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    Home » मुसीबत को उपहार के रूप में स्वीकार करना होगा तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है
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    मुसीबत को उपहार के रूप में स्वीकार करना होगा तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है

    Devanand SinghBy Devanand SinghFebruary 12, 2021No Comments2 Mins Read
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    मुसीबत को उपहार के रूप में स्वीकार करना होगा तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है

    जमशेदपुर 12 फरवरी 2021

    आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से आनंद मार्ग आश्रम गदरा में नीलकंठ दिवस मनाया गया इस अवसर पर 3 घंटे का “बाबा नाम केवलम “अखंड कीर्तन का आयोजन किया गया 12 फरवरी 1973 को आनंद मार्ग के संस्थापक गुरु श्री श्री आनंदमूर्ति जी को बिहार के पटना बांकीपुर सेंट्रल जेल में इंदिरा की तानाशाही कांग्रेस सरकार के द्वारा चिकित्सा के नाम पर दवा के रूप में जहर दिया गया था इसका असर पूरे शरीर पर प्रकृति के अनुकूल पड़ा श्री श्री आनंदमूर्ति जी के पूरे शरीर सिकुड़ गई आंखों की रोशनी चली गई सर के बाल उड़ गए सभी दांत झड़ गए उसके बावजूद भी गुरु श्री श्री आनंद मूर्ति जी जीवित रहे 12 फरवरी के दिन आनंद मार्गी पूरे विश्व में नीलकंठ दिवस के रूप में मनाते रहे इस ऐतिहासिक दिन के अवसर पर आनंद मार्ग के संस्थापक के जीवन के विषय में बताते हुए राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि *श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने विष का पान कर दुनिया को यह बतला दिया कि दुनिया मे कितनी कड़ी से कड़ी मुसीबत आए उसका का सामना उसका सामना हर नैतिकवान पुरुष को करना होगा ना कि मैदान छोड़कर भाग जाना होगा मुसीबत को उपहार के रूप में स्वीकार करना होगा तभी मनुष्य अपने जीवन में बड़ा से बड़ा कार्य कर सकता है सुख और दुख दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जहां सुख है वहां दुख भी है केवल सुख रहने से ही जीवन का अनुभव कभी नहीं हो सकता दुख का आना भी मनुष्य के जीवन में जरूरी है क्योंकि इससे मनुष्य को तथा आने वाली पीढ़ी को मुसीबत का सामना कैसे किया जाए सीखने का मौका मिलता है

     

    नीलकंठ दिवस के अवसर पर आज लगभग 40 मोतियाबिंद रोगी ऑपरेशन निशुल्क ऑपरेशन के लिए पुर्णिमा नेत्रालय भेजे गए

    नीलकंठ दिवस के अवसर पर लगभग 50लोगों के बीच 300 सौ फलदार पौधे का वितरण किया गया अमरूद, कटहल ,आम ,आंवला, पपीता एवं छोटे पौधे फूल के भी वितरित किए गए

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