झारखण्ड में भोगता जाति का अस्तित्व खतरे में,केंद्र की भाजपा सरकार रच रही है षड्यंत्र:सत्यानन्द भोगता
अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में शामिल हो जाने से भोगता समाज चुनाव से हो जायेगा वंचित
चतरा,09 फ़रवरी। सूबे के श्रम नियोजन प्रशिक्षण सह कौशल विकास मंत्री सत्यानन्द भोगता ने राज्य में भोगता जाति का अस्तित्व खतरे में बताया है। उन्होंने इस आशय की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है। उन्होंने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार भोगता समाज को अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में शामिल कर उनका अस्तित्व मिटाना चाहती है। भोगता समाज को अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए जनजातीय मंत्रालय,भारत सरकार के मंत्री अर्जुन मुण्डा के द्वारा लोक सभा एवं राज्य सभा में बिल पेश किया गया है। भोगता जाति छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम-1908 (सीएनटी एक्ट1908) से भोगता जाति अनुसूचित जाति में हैं। 309,शिड्यूल कास्ट गवर्मेंट ऑफ इंडिया 1936 गैजेट में भोगता जाति अनुसूचित जाति में है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में देश आजाद हुआ एवं 1950 से देश का संविधान लागु हुआ। झारखण्ड राज्य में अनुसूचित जाति को सूची-3 में सूचीबद्ध किया गया है। भोगता जाति के लोग वर्ष 1985 से लगातार अब तक बिहार विधान सभा से झारखण्ड विधान सभा तक विधायक बनते आ रहें हैं एवं समाज का प्रतिनिधित्व करते आये हैं। वर्ष 2019 के झारखण्ड विधान सभा के चुनाव में सिमरिया विधान सभा से वर्तमान विधायक गणेश गंझू भारतीय जनता पार्टी से थे। वर्ष 2014 से 2019 तक चतरा विधान सभा से श्री जय प्रकाश सिंह भोगता भारतीय जनता पार्टी से विधायक थे। वर्ष 2019 में दोनों व्यक्तियों का टिकट भाजपा पार्टी ने काट दिया। इससे स्पष्ट है कि भाजपा पार्टी भोगता जाति के अस्तित्व को समाप्त करना चाहती । उन्होंने कहा कि भोगता जाति के अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में शामिल हो जाने से भोगता समाज चुनाव से वंचित हो जायेगा। पलामू प्रमण्डल एवं चतरा प्रमण्डल में एक भी आदिवासी सीट नहीं है। भोगता जाति का अस्तित्व खतरे में है। बिल वापस नहीं लेने पर गांव से लेकर शहर एवं सदन तक आंदोलन किया जायेगा। इसका असर 2024 के लोक सभा चुनाव एवं विधान सभा चुनाव में दिखाई देगा। मंत्री सत्यानन्द भोगता ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि भाजपा पार्टी भोगता जाति एवं दलित विरोधी है। मंत्री श्री भोगता ने सवाल खड़ा किया कि झारखण्ड राज्य में भोगता जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जा रहा है तो बिहार, बंगाल, उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ राज्यों में क्यों नहीं ?
उन्होंने कहा कि बिल वापस नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट तक इसका लड़ाई लड़ा जायेगा। वर्ष 2017 में श्री रघुवर दास मुख्यमंत्री झारखण्ड के मंत्रिपरिषद् द्वारा भोगता जाति को छोड़कर अन्य जाति को शामिल करने की बात की गयी थी जबकि भारत सरकार ने इसकी अनदेखी की है।
फोटो: मंत्री सत्यानन्द भोगता