राष्ट्र संवाद बिहार ब्यूरो (चंदन प्रसाद शर्मा)
जनता दल (यूनाइटेड) ने शनिवार को राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा को अपना कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के गठन में पार्टी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए केंद्र से बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज देने पर विचार करने का आग्रह किया।
पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में महंगाई और बेरोजगारी को ‘ज्वलंत मुद्दे’ करार दिया गया और पार्टी के राजनीतिक प्रस्ताव में विश्वास जताया गया कि राजग सरकार इनसे निपटने के लिए और प्रभावी कदम उठाएगी।
प्रस्ताव में राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) प्रश्नपत्र सहित पेपर लीक के अन्य मामलों की व्यापक जांच का आह्वान किया गया ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके और केंद्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं की विश्वसनीयता कायम रहे।
इसमें कहा गया है कि संसद को परीक्षा पत्रों के लीक होने के खिलाफ एक मजबूत कानून बनाने की भी आवश्यकता है।
अपने विश्वासपात्र को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का कुमार का फैसला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ बेहतर समन्वय बनाए रखने और टकराव के मुद्दों का समाधानपूर्ण रास्ता निकालने के उनके प्रयासों को दर्शाता है क्योंकि झा के भाजपा नेतृत्व के साथ अच्छे संबंध हैं।
बिहार के पूर्व मंत्री रहे झा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से की थी। बाद में वह जद(यू) में शामिल हो गए। जद(यू) में आने से पहले वह कुमार के साथ संपर्क सूत्र की भूमिका निभा चुके हैं। वह जद(यू) के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य योजना परिषद के सदस्य भी रह चुके हैं। फिलहाल झा राज्यसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता हैं।
योग्य, सभी के चहेते और सुर्खियों से दूर रहने वाले मिथिलांचल के नेता झा लंबे समय से अपने वरिष्ठ मार्गदर्शक के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। अतीत में पूर्व जद (यू) अध्यक्ष आरसीपी सिंह सहित अपने अन्य विश्वसनीय सहयोगियों से उन्हें झटके मिल चुके हैं। सिंह सहित ये नेता अब भाजपा में हैं।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि कुमार को उम्मीद है कि झा भाजपा के साथ मधुर संबंध बनाए रखेंगे और बिहार को सहायता देने सहित पार्टी की मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया हासिल करने के लिए काम करेंगे।
जद(यू) का बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की अपनी वर्षों पुरानी मांग के विकल्प के तौर पर विशेष पैकेज की बात करना यह दर्शाता है कि पार्टी एक तरह से इस मुद्दे पर नरम पड़ गई है क्योंकि मोदी सरकार ने 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार कर दिया है।
अपनी नियुक्ति के बाद झा ने कहा कि उनकी पार्टी का उद्देश्य जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री रहने के अल्प समय को छोड़कर 2005 से नीतीश कुमार नीत सरकार द्वारा रखी गई नींव को आगे बढ़ाने के वास्ते बिहार के लिए केंद्रीय सहायता हासिल करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस नाम से यह मदद मिली। हम केंद्र सरकार के साथ इस मामले को उठाएंगे और सकारात्मक परिणाम की उम्मीद करते हैं।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा और जद(यू) के बीच सब कुछ सौहार्दपूर्ण रहेगा और दोनों दल स्वाभाविक सहयोगी हैं।
उन्होंने कहा कि राजग 2025 के विधानसभा चुनावों में 200 से अधिक सीटें जीतेगा। उन्होंने बताया कि हाल के लोकसभा चुनावों में गठबंधन को 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 177 पर बढ़त मिली थी।
जद (यू) के प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार में पार्टी की भागीदारी के कारण उसकी जिम्मेदारी और लोगों की अपेक्षाएं बढ़ी हैं। केंद्र सरकार में पार्टी के दो मंत्री हैं।
प्रस्ताव में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, पर्यावरण, सामाजिक कल्याण, महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में अधिक सक्रिय और गुणात्मक सुधारों का आह्वान किया गया है।
बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए जद(यू) ने केंद्र से राज्य के कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने का आग्रह किया ताकि उसकी न्यायिक समीक्षा से बचा जा सके।
प्रस्ताव में कुमार की राजनीतिक सूझबूझ और सकारात्मक रणनीति की प्रशंसा करते हुए कहा गया कि उन्होंने बिहार में राजग सरकार चलाने और मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसमें कहा गया कि लोगों ने केंद्र में एक ऐसी सरकार को फिर से चुना जिसने राष्ट्रीय हित के लिए काम किया।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित एक अन्य प्रस्ताव में झारखंड का उल्लेख करते हुए विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में पार्टी के संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसमें कहा गया कि जद(यू) उम्मीदवारों ने राज्य में चुनाव लड़ा है और जीत भी दर्ज की है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि वह अपनी चुनावी रणनीति पर गंभीरता से काम करेगी और वहां अपने उम्मीदवार उतारेगी।
सूत्रों ने कहा कि जद (यू) भाजपा को अपने उम्मीदवारों के लिए कुछ सीटें छोड़ने के लिए कहेगा।
जद(यू) नेता नीरज कुमार ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘कार्यकारिणी में दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किये गए। पहला, राजनीतिक और दूसरा संगठनात्मक। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री (नीतीश कुमार) जी ने राज्यसभा में पार्टी के संसदीय दल के नेता संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया।’’
कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य को एक विशेष पैकेज देने के विकल्प पर भी विचार कर सकती है।
नीरज कुमार ने कहा कि पार्टी ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) प्रश्नपत्र लीक मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने तथा परीक्षा में गड़बड़ी पर अंकुश लगाने के लिए संसद में कठोर कानून पारित करने की मांग की।
पार्टी के वरिष्ठ नेता के. सी. त्यागी ने पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार ने घोषणा की कि वह अब हमेशा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बने रहेंगे और उनके कहीं इधर-उधर जाने का सवाल ही नहीं उठता।
बिहार के मुख्यमंत्री एवं जद (यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और रामनाथ ठाकुर तथा देशभर के अन्य वरिष्ठ नेता दिल्ली में आयोजित बैठक में शामिल हुए।