थोड़ी सावधानी, सुरक्षा, खान-पान, स्वच्छता और आचार-विचार में बदलाव से हेपेटाईटिस पर पाएं नियंत्रण : बन्ना गुप्ता
स्वास्थ्य मंत्री ने की रिम्स, राँची के ट्रॉमा सेन्टर सभागार में आयोजित हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम की अध्यक्षता
हेपेटाइटिस नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में दी जानकारी
जमशेदपुर। विश्व हेपेटाईटिस दिवस के अवसर पर गुरुवार को राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड
स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने की। कार्यक्रम का आयोजन रिम्स, राँची के ट्रॉमा सेन्टर सभागार में आयोजित किया गया था।
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हेपेटाईटिस पाँच प्रकार के होते हैं – ए, बी, सी, डी तथा ई। उन्होंने कहा, इन सभी का निदान हम थोड़ी सावधानी, थोड़ी सुरक्षा, थोड़ा आचार-विचार में बदलाव, स्वच्छता को अपनाकर व स्वच्छ भोजन को अपनाकर कर सकते हैं।
उन्होंने बताया, झारखण्ड राज्य में अभी तक हेपेटाइटिस बी से 45653 एवं सी से 45691 व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की गयी है, जिसमें हेपेटाइटिस बी के 372 एवं हेपेटाइटिस सी के 56 रोगियो का उपचार रिम्स, राँची तथा अन्य ट्रीटमेंट सेन्टर में चल रहा है। वर्ष 2021-22 में कुल 270496 गर्भवती महिलाओं का हेपेटाइटिस बी हेतु जाँच की गयी है, जिसमें 151 पॉजिटिव एवं पॉजिटिविटी रेट 0.06ः रहा।
मंत्री ने कहा, लीवर सिरोसिस बहुत तेज गति से बढ़ने वाली बीमारी है, जो आगे चलकर कैंसर के रूप में परिणीत हो जाता है। यदि, सही समय पर सही निदान, सही विचार और सही समाधान नहीं किया जाए तो यह जानलेवा हो सकता है।
हेल्दी लीवर कैम्पेन
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि झारखण्ड राज्य में हिपेटाईटिस नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 2019 में शुरू किया गया है। उन्होंने बताया, हेपेटाइटिस बी तथा सी मरीजों के समुचित जाँच तथा इलाज हेतु राज्य के 24 जिला अस्पताल तथा अन्य 5 मेडिकल कॉलेज में उपचार केंद्रों तथा रिम्स को मॉडल ट्रीटमेंट सेन्टर (एमटीसी) के रूप में स्थापित किया गया है। अभी तक हेपेटाइटिस के नियंत्रण के लिए झारखण्ड राज्य में मुख्य रूप से जो कार्य किए गए हैं, उनमें गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) के दौरान हेपेटाइटिस-बी एवं सी की जाँच रैपिड किट्स के माध्यम से की जाती है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर पूरे राज्य में हेल्दी लीवर कैम्पेन 20 से 28 जुलाई, 2022 तक आयोजित किया गया, जिसमें जिला तथा प्रखण्ड स्तर पर हेपेटाइटिस बी एवं सी के स्क्रीनिंग कैम्प के माध्यम से रैपिड किट्स द्वारा जाँच की जा रही है। गर्भवती महिलाओं को एएनसी के दौरान हेपेटाइटिस बी हेतु जाँच एवं अन्य जोखिम समूह वाले संदिग्ध समूह यथा एचआईवी मरीज, डायलिसीस पर इलाजरत आदि में हिपेटाईटिस बी एवं सी की जाँच की जा रही है। सभी जिलों तथा मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य कार्यकर्ता को पंजीकृत कर हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन लगाना सुनिश्चित की गयी है।
दूसरा, लीवर रोगों के गैर जटिल मामलों के प्रबंधन के लिए 24 जिला अस्पताल और 5 मेडिकल कॉलेज में उपचार केंद्र (टी0 सी0) की स्थापना की जा रही है। वर्तमान में 18 उपचार केन्द्र कार्यरत हैं तथा शेष 11 उपचार केन्द्र को क्रियाशील की जा रही है। रिम्स, राँची को हेपेटाइटिस-बी तथा सी के जाँच तथा उपचार हेतु मॉडल ट्रीटमेंट सेन्टर के रूप में स्थापित किया गया है।
