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    Home » बिहार चुनाव :  रोज नए समीकरण और मोर्चे बन-बिगड़ रहे हैं
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    बिहार चुनाव :  रोज नए समीकरण और मोर्चे बन-बिगड़ रहे हैं

    Devanand SinghBy Devanand SinghOctober 5, 2020No Comments3 Mins Read
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    बिहार में भले गठबंधन टूट रहे हैं और इस चुनाव में रोज नए समीकरण और मोर्चे बन और बिगड़ रहे हैं लेकिन यहां के चुनाव में अब भी सबसे बड़ी भाजपा और सबसे पुरानी कांग्रेस न केवल गठबंधन की बदौलत रण में हैं बल्कि क्षेत्रीय क्षत्रपों को ही बड़ा भाई मानकर सत्ता पर काबिज होने को बेताब है। दूसरी तरफ, क्षेत्रीय क्षत्रप नीतीश कुमार हों या लालू प्रसाद दोनों की सरकारें भी गठजोड़ की बदौलत ही बनती रही हैं।

    कांग्रेस पर राजद और भाजपा पर जदयू बीस
    दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को भी बिहार में नीतीश कुमार को ही चेहरा बनाकर मैदान में उतरना पड़ रहा है। कांग्रेस की यही स्थिति कमोवेश तीन दशक से बिहार में है। वह राजद के सहारे है। पिछली बार नीतीश राजग से अलग हो गए, तो भाजपा लड़खड़ा गई।कांग्रेस जब-जब अकेले लड़ी, सीटों में कमी आई। इस बार भी महागठबंधन कर कांग्रेस फायदे में है। पिछले चुनाव के मुकाबले उसने इस बार बंटवारे में ज्यादा सीटें झटक ली है। जदयू-भाजपा में भी भले दोनों ने आधी-आधी सीटों के फार्मूले पर सहमति बना ली है लेकिन एक सीट से ही सही जदयू ही बीस पड़ा है।

    गठबंधन वाली पहली सरकार 1967 में
    राज्य के 243 विधानसभा क्षेत्रों पर अकेले दम पर कोई भी पार्टी चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। 1990 तक कांग्रेस अकेले लड़ने का दावा करती रही है लेकिन 1990 के बाद कांग्रेस ने भी धीरे-धीरे अपनी जमीन खो दी। बिहार में गठबंधन की पहली सरकार मार्च 1967 में ही बन गई थी।

    उस सरकार को संविद सरकार कहा गया। इसे कांग्रेस को छोड़कर तब की लगभग सारी पार्टियों के विधायकों का समर्थन हासिल था। इस गठबंधन का नाम संयुक्त विधायक दल था। जनक्रांति दल के नेता महामाया सिंह मुख्यमंत्री बने। हालांकि इस सरकार का अनुभव बेहद खराब रहा और कुछ महीनों मे ही यह सरकार गिर गई। जनवरी 1968 में कांग्रेस ने सरकार बनाई।1972 में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।

    कर्पूरी ठाकुर, लालू, रामसुंदर भी गठबंधन सरकार के सीएम रहे
    जून 1977 में फिर एक बार गठबंधन की सरकार बनी और कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने। 1979 में इस सरकार के गिरने के बाद फिर गठबंधन की सरकार बनी और रामसुंदर दास मुख्यमंत्री बने। 1980 में एक बार फिर कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई और अगले दस साल तक पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में बनी रही।

    1990 में भाजपा और झामुमो के समर्थन से जनता दल की गठबंधन वाली सरकार बनी और लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बने। तब से अब तक लगातार गठबंधनों की ही सरकार बनती रही है।

    लालू- नीतीश को दूसरों का ही सहारा
    राजनीति में लोकप्रियता के ग्राफ में न तो लालू प्रसाद कम रहे, न ही नीतीश कुमार कम हैं लेकिन सच्चाई यही है कि ये दोनों नेता भी अपने दम पर कभी सरकार नहीं बना पाए। 1990 से 1997 तक लालू प्रसाद भी कई दलों के गठबंधन की सरकार चलाते रहे।

    लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद 1997 में राबड़ी देवी ने उसी गठबंधन का नेतृत्व किया। 2000 में नीतीश कुमार भी भाजपा-जदयू की गठबंधन सरकार के ही मुखिया बने। सात दिनों बाद ही ये सरकार गिर गई। इसके बाद फिर राजद की गठबंधन सरकार बनी।

    2005 में नीतीश कुमार फिर भाजपा-जदयू गठबंधन की सरकार के मुखिया बने। यह गठबंधन 2015 तक कायम रहा। 2015 में राजद, कांग्रेस और जदयू के महागठबंधन की सरकार बनी। 26 जुलाई 2017 को जदयू ने इस गठबंधन से नाता तोड़ कर फिर भाजपा से गठबंधन किया। फिर भाजपा-जदयू गठबंधन की सरकार बनी जो अब तक कायम है।

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