प्रिंन्स कुमार मिठू की रिपोर्ट
मधेपुरा (उदाकिशुनगंज )।यह दीपावली कुछ खास होने का संकेत दे रही है । आधुनिकता के इस दौर में अपनी परंपराओं को पीछे छोड़ता यह त्यौहार एक बार फिर चीनी झालरों के आरती लोगों में नजर आ रहा आक्रोश, देशी दीयों की ओर बढ़ने लगा आकर्षण
भारी डिमांड की उम्मीद देख दीया बनाने में जुटे कुम्हार परिवार के बच्चे और महिलाएं
प्राचीन विरासत की ओर लौटता नजर आ रहा है। दीपावली की तैयारी में जुटे कुम्हारों और उनके परिजनों के चेहरे पर नजर आ रही मुस्कान, इसी तरफ इशारा कर रही है । बदलते हालत में लोगों का चीनी झालरों के प्रति नजर आ रहा है गुस्सा कुम्हारों के बनाए दीपकों का क्रेज बढ़ने का संकेत दे रहा है। सुख समृद्धि खुशहाली और रोशनी का प्रतीक दीपावली त्यौहार पूरी तरह आधुनिकता की भेंट चढ़ गया है। दीपों के त्योहार पर चीनी झालर हावी हो गई थी जिससे मिट्टी के दीयों के प्रति लोगों का मोहभंग हो गया था। वही वहां के स्थानीय पंडित ने बताया कि वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार मिट्टी के दीए में सरसों का तेल डालकर जलाने से वातावरण स्वच्छ होता है । इस प्रथा का अपना अलग वैदिक महत्व भी है। आज जब पाकिस्तान कुकृत्यों को चीन ने बढ़ावा देना शुरू किया तो चीनी सामानों के प्रति देश के युवाओं का आक्रोश बाहर आ गया ।तमाम लोगों और संगठनों ने चाइनीस सामानों के प्रयोग बंद करने की सौगंध लिया तो कुम्हारों के दिल में यह दीपावली कुछ खास होने की उम्मीद नजर आने लगी।शायद ऐसे कुम्हारों के परिवारों की खुशियों के साथ साथ दीपावली का भी पुराना गौरव लौट सके।