लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में पांच फेज का चुनाव संपन्न हो चुका है। दो फेज का चुनाव और बचा है। कल यानि 3 मार्च को छठे चरण के चुनाव के लिए मतदान होगा, जबकि 7 मार्च को आखिरी चरण के चुनाव के लिए मतदान होगा। कुल मिलाकर अब तक हुए पांच चरणों के चुनाव के तहत 292 सीटों के मतदान हो चुका है और अब 111 सीटों पर मतदान होना है। आज यानि बुधवार को होने वाले छठे चरण के चुनाव के तहत 57 और 7 मार्च को होने वाले सातवें और आखिरी चरण के तहत 54 सीटों के लिए मतदान होगा। यानि ये दो चरण ही निर्णायक साबित होने वाले हैं, क्योंकि अभी तक की स्थिति बहुत टफ मानी जा रही है। खासकर, बीजेपी के लिए। जिस तरह हर चरण में उम्मीद के मुताबिक वोट प्रतिशत कम रहा है, उसमें सपा को फायदा मिलता दिख रहा था, क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि सपा का वोटबैंक बीजेपी के वोटबैंक की तरह बंटा नहीं। इसका दूसरा कारण यह भी रहा कि बीजेपी का वोटबैंक कम संख्या में वोट देने घर से बाहर निकला। खासकर, पहले, दूसरे और तीसरे चरण तक स्तिथि ज्यादा मुश्किल बनी हुई थी। लेकिन चौथे और पांचवें चरण में बाजी बीजेपी की तरफ जाती हुई दिखी। इसीलिए आगामी बचे दो चरणों में बहुत बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो यूपी चुनाव अब सर्वे में दिखाए गए परिणामों की तरफ बढ़ रहा है। यानि कि योगी आदित्यनाथ ही एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इतना जरूर कहा जा सकता है कि बीजेपी को जो सीटें मिलने का आंकलन किया जा रहा था, वह थोड़ा इधर-उधर हो सकता है। पर बहुमत से सरकार बनाएगी, इसमें कोई शक नहीं है। जिस तरह से योगी के कार्यकाल में पूर्वांचल का काफी विकास हुआ है, उसके मद्देनजर बीजेपी को फायदा मिलेगा। यहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मतदाताओं के बंटने की संभावना कम दिखती है। इसीलिए यह बेहद महत्वपूर्ण होगा कि इन दो चरणों को किस तरह बीजेपी और सपा भुना पाते हैं। खासकर, जिस तरह शुरूआती चरणों में सपा काफी आत्मविश्वास में दिख रही थी, जैसे-जैसे मतदान के चरण आगे बढ़ रहे हैं, उसमें उसका आत्मविश्वास डोलता हुआ नजर आ रहा है। क्योंकि निर्णायक भूमिका की तरफ बढ़ रहा चुनाव अब सर्वे के आंकड़ों को दर्शाता हुआ नजर आ रहा है। लिहाजा, यहां सपा की तरह ही बीजेपी को भी मेहनत करने की जरूरत है। क्योंकि बची 111 सीटें न केवल अच्छी जीत दिलाने में मददगार साबित होंगी, बल्कि जिस तरह का दावा पार्टियों द्वारा चुनाव से पहले किया जा रहा था, वह भी पूरा हो सकेगा। और यह सब तब होगा, जब दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के वोटों के गणित को बिगाड़ने में सफल हो पाएंगी।