष उत्पाद भी बिकते हैं। कई स्थानों पर ईद मेलों का आयोजन भी किया जाता है, जहां लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। इस दिन महिलाएँ और बच्चे बाजारों में रौनक़ लाते हैं, जहां रंग-बिरंगे कपड़े और खूबसूरत गहनों की दुकानें आकर्षण का केंद्र बन जाती हैं। इस दिन को खास बनाने के लिए लोग अपनी पूरी कोशिश करते हैं, ताकि वे इस पल का पूरा आनंद उठा सकें। बाजार में रौनक़ और खुशहाली का यह माहौल हर व्यक्ति को एक-दूसरे से जोड़ता है। ईद का दिन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस दिन मुसलमान सिर्फ अपने परिवार के साथ ही नहीं, बल्कि अपने आसपास के सभी लोगों के साथ खुशियाँ बाँटते हैं। एक दूसरे को मुबारकबाद देने, उपहार देने और एक-दूसरे का ख्याल रखने की परंपरा होती है। यह दिन एकता और सौहार्द का संदेश देता है, जिसमें हर व्यक्ति का मानवीय बंधन मजबूत होता है। समाज में प्रेम, सहनशीलता और भाईचारे का संदेश फैलता है।
ईद का पर्व हमें यह सिखाता है कि धर्म और जाति से ऊपर उठकर हमें सभी मानवता के लिए प्यार और सम्मान का व्यवहार करना चाहिए। यह दिन हर किसी के दिल में दया, सहानुभूति और एकता का संदेश छोड़ता है। इस दिन समाज में एकजुटता का माहौल होता है, और लोग एक-दूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं। ईद-उल-फित्र का पर्व इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है, जो समाज में भाईचारे और प्रेम को बढ़ावा देता है। चाँद के दिखाई देने के साथ ही इस दिन की शुरुआत होती है, जो पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए एक खुशी का अवसर होता है। इस दिन की खासियत यह है कि यह पर्व केवल व्यक्तिगत खुशी का नहीं होता, बल्कि यह समग्र मानवता और एकता का प्रतीक बनता है।
ईद का पर्व हर दिल को एक साथ लाता है और हम सभी को यह सिखाता है कि जीवन में जितनी अहमियत रिश्तों की है, उतनी ही अहमियत समाज में प्रेम और एकता की भी है।