चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना में आउटसोर्सिंग विवाद: कर्मचारियों में असंतोष, गुणवत्ता और सुरक्षा पर उठे सवाल
ओम प्रकाश शर्मा: चित्तरंजन : लोकोमोटिव वर्क्स (CLW) में कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों की आउटसोर्सिंग के निर्णय ने कर्मचारियों में असंतोष पैदा किया है। CLW के जनरल सेक्रेटरी इंद्रजीत सिंह ने मुख्य विद्युत अभियंता को एक पत्र लिखकर इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। शॉप नंबर 16 और 19 में पेंटिंग, पाइपिंग, केबल बिछाने और उपकरण लगाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को निजी एजेंसियों को सौंपा गया है। यह निर्णय विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि CLW के मौजूदा कर्मचारी इन कार्यों को कुशलतापूर्वक कर रहे थे। CLW ने पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22) में 486 लोकोमोटिव का उत्पादन किया, जो रेलवे बोर्ड के 485 के लक्ष्य से अधिक था। इसके बाद, वर्तमान वित्त वर्ष (2023-24) में CLW ने 540 लोकोमोटिव का महत्वाकांक्षी लक्ष्य एक महीने पहले ही, 29 फरवरी 2024 को, हासिल कर लिया। शॉप नंबर 16 के कर्मचारियों ने पेंटिंग और पाइपिंग का मासिक लक्ष्य 24 से बढ़ाकर 30 तक पूरा किया है। जुलाई में पाइपिंग विभाग ने 32 लोकोमोटिव का रिकॉर्ड उत्पादन किया। इन उपलब्धियों के बावजूद, 125 लोकोमोटिव सेट के लिए पाइपिंग और 25 लोकोमोटिव सेट के पेंटिंग का काम आउटसोर्स किया गया है। इसी तरह, शॉप नंबर 19 के कर्मचारी केबल बिछाने और उपकरण लगाने का काम करने में सक्षम हैं, फिर भी 75 लोकोमोटिव के लिए यह काम भी आउटसोर्स किया जा रहा है। CLW कर्मचारियों और निजी एजेंसियों द्वारा एक साथ काम करने से कार्यस्थल पर असहज माहौल बन गया है। यह स्थिति न केवल कुशल कार्यबल की क्षमताओं को कमतर आंकती है, बल्कि संसाधनों के उचित उपयोग पर भी सवाल उठाती है। श्री सिंह ने इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं, जिनमें कर्मचारियों का तीन शिफ्ट में अधिकतम उपयोग, गुणवत्तापूर्ण सामग्री की आपूर्ति, और रिक्त पदों को भरना शामिल है। आउटसोर्सिंग से CLW के कर्मचारियों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है। निजी एजेंसियों द्वारा किए गए कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि CLW के अनुभवी कर्मचारियों के पास इस क्षेत्र में दशकों का अनुभव है। बाहरी कर्मियों के प्रवेश से कारखाने की सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, जो रेलवे जैसे संवेदनशील क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है। आउटसोर्सिंग से CLW में विकसित विशेष तकनीकी ज्ञान और कौशल का बाहरी एजेंसियों को अवांछित हस्तांतरण हो सकता है। विभिन्न श्रम संगठन इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं और इसे श्रमिकों के अधिकारों पर हमला मान रहे हैं। यह कदम सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के विपरीत प्रतीत होता है, जो घरेलू उत्पादन और कौशल विकास को बढ़ावा देने पर जोर देती है। आउटसोर्सिंग से CLW की आंतरिक क्षमताओं पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो भविष्य में इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर सकता है। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि आउटसोर्सिंग के बजाय, CLW को अपने कर्मचारियों के कौशल उन्नयन और आधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षण पर ध्यान देना चाहिए। कर्मचारी संघ आउटसोर्सिंग निर्णय की प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं और इस मुद्दे पर एक खुली चर्चा चाहते हैं। स्थानीय राजनीतिक नेताओं ने भी इस मुद्दे पर ध्यान दिया है और CLW प्रबंधन से कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने का आग्रह किया है। CLW प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि वे इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करें और कर्मचारियों की क्षमताओं का बेहतर उपयोग करके लोकोमोटिव उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करें। यह विवाद भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों के बीच कर्मचारियों के हितों के संरक्षण के महत्व को रेखांकित करता है।