उठा ले जाऊंगा, तुझे मैं डोली में….. : मच्छर
गढ़वा : उठा ले जाऊंगा, तुझे मैं डोली में….। यह मच्छरों की गुनगुनाहट व उनकी अपनी आवाजें हैं। बता दें कि जिले के कांडी प्रखण्ड में 16 पंचायतों के सभी गांवों में मच्छरों से निजात दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। बारिश का समय है। जगह-जगह नाली, गढ्ढों, खेतों व आहार में जल-जमाव हो गया। जैसा कि विज्ञान के दृष्टिकोण से मच्छरों की उत्पत्ति उक्त जलाशयों से ही होती है। यदि जलजमाव नहीं होगा तो धान की फसल ही नहीं होगी। वहीं यदि मच्छरों से बचाव के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया तो लोगों की जान ही नहीं बच पाएगी। पंचायत से लेकर प्रखण्ड व विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र के कोई भी जनप्रतिनिधियों की आवाज उनके मुंह से बाहर नहीं आ रही है। सभी लोग जानते हैं कि मच्छरों के काटने से लोग मलेरिया सहित अन्य बीमारियों से भी संक्रमित होते हैं। मनुष्य प्राणी को छलनी करने और उनके रक्तपान करने के लिए मच्छर काफी हैं। इस बारिश के मौसम में बढ़ती मच्छरों की संख्या ने जनजीवन को त्रस्त कर दिया है। आखिर लोग इस समस्या से निजात कैसे पाएं, यह चिंतनीय व विचारणीय तथ्य ही है। इसके प्रति कोई भी जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी भी अपना कदम आगे नहीं बढ़ा रहे हैं।
जब चुनाव का समय नजदीक आता है तो नेताओं की कोई कमी नहीं रहती, जैसे फिलहाल बारिश के मौसम में मच्छरों की कोई कमी नहीं। मच्छर भी उतनाही जानलेवा हैं, जितना बकवास व बेवजह बात करने वाले झूठे नेता। नेता भी जनता का वोट पाकर उस प्रकार गरीबों को चूसते हैं, जैसे मच्छर। यदि डीडीटी पाउडर का भी छिड़काव होता तो मच्छरों की संख्या तो कम नहीं, लेकिन उनके द्वारा छोड़े विष जरूर कम हो जाते। जनजीवन तबाह सी हो गई है। लोग क्या करें, समझ से परे है। स्वास्थ्य विभाग भी बेपरवाह है। वैसे भी कांडी प्रखण्ड मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य के प्रति छोटी छोटी दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां से सीधे रेफरल अस्पताल मझिआंव रेफर किया जाता है और वहां से सदर अस्पताल गढ़वा। आखिर कांडी प्रखण्ड की जनता किस कुचक्र में फंसी है, जहां प्रत्येक पंचायतों में लाखों रुपए खर्च कर स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण कर दिया गया है, जहां एक भी एनएम उपलब्ध नहीं हैं। यह विकास हो रहा है या विनाश, लोग इन्हीं समस्याओं से परेशान हैं। जनता के लिए स्वास्थ्य के संबध में न तो स्वास्थ्य विभाग सक्रिय है और न ही सरकार। मलेरिया भी कितना खतरनाक है, यह सभी जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों या सरकार को भी ज्ञात है। इसके बावजूद भी कोई कदम आगे क्यों नहीं बढ़ा रहा है। जब जनजीवन ही ठीक नहीं रहे तो नेताओं को वोट कैसे मिल पाएगा।
कमसे कम नेताओं को लापरवाह नहीं होना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग तो बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती। डीडीटी के छिड़काव के अलावे कोई अन्य दवा उपलब्ध करानी चाहिए, जिससे मच्छरों की सीधे मौत हो जाए, संख्याओं में काफी कमी आए। केवल बारिश के मौसम में ही नहीं बल्कि किसी भी मौसम में तेजी से मच्छरों की संख्या बढ़ रही है। यही कारण है कि लोग अत्यधिक बीमार पड़ रहे हैं। लेकिन सभी पदाधिकारी व स्वास्थ्य विभाग मौन हैं। समय-समय पर मेडिकेटेड मच्छरदानी का भी वितरण किया जाता था, जिससे लोगों को कुछ लाभ भी हो रहा था, वह भी बंद के कगार पर ही है। मच्छरदानी का वितरण भी नहीं किया जा रहा है। जब जरूरत होती है तो जनता के लिए सुविधा ही उपलब्ध नहीं होती। आखिर गरीब व्यक्ति करे भी तो क्या। वहीं बिजली विभाग भी लापरवाही का सिमा लांघ रही है। कब बिजली आती है और कब जाती है, लोगों को भनक भी नहीं हो पाता। बिजली लगातार रहने से लोगों को कुछ सुविधा भी थी कि पंखा चलाकर मच्छरों से निजात पाते थे लोग। समस्या भयावाह है, इसपर कोई ध्यान देने वाला नहीं है।