साहित्य और कला ने मानवता को बचा के रखा है, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- इसमें मानवता का सही आईना दिखता है
भोपाल. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 3 अगस्त को भोपाल के रवींद्र भवन में अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव उत्कर्ष और उन्मेष का शुभारंभ किया. उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव का शुभारंभ किया. इस मौके राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि साहित्य एवं कला के इस महासंगम में उपस्थित होकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं. राष्ट्रपति बनने के बाद मेरी मप्र की यह पांचवी यात्रा है. मैं राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे ज्यादा मप्र ही आई हूं. उत्कर्ष – उन्मेष कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी के लिए मैं मध्य प्रदेश सरकार की तारीफ करती हूं. साहित्य और कला ने मानवता को बचा के रखा है. साहित्य और कला मानवता को सही आईना दिखाते हैं. ग्लोबल कम्यूनिटी को कला और साहित्य मजबूती प्रदान करता है. उन्मेष का अर्थ का जाग्रति और उन्नति भी है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सबसे ज्यादा जनजातियों के लोग मध्य प्रदेश में ही रहते हैं. इसलिए यहां यह आयोजन तर्कपूर्ण और भाव संगत भी है. मुझे हाल ही मैं जनजातीय समुदाय के लोगों को सम्मानित करने का अवसर मिला. साहित्य लोगों को आपस में जोड़ता भी है और जुड़ता भी है. आज 140 करोड़ देशवासियों का मेरा परिवार है. मेरा परिचय ज्यादा संथाली भाषा से रहा है. मैं चाहूंगी कि संथाली साहित्य का ज्यादा से ज्यादा अनुवाद दूसरी भाषाओं में किया जाए. अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव उन्मेष का यह दूसरा आयोजन है. पहला उत्सव शिमला में हुआ था.
कला-साहित्य इंसान को मानसिक रूप से सुखी करते हैं- सीएम
इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है. ये वो धरती है जिसने विश्व का सब एक है का मंत्र दिया. हम केवल केवल भोजन से खुश नहीं हो सकते. मनुष्य को सम्पूर्ण रूप से सुखी करना है तो मानसिक रूप से सुखी रखना होगा. यह कला व साहित्य के माध्यम से ही संभव है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद देना चाहता हूं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह एक नया दौर है. स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के राष्ट्रपति खुद झाड़ू लगाती हैं. हमारे समाज और देश के लिए उत्कर्ष और उन्मेष जैसे आयोजन बहुत जरूरी हैं. इस तरह के आयोजन साहित्यकारों को एक मंच देते हैं. सीएम चौहान ने कहा कि मप्र की धरती पर अनेक साहित्यकार और कलाकारों ने जन्म लिया है. मैं इस माटी को नमन करता हूं. देश के कई जाने माने पत्रकार, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस धरती पर जन्म लिया. कला, साहित्य और संगीत में वह ताकत है जो विश्व को एक रख सकता है.