रांची हिंसा : पुलिस भी सबक ले और उपद्रवियों को भी सबक सिखाए
देवानंद सिंह
भाजपा प्रवक्ता: नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मोद पर दिए गए बयान के बाद देश भर में हो रहा बवाल खत्मा होने का नाम नहीं ले रहा है। यूपी से शुरू हुआ बवाल अब झारखंड तक पहुंच गया है। यह अपने आप में बहुत ही चिंताजनक है कि देश के अंदर जिस तरह हिंसा हो रही है, यह देश का सौहार्द लगातार बिगाड़ रहा है।
हैरानी इस बात पर होती है कि जब पुलिस प्रशासन ऐसी हिंसात्म क घटनाओं से निपटने की तैयारी नहीं करती है। रांची में जिस तरह बबाल हुआ, उसमें साफतौर पर पुलिस प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। अगर, पुलिस प्रशासन पहले से सक्रिय होता तो शायद, हिंसा इतनी उग्र नहीं होती। दो लोगों की मौत भी नहीं होती है और पुलिस के जवान भी घायल नहीं होते। उत्त र प्रदेश में कई दिनों से इस तरह की हिंसा हो रही है, कानपुर से शुरू हुआ विवाद प्रदेश के अन्यइ राज्योंी तक पहुंच गया है। लिहाजा, ऐसी हिंसा देश के किसी में हिस्सें में हो रही हो तो दूसरे राज्योंे को भी पुख्ता तैयारी करके चलना चाहिए, जिससे इस तरह के हालात पैदा होने से पुलिस प्रशासन तत्कालल अलर्ट हो जाए और प्रदर्शनकारी कोई उग्रता न दिखा पाए। मजे की बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में खुफिया विभाग भी पूरी तरह फेल नजर आया। गुरुवार रात को पोस्टगर बंटा गया था, जिसमें लोगों से हिंसा में जुटने का आवहान किया गया था। मेन रोड़ और आसपास के ईलाके में नुपुर शर्मा वाले ये पोस्टरर बांटे गए थे, सोशल मीडिया पर भी लोगों से जुमे की नमाज के बाद जुटने के लिए कहा गया था। इसके बाद लोग ईंट पत्थ र जुटाते रहे, पर इस बात की न तो खुफिया विभाग को और न ही रांची पुलिस को भनक लग पाई।
पुलिस की लचर व्य वस्थात का आलम यह रहा कि बिहार के मंत्री नितिन नवीन को स्कॉर्ट उपलब्ध करा दिया, पर सुरक्षित रास्ता नहीं बताया। इसका नतीजा यह हुआ कि मंत्री का काफिला भी उपद्रव में फंस गया। उपद्रवियों ने गाड़ी पर पथराव किया, पर गनीमत यह रही कि वह किसी तरह जान बचा पाए। जिस तरह की बात सामने आ रही है कि पुलिस को प्रदर्शन की सूचना थी, लेकिन पुलिस ने शांति समिति की बैठक कराने की जहमत नहीं उठाई। इतना ही नहीं, पुलिस के आला अधिकारियों ने अतिरिक्तं पुलिस बल का इंतजाम भी नहीं किया था, जिसकी वजह से हिंसा के दौरान हालात बेकाबू हो गए। फायरिंग तक की नौबत आ गई। हालात बिगड़ने के बावजूद अतिरिक्तक पुलिस बल को मौके पर पहुंचने के बावजूद अतिरिक्तज पुलिस बल को मौके पर पहुंचने में 40 मिनट से भी ज्यािदा वक्तक लग गया। पुलिस प्रशासन का इससे अधिक लापरवाही का अलाम और क्यात हो सकता है, जब डीसी ने कहा- हवाई फयार करो तो जवान की तरफ से जवाब आया- गोली का हिसाब क्या देंगे। फोर्स मांगी तो सार्जेंट बोले- जवान नहीं हैं। लिहाजा, 40 मिनट के अंदर हालात बेकाबू हो गए।
देश के अंदर जिस तरह का मौहाल नजर आ रहा है, उससे साफ जाहिर है कि आने वाले दिनों में कहीं भी इस तरह की हिंसा हो सकती है। यह बहुत ही चिंताजनक स्थिति है। जिस देश का सामाजिक तानाबाना पूरी दुनिया में अखंडता के लिए जाना जाता है, आज उस अखंडता पर पूरी दुनिया अपने नजरिए से बयान दे रही है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जहां राजनेताओं को विवादित टिप्पहणी करने से बचना चाहिए, वहीं लोगों को भी यह समझना चाहिए कि इस तरह की हिंसा से कुछ भी हासिल नहीं होगा। केवल देश का सौहार्द बिगड़ेगा। आपस में बैर बढ़ेगा तो हिंसा और भी उग्र रूप लेगी।
लिहाजा, जहां लोगों को इस तरह की हिंसा का रास्ताग नहीं अपनाना चाहिए, वहीं, पुलिस-प्रशासन को भी हर समय अलर्ट रहना चाहिए, जिससे इस तरह की हिंसा की घटना को उग्र रूप लेने से पहले रोक दिया जाए। बहरहाल, इस घटना से न केवल पुलिस प्रशासन को सबक लेने की जरूरत है, वहीं उन लोगों को सबक सिखाने की जरूरत है, जिन्होंसने हिंसा का रास्ताव अपनाकर राज्य का सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है। झारखंड सरकार इन उपद्रवियों ने उत्त र प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की तर्ज पर निपटना होगा, जिससे भविष्यक में कोई भी इस तरह की हिंसा का रास्ताद अपनाने की जहमत न सके।