केजरीवाल सरकार की बढ़ी मुश्किलें, नकली दवा खरीदने के मामले में LG ने दिए CBI जांच के आदेश
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की मुश्किलें फिर बढ़ने वाली हैं। उपराज्यपाल ने वी के सक्सेना ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खरीदी गई दवाइयों के मामले में मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखा है और सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों ने मनमाने ढंग से दवाईयां खरीदी। सभी मेडिसिन प्रयोगशालओं में परीक्षण के दौरान मापदंडों को पूरा करने में फेल साबित हुई। इस मामले के बारे में पूछे जाने पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार विस्तृत प्रतिक्रिया देगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस तरह की जांच के जरिए सरकार के काम में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है।
‘रोगियों को नकली दवाएं दी जा रही’
मुख्य सचिव नरेश कुमार को लिखे एक नोट में उपराज्यपाल ने उल्लेख किया है कि मैंने फ़ाइल का अध्ययन किया है। मैं, कम से कम, इस तथ्य से व्यथित हूं कि लाखों असहाय लोगों और रोगियों को नकली दवाएं दी जा रही हैं जो गुणवत्ता मानक परीक्षणों में विफल रही हैं। उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा, दिल्ली स्वास्थ्य सेवा के तहत केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा खरीदी गई ये दवाएं दिल्ली सरकार के अस्पतालों को आपूर्ति की गईं और हो सकता है कि इन्हें ‘मोहल्ला क्लीनिक’ को भी आपूर्ति की गई हो।
जानिए LG ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, “ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत नियमों और वैधानिक प्रावधानों के अनुसार सरकार के साथ-साथ निजी विश्लेषकों/प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षण किया गया, ये विफल रहे हैं और इन्हें ‘मानक गुणवत्ता के नहीं’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।” सक्सेना ने यह भी कहा कि “भारी बजटीय संसाधनों को खर्च करके खरीदी गई ये दवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं और लोगों के जीवन को खतरे में डालने की क्षमता है। उन्होंने कहा, “प्रथम दृष्टया, सीपीए-डीएचएस, जीएनसीटीडी के अलावा, इस पूरे अभ्यास में अन्य राज्यों में स्थित आपूर्तिकर्ता, निर्माता और उन राज्यों में दवा नियंत्रक शामिल हैं।”
घटिया दवाओं की आपूर्ति की मिलीं थी शिकायतें
उपराज्यपाल ने तदनुसार कहा, जैसा कि “पैरा 35 में प्रस्तावित है, चूंकि ‘मोहल्ला क्लीनिक’ का मामला पहले से ही सीबीआई को सौंपा गया है, यह मामला, जिसमें अन्य बातों के अलावा, इन असफल ‘मानक गुणवत्ता वाली नहीं’ दवाओं की आपूर्ति भी शामिल हो सकती है। ऐसे क्लीनिकों को केंद्रीय एजेंसी को भी सौंपा जा सकता है, विशेष रूप से इस तथ्य के आलोक में कि जांच में सीपीए-डीएचएस, जीएनसीटीडी, आपूर्तिकर्ताओं/डीलरों, अन्य राज्यों के निर्माताओं और अन्य राज्य एजेंसियों सहित बहु अंतर-राज्य हितधारक शामिल हैं।” मामले में सतर्कता निदेशालय ने रिपोर्ट सौंपी थी। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में घटिया दवाओं की आपूर्ति की शिकायतें मिल रही थीं। अधिकारियों ने कहा कि इसके बाद, सरकारी अस्पतालों से नमूने एकत्र किए गए।