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    Home » “प्रउत्त” दर्शन नव्य मानवतावाद की आधारशिला पर एक शोषण मुक्त मानव समाज के नव निर्माण का उद्घोषित करता है
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    “प्रउत्त” दर्शन नव्य मानवतावाद की आधारशिला पर एक शोषण मुक्त मानव समाज के नव निर्माण का उद्घोषित करता है

    News DeskBy News DeskApril 16, 2022No Comments4 Mins Read
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    मानव जीवन को सत्यम शिवम एवं सुंदरम में प्रतिष्ठित करना ही प्रउत का एकमात्र लक्ष्य है

     

    उपयुक्त आर्थिक नीति एवं दूरदर्शी नैतिक नेतृत्व का आभाव ही समाज में विषमता का एकमात्र कारण है

    विश्व मानवता उपयुक्त सही जीवन दर्शन के अभाव में घोर निराशा एवं हताशा की काली छाया के बीच चौराहे पर खड़े हैं

     

    “प्रउत्त” दर्शन नव्य मानवतावाद की आधारशिला पर एक शोषण मुक्त मानव समाज के नव निर्माण का उद्घोषित करता है

    जमशेदपुर 16 अप्रैल 2022

    प्राउटिस्ट यूनिवर्सल की ओर से आयोजित पत्रकार सम्मेलन न्यू सि,पी क्लब ,सोनारी राम मंदिर के पास में हुआ आयोजित हुआ विषय “आर्थिक प्रजातंत्र” पर मुख्य वक्ता प्राउटिस्ट यूनिवर्सल के विश्व स्तरीय सचिव आचार्य विमलानन्द अवधूत एवं दिल्ली सेक्टर के सचिव आचार्य परमानंद अवधूत ने बताया कि उपयुक्त आर्थिक नीति एवं दूरदर्शी नैतिक नेतृत्व का आभाव ही समाज में विषमता का एकमात्र कारण है पूंजीवाद ने मनुष्य का आर्थिक शोषण कर उसे भिखारी बना दिया है तो साम्यवाद ने धर्म को अफीम बताकर मनुष्य को हैवान बना दिया है विश्व मानवता उपयुक्त सही जीवन दर्शन के अभाव में घोर निराशा एवं हताशा की काली छाया के बीच चौराहे पर खड़े हैं हाल ही में वाशिंगटन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सभा में उपस्थित दुनिया के वित्त मंत्री सेंट्रल बैंक के प्रमुख एवं संसार के जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने एक स्वर में स्वीकार किया है कि तेज आर्थिक विकास का अब कोई मॉडल नहीं दिख रहा है पूंजीवाद का मौजूदा मॉडल ग्लोबल इकोनॉमी या उदारीकरण की अर्थव्यवस्था पर अब बंद गली के दरवाजे पर है और साम्यवाद की समाजवादी मॉडल तो काफी पहले ही अतीत का पाठ बन चुका है तब विकल्प क्या है ऐसी विषम परिस्थिति में सदी के महान दार्शनिक एवं युगदृष्टा श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा प्रतिपादित एक सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक सिद्धांत प्रउत (प्रगतिशील उपयोगी तत्व) ने दिग्भ्रमित मानव मनीषा में एक आशा की किरण जगाई है अध्यात्म पर आधारित “प्र उत्त” दर्शन नव्य मानवतावाद की आधारशिला पर एक शोषण मुक्त मानव समाज के नव निर्माण का उद्घोषित करता है “प्र उ त “चाहता है एक ऐसी समाज व्यवस्था जिसमे पर्यावरण अनुकुल समस्त जीव जंतु , पतंग पेड़ पौधे पशु पक्षी नर-नारी बच्चे बूढ़े गरीब अमीर सभी को स्वतंत्र रुप से जीने का अधिकार हो जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को जीवन की न्यूनतम आवश्यकता भोजन वस्त्र आवास शिक्षा एवं चिकित्सा की पूर्ति की गारंटी हो जिसमें सत प्रतिशत रोजगार के द्वारा उत्तरोत्तर प्रगति एवं जीवन स्तर में वृद्धि हो जिसमें गुणी जनों को न्यूनतम आवश्यकता के अतिरिक्त विशेष सुविधाएं प्रदान हो इसमें सभी प्रकार के संपदाओं का अधिकतम उपयोग एवं विवेक पूर्ण वितरण जिसमें सबको शारीरिक ,मानसिक और अध्यात्मिक विकास का समान शुअवसर हो जिसमें सभी को सभी प्रकार जिसमें सभी को सभी प्रकार की जीवन पर आधारित सुख सुविधा उपलब्ध हो किसी भी परिस्थिति में किसी भी प्रकार से शोषित होने की कोई गुंजाइश ना हो वही है “प्र उत “की आर्थिक प्रजातंत्र की परिकल्पना

    कट्टर नैतिक वान पक्का चरित्रवान सच्चा आध्यात्मिक पक्का प्रउतवादी नव्य मानवतावादी और प्रगतिशील समाजवादी हो जो सम समाज तत्वों से प्रेरित होकर “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय” की भावना से ओतप्रोत हो और निस्वार्थ सेवाभावी हो जो शारीरिक स्वरथ मानसिक सबल एवं अध्यात्मिक उन्नत हो और समाज में व्याप्त सभी प्रकार के अन्याय के विरुद्ध सदैव संघर्षशील हो ऐसे अद्भुत गुणों से युक्त व्यक्तित्व का नाम होगा सद् विप्र और ऐसे सद्विप्रो कल्याणकारी अधिनायक तत्व को कहेंगे नैतिक नेतृत्व यही है प्रउत्त के नैतिक नेतृत्व की परिकल्पना
    “प्रउत”का आर्थिक प्रजातंत्र एवं नैतिक नेतृत्व ही समाज की मांग है और अस्ति भांति आनंदम की प्राप्ति कर मानव जीवन को सत्यम शिवम सुंदरम में प्रतिष्ठित करना ही प्रउत का एकमात्र लक्ष्य है

    प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षा सबके लिए समान और निशुल्क हो एवं शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो शिक्षा शिक्षण संस्थानों संस्थाओं का संचालन अराजनैतिक नैतिक वान एवं नव्य मानवतावादी शिक्षा विदो द्वारा गठित शिक्षा परिषद द्वारा शिक्षा के बाद युवाओं को डिग्री या डिप्लोमा का सर्टिफिकेट नहीं बल्की योग्यता के आधार पर रोजगार आदेश की गारंटी हो विदेशी बैंकों में जमा पूंजी देश में वापस लाकर स्थानीय कच्चे माल पर आधारित व्यापक औद्योगीकरण हो और रोजगार के अवसर का सृजन हो कृषि को उद्योग का दर्जा प्राप्त हो एवं कृषि आधारित कृषि सहायक उद्योगों का संचालन स्थानीय सहकारी समितियों द्वारा हो उद्योगों की व्यवस्था एवं आमदनी में श्रमिकों की भागीदारी हो एवं कार्यकाल घटाकर श्रमिकों के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त हो काले धन पर रोक हेतु समस्त आयकर समाप्त हो एवं इसके बदले समस्त वस्तुओं उत्पादन कर लागू हो और भोग विलासिता की वस्तुओं पर विशेष सेवा कर लागू हो

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