प्रदीप कुमार नायक की रिपोर्ट
राजनगर ,मधुबनी : जयनगर -दरभंगा रेल खंड के राजनगर रेलवे स्टेशन स्थित पानी टंकी करीब दो दशक से बन्द पड़ी है!फलत :इस भीषण गर्मी में यात्रियों कों पेयजल के लिए चापाकल चलाना पड़ता है!राजनगर रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन एक हजार से ज़्यादा यात्री टिकट कटाकर यात्रा करते है, इससे रेलवे कों प्रतिदिन करीब डेढ़ से दो लाख रूपये की आय हो रही है!किन्तु पुरे रेलवे परिसर में सिर्फ एक चापाकल है!जहाँ दिनभर पेयजल के लिए यात्रियों की भीड़ लगी रहती है!खासकर ट्रेनों के आगमन पर यात्री इस गर्मी में वाटर बोतल लेकर चापाकल पर दौड़ पड़ते है!जबकि जलापूर्ति करीब 25 साल से बन्द है!रेलवे ने उसे चालू करने का कोई प्रयास अभी तक नहीं किया है!रेलवे स्टेशन का टेलीफ़ोन नंबर भी ख़राब पड़ा है!यहाँ टेलीफोन द्वारा सूचना देने की व्यवस्था भी नहीं है!स्टेशन परिसर में न तों प्रयाप्त शेड है न चापाकल!फलत :यात्रियों कों इस गर्मी में काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है!
इस रेल खंड में रेल गाड़ियों की संख्या काफ़ी कम होने के बावजूद यहाँ से रेलवे कों अच्छी आय होती है!यह रेलवे नेपाल से सटे होने के कारण और लौकहा, लदनीया, लौकही, बाबूबरही, खुतौना, फूलपरास जैसे क्षेत्रों का एक मात्र रेलवे स्टेशन भी राजनगर ही है!इसके बाद भी रेल विभाग के अनदेखी के कारण इस रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है!अमान परिवर्तन के क्रम में नयी रेल पटरी बिछाये जाने के बाद प्लेटफार्म की चौडाई और ऊचाई काफ़ी कम हो गई है!जिसके कारण प्लेटफार्म यात्रियों कों ट्रैन में चढने और उतरने में काफ़ी दिक्क़त होती है!कभी -कभी तों यात्री ट्रैन से गिर कर दुर्घटना के शिकार हो जाते है! ट्रैन के आने के बाद ट्रेन से उतरने वाले तथा चढने वाले यात्रियों के बीच टकराने की नौबत आम बात हो गई है!इस क्रमे कई यात्री ट्रेन पर सवार होने से वंचित हो जाते है!यहाँ का प्रतीक्षालय भवन भी काफ़ी छोटा है जहाँ पंखे की व्यवस्था भी प्रयाप्त नहीं है!इस परिसर में सफाई का भी घोर अभाव देखा जा सकता है!रेलवे के कई भूमि अतिक्रमण का शिकार होकर रह गया है!कई लोगों ने रेलवे के भूमि में जबरदस्ती दुकान खोल लिया है, जहाँ सड़क पर यात्रिओ कों आने जाने में भी काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है!