…सितम पर, मलहम लगाना उचित नहीं!
अजीत कुमार
गाजियाबाद के लोनी में एक बुजुर्ग की पिटाई मामले के सहारे देश-प्रदेश के अमन-पसंद अवाम के बीच नफरत बोने की पूरजोर कोशिश की गई। मामले को तूल देने के प्रयास भी कम नहीं हुए। शुक्र है, कि मामले को जिस अंजाम तक पहुंचाने की साजिश रची गई थी, उसमें साजिशकर्ताओं को सफलता नहीं मिल पाई। न ही, तो…!!हालांकि, पुलिस की सक्रियता कहिये या शासन-प्रशासन की सख्ती, मामले में टि्वटर प्रमुख सहित दो पत्रकार व अन्य के खिलाफ सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने, समाज विरोधी संदेश को लगातार प्रसारित करने तथा देश-प्रदेश के विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच शत्रूता के संप्रवर्तन के आरोप में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
मामला बेशक क्षेत्रीय कोतवाली थाने में दर्ज कर लिया गया हो, पर संबंधित घटना के माध्यम से हम अमन-पसंद देशवासियों को संदेश क्या हासिल हुआ? यही न, कि कुछ ताकतें अभी भी सक्रिय हैं, जो समाज के बीच, मौका पाकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के प्रयास में लग पड़े हैं! आश्चर्य की बात तो यह है कि ऐसे लोग कहीं बाहर से आए हुए नहीं हैं। ऐ नासूर हमारे-आपके बीच ही पले-बढ़े और जवां हुए हैं। और जब, इन्हें अपनी जवां और जिस्मानी ताकतें देश-प्रदेश को संवारने में लगाने की जरूरत है, तब ऐ जिस माटी में धूल-धूसरित हो मजबूत हुए, जिस भारतीय समाज का प्यार पा पहलवान हुए, उसी को लहूलुहान व चिथड़े-चिथड़े करने पर आमादा हैं…!! सवाल यह उठता है कि देश और समाज को, किसी भी तरीके से लहूलुहान करने की सोच रखने वाला या ऐसी किसी साजिश का साझीदार बनने वाला कोई भी व्यक्ति, चाहे वह जिस भी जाति-धर्म-संप्रदाय से ताल्लुकात रखने वाला हो, वह सच्चा हमवतनी हो सकता है क्या…?? या, ऐसा कोई भी सियासी दल, जो इस साजिश का साझीदार रहा हो, पर हमसब या हमारा देश विश्वास व गर्व कर सकता है क्या…?? देश की पहचान और गौरव, किसी जाति-धर्म-संप्रदाय से ऊपर नहीं होना चाहिए क्या..?? यह सवाल आप पर छोड़ता हूं।
जहाँ तक मेरा मानना है, तो अपने देश और समाज के प्रति ऐसा क्रूर सोच रखने वाला कोई व्यक्ति हो या सियासी दल, एक आला दर्जे के अपराधी से ज्यादा कुछ भी नहीं। और, ऐसे लोगों व सियासी दल के खिलाफ ऐसी सख्ती बरती जानी चाहिए, ताकि ऐ फिर से, नफरत के बीज बोने या ऐसी कोई साजिश रचने की हिमाकत न कर सकें। क्योंकि, ऐसे लोग या ऐसा कोई सियासी दल देश और समाज ही नहीं, मानवता के भी दुश्मन सरीखे हैं!
लेखक पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता हैं