पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के चुनाव परिणामों के बाद जहां एनडीए की ओर से नयी सरकार बनाने की कवायद की जा रही वहीं दूसरी ओर जो- तोड़ की सियासत भी शुरू है. महागठबंधन को लगता है कि अब भी उनके पास सरकार बनाने की संभावनाएं मौजूद हैं अगर उनके पुराने साथी जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी अगर उन्हें सपोर्ट कर दे तो. हालांकि राजनीतिक गलियारे में चल रही तमाम अटकलों पर तब विराम लग गया जब इन दोनों ही नेताओं ने ऐसी किसी भी संभावाना से साफ इनकार कर दिया.
जीतन राम मांझी ने सभी कयासों पर विराम लगाते हुए साफ कर दिया है कि वे मरते दम तक नीतीश कुमार के साथ बने रहेंगे. उन्होंने कहा है कि उन्हें दूसरे दलों से बुलावा आ रहा है, लेकिन वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में ही रहेंगे. बता दें कि इसके पहले जीतन राम मांझी ने कहा था कि वे मुख्यमंत्री (CM) रह चुके हैं, इसलिए नई सरकार में मंत्री नहीं बनेंगे.
वहीं, विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश साहनी ने भी साफ-साफ कहा है कि पहले तेजस्वी यादव ने उनकी पीठ में छुरा घोपा था और अब मुख्यमंत्री बनने का ऑफर दे रहे हैं .उन्होंने कहा कि सन ऑफ मल्लाह फंसना नहीं फंसाना जानता है. मुकेश सहनी ने कहा कि तेजस्वी ने उनके साथ धोखा किया है तब जाकर उनको बीजेपी के साथ आना पड़ा और एनडीए में शामिल होकर 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे.
बता दें कि बिहार में एनडीए के पास बहुमत का 125 का आंकड़ा जीतन राम माझी की हम की चार व मुकेश सहनी की वीआईपी की चार, यानी कुल आठ सीटों के साथ पहुंचता है. दूसरी ओर महागठबंधन के नेताओं को लगता है कि उनके ये दोनों पुराने साथी पाला बदल लें और असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के पांच विधायक उनका साथ दें तो वे सरकार बनाने में सफल हो जाएंगे.
जाहिर है मांझी और सहनी की बातों से अब साफ लगता है कि महागठबंधन की सरकार बनाने की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं. हालांकि राजनीति में कब क्या हो जाए यह कहना बेहद कठिन होता है.