हर कार्यकर्ता सोनिया राहुल प्रियंका ,सोनिया का इमोशनल कार्ड पार्टी को करेगी मजबूत!
देवानंद सिंह
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी करारी हार का सिलसिला कायम रहने पर मंथन करने बैठी कांग्रेस कार्यसमिति अपेक्षित नतीजे पर ही पहुंची।सोनिया गांधी ने बैठक में कहा पार्टी का हर कार्यकर्ता सोनिया राहुल और प्रियंका है इसका मुझे हमेशा आभास रहता है
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने परिवार को पार्टी से अलग करने की पेशकश का ‘इमोशनल कार्ड खेला’ तो कार्यसमिति के उन नेताओं के दांव भी फीके पड़ गए जो कांग्रेस मैनेजमेंट को समय-समय पर कठघरे में खड़ा करते रहते हैं। वहीं, समिति में शामिल कई नेताओं ने तो राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की मांग जोर-शोर से उठा दी।
इससे पहले, सोनिया ने कहा कि अगर कार्यसमिति को लगता है कि उनके परिवार के हटने से कांग्रेस मजबूत हो सकती है तो वो अपने बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस छोड़ने को तैयार हैं। बताया जाता है कि सोनिया के इतना कहते ही बैठक में शामिल नेता सन्न रह गए और सबसे पहले गुलाम नबी आजाद ने ‘ना, ना’ के अंदाज में यह प्रस्ताव खारिज कर दिया। आजाद समेत कार्यसमिति के सभी सदस्यों ने सोनिया से अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाते रहने का आग्रह किया।
ध्यान रहे कि गुलाम नबी आजाद उस ग्रुप-23 के अग्रिम नेताओं में हैं जिसने अगस्त 2020 में सोनिया गांधी को ही चिट्ठी लिखकर कांग्रेस मैनेजमेंट में बदलाव की मांग की थी। उसके बाद से यह ग्रुप गांधी परिवार के समर्थक समूह के निशाने पर रहता है। दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज कांग्रेसी ग्रुप-23 नेताओं को काफी भला-बुरा कह चुके हैं। इस ग्रुप पर बीजेपी का सहयोगी होने तक का आरोप मढ़ा जा चुका है।
बहरहाल, सीडब्ल्यूसी की मीटिंग से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार जैसे नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस दफ्तर के बाहर जुटे पार्टी कार्यकर्ताओं के हुजूम ने राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष पद देने की मांग की। हालांकि, मीटिंग में तय हुआ कि संसद का बजट सत्र खत्म होने के बाद चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा जिसका प्रस्ताव गहलोत ने ही दी। शिविर से पहले एक बार फिर से सीडब्ल्यूसी बैठेगी। फिर सितंबर महीने में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव होगा।
सूत्रों के मुताबिक, 4.30 घंटे चली बैठक में टर्निंग पॉइंट तब आया जब सोनिया गांधी ने कहा कि उनके लिए कांग्रेस पार्टी सब कुछ है, इसलिए अगर उनका परिवार इसके विकास में बाधक है तो वो तीनों (सोनिया, राहुल और प्रियंका) पार्टी छोड़ने को तैयार हैं। तब आजाद ने कहा, ‘हमने आपके नेतृत्व पर कभी सवाल नहीं उठाया बल्कि पार्टी जिस तरह चलाई जा रही है, उस पर चिंता व्यक्त की है।’ बैठक के बारे में जारी बयान में कहा गया, ‘सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में भरोसा जताते हुए उनसे अध्यक्ष पद पर बने रहने का आग्रह किया। कार्यसमिति ने प्रभावी और अनिवार्य सांगठनिक बदलावों के जरिए कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरियों को दूर करने का आग्रह किया ताकि राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया जा सके।’
बहरहाल सोनिया गांधी कांग्रेस की चिंतन शिविर तक कमान संभाले रहेगी परंतु झारखंड के कांग्रेसियों को भी इस पर आप मंथन करने की आवश्यकता है जिस तरह झारखंड में कांग्रेसियों के बीच गुटबाजी चल रही है उससे कांग्रेस मजबूत नहीं बल्कि कमजोर होगी झारखंड के कांग्रेसियों को चाहिए अपने आलाकमान के संदेश से सीख लेकर गुटबाजी खत्म कर पार्टी को मजबूत करने के लिए जनता के बीच जाए