कुंडहित (जामताड़ा):कुंडहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आए दिन लगातार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वही धांधली का भी मामला सामने आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर, अस्पताल के एएनएम एवं कर्मी अपने ही वाहन को अस्पताल में भाड़े पर देती है। जिसमें अगर जांच की जाए तो एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। आपको बता दें कि प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश लोग सीएचसी के इस रवैया से पूरे झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर उंगली उठ रहे है जबकि देखा जाए तो सरकार की ओर से समुचित व्यवस्था सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को दी गई है बावजूद इसके आए दिन स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आपको बता दें कि सोमवार कि सुबह फतेहपुर प्रखंड के मकरंदा के गर्भवती महिला बबीता कोल को कुंडहित सीएचसी में भर्ती कराया गया था। परिजनों के मुताबिक गर्भवती महिला को भर्ती कराने के बाद एक भी डॉक्टर ने नहीं देखा। करीब 5-6 घंटा बीत जाने के बाद डॉक्टर ने मरीज को बिना देखे ही रेफर कर दिया। जिससे परिजनों में काफी आक्रोश देखी गई। गौरतलब है कि सीएचसी के डॉक्टरों की कई लापरवाही पहले भी सामने आई है इससे पूर्व में मरीज को ऑपरेशन करने के बाद ऑपरेशन थिएटर से बेड तक लाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मरीज के परिजनों द्वारा हाथ से उठाकर लाया गया था। जिसका वीडियो भी खूब वायरल हो रहा था। इधर मरीज के चाचा मंटू कोल ने बताया कि मेरा भतीजी बबीता कोल को कुंडहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराये था जो गर्भवती थी। मेरे भतीजी को सुबह 8:00 बजे लाए थे और 4:00 बजे इस अस्पताल से रेफर कर दिया गया। बताया कि सुबह 8:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक यहां के चिकित्सा पदाधिकारी कोई दवा कोई इलाज नहीं किया। कहा कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को फोन के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन कई बार कॉल करने के बावजूद भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इस तरह से स्वास्थ्य केंद्र में लापरवाह एवं बेलगाम पदाधिकारी तथा कर्मी रहेंगे तो क्षेत्र के गरीब लोगो का इलाज कैसे हो पाएगा और कैसे भरोसा कर पाएंगे कि हम लोगों को सही दवा तथा इलाज मिल पाएगा। उन्होंने जिला चिकित्सा पदाधिकारी से आग्रह करते हुए कहा कि कुंडहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारी एवं कर्मियों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि गरीबों को सही दुआ एवं दवा मिल सके। कहा कि हम लोगों के इलाज के लिए इन लोगों को मानदेय मिलता है। अगर चिकित्सा पदाधिकारी एवं स्वास्थ्य कर्मी सही ढंग से मरीजों का इलाज नहीं करते हैं तो इन लोगों का मानदेय लेने का कोई अधिकार नहीं है।
क्या कहते हैं चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी
आरोप बेबुनियाद है| मरीज का जांच किया गया है| प्रोग्रेस नहीं हो रहा था डिले हो रहा था| हां एक बार अंदेशा लगाया गया था कि अगर देर होगा तो इसका रेफर कर दिया जायेगा|मरीज को रेफर नहीं किया गया था मरीज को 3 बार देखा गया है |परिजनों ने ही जबरदस्ती रेफर करवाया|
उजाला मुर्मू, चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी, सीएचसी कुंडहित