उड़िसा के राज्यपाल महामहिम रघुवर दास के द्वारा एम0 सी0 मधुकर के द्वारा रचित पुस्तक का लोकार्पण
जमशेदपुर :एग्रिको सुमन मेमोरियल ट्रस्ट के प्रांगण में श्री एम0 सी0 मधुकर के द्वारा रचित पुस्तक का लोकार्पण मुख्य अतिथि उड़िसा के राज्यपाल महामहिम रघुवर दास के द्वारा निर्मला देवी हेरिटेज के सभागार में सम्पन्न हुआ।
पुस्तक लोकार्पण के उपरांत श्री एम0 सी0 मधुकर ने अपने पुस्तक के विषय में विस्तार से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि ये पुस्तक खुशहाली का आधार ‘गृह प्रबंधन शिक्षा’ की चैथी संस्करण है। इससे पहले के संस्करण को टाटा स्टील भी अपने श्रमिकों के बीच गृह प्रबंधन शिक्षा को लेकर सेमिनार में कई बार रख चुका है, उसे अपने परिवार समाज में अपनाने को कहा गया।
पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए विशिष्ट अतिथि श्री प्रमोद मिश्रा ने कहा कि यह पुस्तक ‘गृह प्रबंधन शिक्षा’ निश्चित तौर पर अत्यंत ही उपयोगी है, क्योंकि जहां महिलाएं कुशल होती हैं वह परिवार खुद ब खुद खुशहाल हो जाता है श्री मिश्रा ने कहा कि इस पुस्तक को राँची विश्वविद्यालय एवं बिहार विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह अत्यंत ही खुशी की बात है। हम राज्यपाल महोदय से आग्रह करते हैंे कि इसे उड़िसा के पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाय।
मुख्य अतिथि महामहिम रघुवर दास ने अपने संबोधन मे कहा कि निश्चित तौर पर मुधकर जी के द्वारा रचित यह पुस्तक समाज के लिए उपयोगी साबित होगी। राष्ट्र निर्माण में शिक्षा का महत्व सबसे अलग है उन्होंने कहा कि सुमन मेमोरियल ट्रस्ट के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किया जाने वाला कार्य अत्यंत ही प्रशंसनीय है इन्होंने समाज के मध्यम एवं निचले तबके को ध्यान में रखकर ट्रस्ट को चला रहे हैं जहाँ अनेको बच्चों ने पढ़कर प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त किया। निर्मला देवी हेरिटेज के माध्यम से समाज में महिलाओं को कुशल प्रशिक्षण देकर
उन्हें आत्म निर्भर बनाने का पहल करेंगें। श्री दास ने कहा कि पुरे दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहां कुटुम्ब व्यवस्था सबसे मजबुत है, इसकी केन्द्र बिन्दु हमारे समाज की महिलाएं है।
कार्यक्रम का संचालन प्राचार्य श्रीमती नूतन झा ने किया, कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में सूर्य मन्दिर समिति के अध्यक्ष श्री भुपेन्दर सिंह एवं सम्मानित अतिथि के रुप में श्री शंकर पाठक एवं काफी संख्या में गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, धन्यवाद ज्ञापन श्री गोविन्द पाठक ने किया।