लखनऊ। सूबे की योगी सरकार अब अपराध पर लगाम लगाने के लिए बुल्डोजर के बाद ‘फेस रिकग्निशन कैमरा’, का इस्तेमाल करेगी, जो सड़क पर निकलते ही अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा देगा। जी हां, योगी सरकार ने इसकी शुरुआत करते हुए एडवांस सर्विलांस सिस्टम के तहत वाराणसी के चौक, चौराहों और गलियों में कैमरा लगवा दिए हैं, जिससे अपराधियों का बच पाना मुश्किल ही नामुमकिन है। सरकार के सूत्रों ने बताया कि जल्द ही प्रदेश के दूसरे शहरों में भी इन कैमरों को लगवाया जाएगा, जिससे इन शहरों में भी अपराध पर काबू करने में मदद मिलेगी। बताया जा रहा है कि वाराणसी में 16 लोकेशन पर 22 कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे करीब 50 से 60 मीटर की दूरी से अपराधियों की पहचान कर लेता हैं। तुरंत ही काशी इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल रूम के सिस्टम में बैठे एक्सपर्ट पुलिस कर्मियों को अलर्ट कर देता है। फेस अलॉगर्थिम यानि डाटा बेस में मौजूद अपराधी की फोटो को कैमरे से कैप्चर करके पिक्चर से मिलान करेगा और उसकी विशेष पहचान कोडिंग और नाम से बता देगा। ये कैमरे अपराधियों की सालों पुरानी फोटो मास्क, हेलमेट या किसी भी प्रकार से ढके हुए चेहरों की भी पहचान कर लेते हैं। हुलिया बदलने के बाद भी अपराधी कैमरे की नजर से बच नहीं पाएंगे। मजे की बात यह है कि लाखों की भीड़ में भी फेस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर आपराधिक चेहरे को खोज निकालेगा। जो चेहरों की पहचान प्रतिशत में बता देगा। कैमरे पर मौसम की मार भी बे-असर है। लाइव फीड के अलावा ये सॉफ्टवेयर फोटो टू फोटो और फोटो टू वीडियो में भी अपराधी को सर्च कर सकता है। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में भारतीय, यूरोपियन और अमेरिकन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में क्राइम कंट्रोल के लिए योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में बुलडोजर का इस तरह इस्तेमाल किया कि ना सिर्फ इससे अराधियों में खौफ पैदा हुआ बल्कि यह सरकार की हनक का सिंबल भी बन गया है। इसी को देखते हुए यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में भी बुल्डोजर का कहर देखने को मिल रहा है।