गंभीर लेखन और उद्देश्य के साथ आगे आना ही एक साहस है और इस साहस के लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद, ‘राष्ट्र संवाद’ पत्रिका मेरी दृष्टि में नैतिक प्रतिष्ठा का एक अभियान है। आप अपनी कलम के पैनेपन से इसको संवारते हैं : ललित गर्ग
आदरणीय श्री देवानंद सिंह
आशा है आप स्वस्थ एवं सानंद होंगे। मेरे लिए यह एक यादगार एवं खुशी का पल है कि आपके कुशल एवं प्रभावी संपादन में प्रकाशित ‘राष्ट्र संवाद’ मासिक पत्रिका प्रकाशन के 25 वर्ष पूरे कर चुकी है। मेरी ओर से इसके लिए बहुत-बहुत बधाई। मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि आपने पत्रकारिता के उच्च आदर्श मूल्य मानकों पर ‘राष्ट्र संवाद’ को स्थापित किया है और पत्रकारिता में एक नई परम्परा का सूत्रपात किया है। यही कामना है कि आप निरंतर क्रियाशील रहते हुए समाज और राष्ट्र को अपनी उल्लेखनीय स्वस्थ पत्रकारिता से प्रेरित करते रहें एवं सुदृढ़ राष्ट्र निर्माण के लिए राजनीतिक अवमूल्यन, भ्रष्टाचार एवं अनैतिकता के खिलाफ अपनी जंग को जारी रखें।
मेरे लिए यह कल्पनातीत है कि ‘राष्ट्र संवाद’ जैसी छोटे बजट की पत्रिका के संपादक होकर भी आपने किस तरह से पूरे पत्रकार जगत में अपनी स्वतंत्र जगह बना रखी है, वह आपकी पत्रकारिता के प्रति समर्पण को दर्शाता है। आपकी संवेदनशीलता, सूझबूझ, अभिव्यक्ति की क्षमता, शब्दों की परख, हर प्रसंग को गहराई से पकड़ने का लक्ष्य आदि ऐसी विशेषताएं हैं जिनके बल पर आप न केवल मेरे मन को बल्कि असंख्य पाठकों के मन को मोह लेते हैं, बांध लेते हैं। आपकी कलम में, आपकी सोच में और आपके संकल्प में वह जादू है जो जब भी आकार लेता है वहां ऐसा शब्दचित्र उभरता है जिसको अनदेखा करना असंभव होता है। हर अंक में आप इतनी सुंदर, पठनीय और संग्रहणीय सामग्री को परोसते हैं कि आपका हर अंक यादगार बन जाता है। इस तरह आप हिन्दी पत्रकारिता जगत को समृद्ध और शक्तिशाली बना रहे हैं। आपका आगामी जीवन ऐसा ही यशस्वी, सुखद एवं जन-जन के लिए प्रेरणास्पद हो, यही इस 25वें वर्ष पर सफलता की कामना है।
आधुनिक पत्रकारिता के लिए नैतिकता बहुत जरूरी है क्योंकि आज जिन माध्यमों से नैतिकता मुखर हो रही है वे बहुत सीमित हैं, प्रभावक्षीण तथा चेतना पैदा करने में काफी असमर्थ है। हम देख रहे हैं कि पत्रकारिता एवं मीडिया माध्यमों की अभिव्यक्ति एवं भाषा में एक हल्कापन आया है। पत्रकारिता को भी आज संदेह की नजर से देखा जाने लगा है। यह भी अब मिशन न होकर व्यवसाय बन गयी है। ऐसे में गंभीर लेखन और उद्देश्य के साथ आगे आना ही एक साहस है और इस साहस के लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद। हम यह भी महसूस कर रहे हैं कि आज की पत्रकारिता, प्रकाशन एवं प्रसारण के क्षेत्र में ताकतवर संस्थान युग की नैतिक विचारधारा को किस तरह धूमिल कर रहे हैं। बड़े प्रकाशन समूहों ने पत्रकारिता को धन कमाने का माध्यम बना लिया है इसलिए वहां विचार क्रांति की संभावनाएं नगण्य होती जा रही हैं। एक ही समूह के सौ-पचास संस्करण छोटे समाचार पत्रें को लील रहे हैं। न केवल लील रहे हैं बल्कि वैचारिक क्रांति को भी विराम दे रहे हैं। आप कल्पना करें पचास छोटे समाचार पत्र अगर अपनी संपादकीय या वैचारिक पृष्ठ पर किसी ज्वलंत विषय पर कलम की धार को आजमाएं तो पचास विशिष्ट वैचारिक दृष्टिकोण देश की तस्वीर को बदलने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
लेकिन अब पचासों संस्करणों में एक ही तरह के विचार और एक ही तरह की संपादकीय और वह भी धारदार नहीं, कैसे देश को बनाने में पत्रकारिता की सार्थक भूमिका होगी?
आपने देश एवं समाज की उन्नति के लिए स्वल्पकाल में पत्रकारिता एवं लेखन के माध्यम से उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं। ‘राष्ट्र संवाद’ पत्रिका मेरी दृष्टि में नैतिक प्रतिष्ठा का एक अभियान है। आप अपनी कलम के पैनेपन से इसको संवारते हैं जो एक दीपक की भांति रोशनी देता है। अनेक झंझावातों के बीच आपने इस दीप को जलाये रखने का जो संकल्प लिया है साथ ही साथ आपने अनेक रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्यक्रमों को इसके साथ जोड़ा है।

निश्चित ही आपके विचार और कार्यक्रम दीप होंगे। उन नन्हे दीपकों को अंधेरे रास्तों पर रख दिया जाए तो हम रोशनी को भूल नहीं पायेंगे। आपका देश को समृद्ध एवं सुदृढ़ बनाते हुए उसमें नये प्राण का संचार करने का संकल्प जीवंत बना रहेगा। आपका सम्पूर्ण जीवन आदर्श मूल्यों से प्रेरित रहा है, अपनी व्यवहारकुशलता, मिलनसारिता, संवेदनशीलता एवं सेवा की भावना से न केवल आपने अपने जीवन को धन्य किया है बल्कि परिवार, समाज, राष्ट्र तक को अपनी सार्थक उपस्थिति से अभिप्रेरित किया है।
आप एक आदर्श पत्रकार, प्रखर लेखक-विचारक, संवेदनशील व्यक्तित्व, जीवंत संस्कृतिकर्मी, कुशल एवं सशक्त समाजकर्मी हैं, इसकी अनुभूति पच्चीस वर्षों से लगातार प्रकाशन में बार-बार होती रही है। आपने अपने उच्च संस्कारों से सदैव समाज को ही नहीं बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को प्रेरित किया है। एक जागरूक एवं संवेदनशील पत्रकार के रूप में आपकी उपस्थिति समूचे राष्ट्र के लिए सुखद अहसास का सबब बनी है। आप राष्ट्र के बहुआयामी व्यक्तित्व और ताकत हैं। आपने अपने रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्यों एवं सोच से देश को ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता को बल दिया है। आपका आगामी जीवन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने में व्यतीत हो, यही ‘राष्ट्र संवाद’ के 25 वर्ष पूर्ण करने पर मेरी अभीप्सा एवं शुभकामना हैं।
‘राष्ट्र संवाद’ पत्रिका में लगातार मेरे लेखों को प्रकाशित करके जो प्रोत्साहन दिया है, उसके लिए मैें आपका अत्यंत आभारी हूं। आशा है भविष्य में भी आपका प्रोत्साहन मिलता रहेगा।