इसके अलावा, रैपिड या एलिसा किट के माध्यम से सीरो पॉजिटिव पाए जाने वालें मरीजों के लिए हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के लिए वायरल लोड परीक्षण करने की सुविधा स्टेट रेफरल लैब, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, रिम्स राँची में किया गया है। वायरल लोड परीक्षण के उपरांत मरीजों को हेपेटाइटिस बी तथा सी की निःशुल्क दवा मॉडल ट्रीटमेंट सेन्टर तथा ट्रीटमेंट सेन्टर में उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) के दौरान हेपेटाइटिस-बी एवं सी की जाँच रैपिड किट्स के माध्यम से की जाती है। उच्च जोखिम समूह वाले संदिग्ध यथा – एचआईवी रोगी, ब्लड बैंक में ब्लड ट्रांसफुजन से संबंधित मरीज, डायलिसीस रोगी, जेल में कैदियों के हेपेटाइटिस-बी एवं सी की स्क्रीनिंग की सुविधा बहाल करने हेतु इस कार्यक्रम को झारखण्ड एड्स कंट्रोल सोसाइटी से संबद्ध किया गया है।
वहीं, मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल एवं सीएचसी स्तर पर हेपेटाइटिस बी एवं सी दवाओं की उपलब्धता एवं हेपेटाइटिस बी और सी के रैपिड किट की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। प्रचार-प्रसार के माध्यम से जन समुदाय को जिला तथा प्रखण्ड स्तर पर हेपेटाइटिस ए बीसी और डी से बचाव हेतु आवश्यक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
विश्व हेपेटाईटिस दिवस के अवसर पर प्रो० डॉ० कामेशवर प्रसाद, निदेशक, रिम्स ने कहा कि यकृत की सूजन, जो यकृत कैंसर सहित अन्य कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है। वायरल हेपेटाइटिस पाँच प्रकार के होते हैं उन्होंने बताया, हेपेटाइटिस का टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं, क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होते हैं।
हेपेटाइटिस के बारे जागरूकता पैदा करने और जन्म के बाद बच्चे को वैक्सीन देकर उसे हेपेटाइटिस से बचाया जा सकता है। हेपेटाइटिस एक जानलेवा इंफेक्शन है। इसके कई कारण हो सकते हैं। वायरल इन्फेक्शन खासकर, हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। ऑटोइम्यून स्थितियां अक्सर, शरीर के इम्यून सेल से यह पता चलता है कि लीवर की सेल्स को डैमेज पहुंच रहा है। शराब पीना – अल्कोहल हमारे लीवर द्वारा डायरेक्टली मेटाबोलाइज्ड होता है, जिसके कारण यह शरीर के दूसरे भागों में भी इसका सर्कुलेशन होने लगता है। इसलिए, जब कोई बहुत अधिक शराब या अल्कोहल का सेवन करता है, तो उस व्यक्ति के लिए हेपेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। दवाइयों का साइड-इफेक्ट्स,
यह भी एक कारण है हेपेटाइटिस का। कुछ विशेष दवाइयों के ज्यादा सेवन से लीवर सेल्स में सूजन होने लगती है और हेपेटाइटिस का रिस्क बढ़ जाता है। इस अवसर पर डॉ० भुवनेश प्रताप सिंह, अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखण्ड, डॉ० अजीत डुंगडुंग, डॉ० अशोक शर्मा, डॉ० प्रदीप कुमार सिंह, डॉ० प्रवीण कुमार कर्ण, श्रीमती अकय मिंज तथा अन्य पदाधिकारियों ने भी भाग लिया।
इन चीजों का रखें ध्यान
– अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें, इससे इन्फेक्शन का खतरा कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
– टैटू करवाते समय सुरक्षित उपकरणों का इस्तेमाल सुनिश्चित करें ।
– कान में छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि उपकरण सुरक्षित और इंफेक्शन-फ्री हैं।
– सुरक्षित यौन संबंध।