उज्जैन। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संरक्षण में भारत पूरे विश्व में सबसे ज्यादा खर्च कर रहा है। सरकार और जनता के सहयोग से हम जल और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषा में जल के दर्शन को लेकर इतनी क्षमता है कि यदि पानी को लेकर भविष्य में विश्वयुद्ध की परिस्थितियां बनी तो वह उसे रोक सकेगी।
शेखावत बुधवार को उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय जल महोत्सव के दूसरे दिन के सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज क्लाइमेंट चैंज के ताप को लेकर सब चिंतिंत है। दुनिया भर के लोग जिस विज्ञान के भरोसे प्रकृति पर विजय पाने के लिए लालयित थे, आज वही प्रकृति के कहर से डरे हुए और व्यथित हैं। ऐसे में हम जल को लेकर भारत का दर्शन पूरे विश्व को दिखाने के लिए यहां एकत्र हुए हैं और मुझे विश्वास है कि हम इसमें सफल होंगे।
उन्होंने कहा कि किसी भी योजना या समस्या की सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच पी का सिद्धांत दिया है। यह है- पॉलिटिकल विल (राजनीतिक इच्छाशक्ति), पब्लिक स्पैडिंग (सार्वजनिक व्यय), पार्टिसिपेशन (दक्ष लोगों की सहभागिता), पीपुल्स पार्टिसिपेशन (जनसहभागिता) और परसुएशन (निरंतरता)। भारत में जल के मामले में सरकार का विजन इस पांच पी के सिद्धांत पर काम कर रहा है। शेखावत ने कहा कि भारत ने जल संरक्षण पर 240 बिलियन डॉलर खर्च किया है, जो दुनिया में अन्य देशों के मुकाबले जल पर सबसे ज्यादा खर्चा है।
सीखने सिखाने की परम्परा शुरू करनी होगी
शेखावत ने कहा कि भारतीय मनीषा में पीढ़ी दर पीढ़ी विषयों को सीखने और सिखाने की परम्परा रही है, लेकिन आज कर्तव्यों को सिखाने की परम्परा क्षीण हो गई। इस कारण भारत सहित पूरे विश्व में सब तरह की चुनौतियां बढ़ी है। समाज को प्रेरित करने और सीखने के कुछ मुुख्य घटक है, जिनमें परिवार, शिक्षण संस्था, मीडिया, ज्यूडिशियरी, सामाजिक संस्थाएं और धर्मगुरू शामिल है, लेकिन इन घटकों में आजकल जल को लेकर सीखने सिखाने की प्रवृत्ति लोप हो गई। इसे फिर से जगाने की जरूरत है।
विकास में बाधक नहीं बनेगी जल की कमी
शेखावत ने कहा कि जल ऐसा महत्वपूर्ण विषय है कि आने वाला विश्वयुद्ध भी जल को लेकर छिड़ेगा, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय मनीषा का उद्भव ऐसा कभी नहीं होने देगा। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि जिस तरह से हम काम कर रहे हैं, आने वाली सदी में जब विकसित भारत बनेगा, तब जल की कमी कहीं बाधक नहीं बनेगी।