नई दिल्ली. राज्यों की सड़कों को नेशनल हाईवे अथारिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) टेकओवर नहीं करेगा. सड़क परिवहन एवं राज्यमार्ग मंत्रालय ने इस संबंध में फैसला लिया है. यानी जो एनएच अथारिटी स्वयं बनाएगा, उसकी ही देखरेख करेगा. उल्लेखनीय है कि एनएचएआई अभी तक देश के तमाम राज्यों के हाईवे को टेकओवर करता था और उसे नेशनल हाईवे बनाता था, जिससे उनकी देखरेख बेहतर होती थी और लो
गों को आवागमन आसान होता था. लेकिन सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने फैसला लिया है कि किसी भी राज्य के नए हाईवे का टेकओवर नहीं करेगा. मंत्रालय ने बताया यह है कारण मंत्रालय के अनुसार राज्य के हाईवे को नेशनल हाईवे का दर्जा देने के बाद उसे एनएच के मानकों के अनुसार बनाना होता है. कई बार यह हाईवे शहरों के अंदर से गुजरते हैं, जिससे चौड़ा करने में परेशानी होती थी. कई बार तरह की बाधाएं आती हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. मंत्रालय के अनुसार अगर किसी शहर में ऐसी जरूरत महसूस की गयी तो वहां पर ग्रीन फील्ड हाइवे का निर्माण करना ज्यादा बेहतर होगा और आसानी से निर्माण कराया जा सकता है. दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है. यहां पर 6,331,791 किलोमीटर सड़कों का नेटवर्क है. इसमें 1,45,240 किमी नेशनल हाईवे यानी एनएच है. जिससे 40 फीसदी ट्रैफिक चलता है. एनएच की देखरेख एनएचएआई करता है. देशभर में कुल 599 नेशनल हाईवे हैं. भारत में सड़क व्यवस्था को मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बांटा गया है. इनमें नेशनल हाईवे, एक्सप्रेस-वे और स्टेट हाईवे शामिल हैं. नेशनल हाईवे को केंद्र सरकार की ओर से वित्तपोषित किया जाता है. इस तरह घोषित होता था एनएच अगर किसी राजकीय राजमार्ग या एक्सप्रेसवे को एनएच का दर्जा देना होता है तो प्रदेश सरकार को केंद्र से अनुमति मांगनी होती है. राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा-2 के तहत केंद्र सरकार किसी सड़क को एनएच घोषित करती है