लोहरदगा – झारखंड के लोहरदगा जिले में अब पारंपरिक खेती के साथ साथ विदेशी खेती ड्रैगन फ्रूट की खेती देखने को मिल रही है। लोहरदगा की रहने वाली संगीता केरकेट्टा रोजगार के क्षेत्र में झारखंड सरकार के द्वारा वेकेंसी नहीं निकाले जाने से परेशान होकर पारा शिक्षक का पद छोड़कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाते हुए पिछले दो साल से इंटरनेट पर देखकर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर स्वरोजगार से जुड़ी हुई है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए उद्यान विभाग की ओर से प्रशिक्षण देकर पौधा दिया गया था जिससे कम लागत पर लाखो रुपए की कमाई उन्हे होने वाली है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती करके एक महिला ने यह साबित कर दिया है कि लोहरदगा की मिट्टी में सिर्फ धान की खेती ही नहीं बल्कि सुपर फ्रूट की भी बढ़िया फसल उगाई जा सकती है। संगीता केरकेट्टा एक पड़ी लिखी एम ए बीएड शिक्षित महिला है जिन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का निर्णय लिया और उद्यान विभाग से जुड़कर खेती शुरू कर दी फिलहाल संगीता 1 लाख रुपए लगाकर 50 डिसमिल में यह खेती कर रही है जिसमे उन्हें अछिबकमाई के साथ-बढ़िया मुनाफा हो रहा है। उनका मानना है कि आने वाले वर्षों में उन्हें इसकी खेती से लाखो रुपए का मुनाफा होगा।
संगीता बताती हैं लोहरदगा में जहां किसान बरसात में धान के खेती करके साल भर उसी पर आश्रित रहते है वहीं वो ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अपनी आय में चारगुना बढ़ोतरी कर सकते हैं।
इस फल की खेती में बहुत कम पानी की जरूरत होती है और एक बार फल तैयार होने के बाद ड्रैगन फ्रूट के पौधे में दिसंबर जनवरी तक फल लगते रहते है। बाजार में इसे 300 रुपए प्रति किलो बेचा जाता है वही 100 रुपए पीस के हिसाब से भी बेचा जाता है।
इस खेती को शुरू करने में और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में उद्यान विभाग भी जुटी हुई है और किसानों को सरकारी अनुदान का लाभ देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।