नई दिल्ली। अभी कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरियंट से ही छुटकारा मिल नहीं पाया है, इसी बीच एक नए वायरस नियो कोव (NeoCov) ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। जिसे न केवल कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है, बल्कि कोरोना से अधिक जानलेवा भी बताया जा रहा है। यह वैरियंट भी चीन के ही उसी वुहान लैब में चमगादड़ों में पाया गया है, जहां से कोरोना फैला था, जिसने पिछले दो वर्षों में लाखों जानें लीं हैं और जिसका सिलसिला अभी तक थमा नहीं है। चिंताजनक बात यह है कि वुहान लैब के वैज्ञानिकों ने इसके कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक होने की संभावना जताई है। वैज्ञानिकों के अनुसार नियो कोव की संचरण दर काफी तेज हो सकती है और यह संक्रमित होने वाले 3 लोगों में से 1 की मौत का कारण बन सकता है। कथित तौर पर नियो कोव वायरस दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले सामने आया है। इस वायरस की बात सामने आने से चिंता इसीलिए बढ़ती है, क्योंकि इसको लेकर डब्लूएचओ भी चिंतित है। कोरोना वायरस के दौरान लंबे समय तक लापरवाह बने डब्लूएचओ ने इस नए वैरियंट को लेकर कहा है कि कोरोना की तरह ही यह मनुष्यों को खतरा पहुंचा सकता है। हालांकि, उसने इस पर और रिसर्च किए जाने पर जोर दिया है। फिलहाल, जो बात सामने आ रही है, उसके मुताबिक इस वेरिएंट को मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम का म्यूटेशन बताया जा रहा है, जिसने 2012 और 2015 में मध्य पूर्व के देशों में अपना प्रकोप फैलाया था। एक अध्ययन से पता चला है कि नियो कोव और इसका करीबी साथी पीडीएफ-2180- कोव चमगादड़ के एंजियोटेंसिन एंजाइम 2 और इंसानों के एसीई 2 वायरस का इस्तेमाल करके मानव शरीर में प्रवेश कर सकता है। फिलहाल, अब तक इस वायरस से इंसानों के संक्रमित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। अगले छह हफ्ते में नए वेरिएंट के विश्व भर में फैलने की आशंका व्यक्त की जा रही है। लेकिन जिस तरह वैज्ञानिकों ने इसके कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक होने की संभावना जताई है, उससे चिंता बढ़ना लाजिमी है, क्योंकि यह ऐसे वक्त में एक नए तरह का खतरा है, जब दुनिया कोरोना के ओमिक्रोन और डेल्टा जैसे वैरियंट से लड़ रही है। भारत की ही बात करें तो आंकड़ों में भले ही कोरोना के नए मामले कम हो रहे हों, लेकिन जिस हिसाब से मौतों का आंकड़ा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है, वह चिंता की बात है। ठीक यही ट्रेंड अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस सहित कई देशों में भी देखने को मिल रहा है। इन देशों में तो नए केस भी बढ़ रहे हैं। नए संक्रमितों के मामले में अमेरिका 5.22 लाख केस के साथ पहले नंबर पर है। वहीं, 3.53 लाख नए केस के साथ फ्रांस दूसरे नंबर पर और ब्राजील 2.57 लाख मरीजों के साथ तीसरे नंबर पर है। नए संक्रमण से एक दिन में सबसे ज्यादा 2,805 मौतें अमेरिका में हुई हैं। भारत में 862 और ब्राजील में 779 लोगों की मौत हुई हैं। एक्टिव केस में भी अमेरिका टॉप पर है। पूरी दुनिया में 7.26 करोड़ एक्टिव केस हैं। इनमें से अकेले 2.86 करोड़ अमेरिका में हैं। अब तक 37.21 करोड़ से ज्यादा लोग महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 29.37 करोड़ ठीक हो चुके हैं। वहीं, 56.72 लाख ने जान गंवाई है। अमेरिका अभी इकलौता देश है, जहां हर रोज संक्रमण से एक हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं। यहां स्थिति यह है कि ओमिक्रॉन की वजह से होने वाली रोजाना मौतों का आंकड़ा डेल्टा लहर के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है। यहां रोजाना होने वाली मौतों के साप्ताहिक औसत में नवंबर से ही बढ़ोतरी देखी जा रही है। गत गुरुवार को यह औसत 2,267 तक पहुंच गया, जबकि डेल्टा संक्रमण के दौरान सितंबर में यह औसत 2,100 था। यानी डेल्टा से ज्यादा मौतें ओमिक्रॉन की वजह से हो रही हैं। भारत के संदर्भ में आंकड़ों की कमी को इस संदर्भ में देखा जा रहा है कि यहां टेस्टिंग जिस हिसाब से होनी चाहिए, उस हिसाब से नहीं हो रही है और साथ ही सेल्फ टेस्ट किट, जो भारतीय बाजार में उपलब्ध है, उससे भी लोग कोऱोना टेस्ट कर लें रहे हैं, जो अधिकृत डाटा में दर्ज़ नहीं हो पा रहा है। इसलिए भारत में केस कम हो रहे हैं, इसे मानकर लापरवाही बरतना बढ़ी भूल साबित हो सकता है। हाल के दिनों में कुछ राज्यों में कोरोना के केस में गिरावट आई है, जिसके चलते कोविड प्रतिबंधों से लोगों को छूट दी गई है। दिल्ली में लगे वीकेंड कर्फ्यू को हटा लिया गया है और ऐसा ही कई राज्यों में भी देखने को मिला है। अगले छह से आठ हफ्ते तक उसी तरह से सावधानियां बरतने की जरूरत है जैसा कि हम सभी ने लाकडाऊन के दौरान बरती थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार का पालन करने में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतने की चेतावनी जारी की है। डब्लूएचओ ने कहा है कि खतरा अभी भी बना हुआ है और ऐसे में हमें हालात के मुताबिक उपाय करने की जरूरत है। इस चेतावनी को इसीलिए गंभीरता से लेने की जरूरत है, क्योंकि चाइना में जो नया वेरिएंट आया है और उसके बारे में जो रिपोर्ट आ रही है, वह काफी खतरनाक है। जिस तरह अलग-अलग रिर्पोटों में हर तीसरे संक्रमित व हर दसवें संक्रमित की मौत की बात कही जा रही है। वह चिंता को काफी गुना बढ़ा देता है। भारत के संदर्भ में ऐसा हुआ तो इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर देखने को मिल सकता है। अस्पतालों में एक बार फिर से मारामारी का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसीलिए एहतियात बरतना ही सबसे अच्छा उपाय साबित हो सकता है।
दुनिया में मंडराया एक और वायरस का खतरा, वैज्ञानिकों की चेतावनी, नियो कोव नाम का यह वायरस कोरोना से ज्यादा हो सकता है खतरनाक
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