निशिकांत ठाकुर
दिल्ली के रामलीला मैदान में 14 दिसंबर को आयोजित कांग्रेस की महारैली को देखने के बाद ऐसा लगता है कि भाजपा का यह नारा बुरी तरह फेल हो गया कि वह ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बना सकेगी। इस महारैली में कांग्रेस ने यह दम दिखा दिया कि भाजपा का नारा भविष्य में कभी साकार नहीं हो सकेगा। देश के जितने लोगों ने उस महारैली में भाग लिया था, उनमें सभी स्थानीय नहीं थे, बल्कि देश के कोने—कोने से आए पार्टी के सदस्य थे। देशभर के कार्यकर्ताओं ने जिस उत्साह और जोश से इस महारैली में हिस्सा लिया, वह अंग्रेजों से आजादी काल की याद दिलाने के लिए काफी है। ऐसी रैलियां तब आयोजित की जाती थीं, जब महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल अंग्रेजों के विरुद्ध आवाज बुलंद करते थे। जब देश की जनता सड़क पर उतरकर अंग्रेजों के कुकर्मों को उजागर करती थी, तो उसका असर समाज तथा जनता पर व्यापक रूप से पड़ता था। इस महारैली से भी ऐसा लगने लगा है कि निकट भविष्य में इसका व्यापक असर होगा। जिस प्रकार कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने देशहित में वोटचोरी के खिलाफ प्रदर्शन किया, उसका सुफल तो कुछ न कुछ लोकहित में होगा ही। लेकिन, चुनाव का समय ही कुछ ऐसा होता है, जब सारी बाजी पलट जाती है और इसका क्या परिणाम आएगा, इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। महाराष्ट्र, हरियाणा तथा अभी पिछले दिनों बिहार विधानसभा चुनाव में जो कुछ हुआ, उसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी।
इस महारैली में देशभर से आए कांग्रेस ने नेताओं ने बड़े उत्साह और जोश से शामिल होकर अपने भाषणों के माध्यम से देश की जनता को संबोधित किया। सभी नेताओं का भाषण भाजपा पर तरह—तरह के प्रहारों पर ही आधारित था, ऐसा इसलिए भी कि यह रैली ही वोट चोरी के तथाकथित आरोपों को प्रमाणित करना ही था, लिहाजा सभी नेताओं के भाषण का यही अभिप्राय था कि देश की जनता को अब सावधान होने की जरूरत है और वर्तमान सरकार को सत्ता से उखाड़ने की जरूरत है। कांग्रेस के सभी नेताओं के भाषण का सार लगभग यही था कि चुनाव यदि बैलेट पेपर से कराएं जाएं, तो वर्तमान सरकार सत्ता में नहीं रह सकेगी। यही नहीं, केंद्रीय सरकार तथा राज्यों में बनी भाजपा की सरकार वोट चोरी के दम पर ही बनी है। प्रमाण के रूप में दिखाया गया कि वोट चोरी के खिलाफ पांच करोड़ से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर करके बताया है कि वोट की चोरी हुई है और यदि इसका समाधान नहीं ढूंढा गया, तो हो सकता है आगे भी इसी तरह चोरी के वोट से सरकार बनती रहेगी, जो देशहित में नहीं होगा। इस वोट चोरी में केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि चुनाव आयोग की भी मिलीभगत है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रैली में आए कार्यकर्ताओं के आभार प्रकट करते हुए प्रश्न किया कि वोट क्या है, इसकी ताकत क्या है, इसे समझना बहुत जरूरी। आजादी से पहले जब नेहरू जी लोगों से मिलने जाते थे, तो उन्हें एक सूत्र में पिरोते थे। इसी वोट के आधार पर जनता ने अपनी सरकार चुनी। जनहित की रक्षा के लिए विभिन्न संस्थाएं बनाईं। आज उन्हीं पर प्रहार हो रहा। कांग्रेस का बैंक अकाउंट बंद कर दिया। अनेक नेताओं को जेल में डाला। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा सही चुनाव बैलेट पेपर से करा ले जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि आगे किस दल की सरकार बनती है। प्रियंका गांधी ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में तीन करोड़ नाम मतदाता सूची से काटे गए और बिहार चुनाव में भी वोट चोरी हुई, जिससे जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती है। भाजपा पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए प्रियंका ने कहा कि आज हालात ये हैं कि पिछले आम चुनाव में मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला गया, कांग्रेस का बैंक अकाउंट बंद कर दिया गया, भ्रष्टाचार के नाम पर बेबुनियाद आरोप लगाए गए। जिन लोगों का दिल कमजोर था, जो इस दबाव को सह नहीं पाए वह भाजपा में शामिल हो गए। जैसे-जैसे लोग भाजपा में शामिल होते गए, वह ‘वॉशिंग मशीन’ में धुलकर साफ होते गए।’
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार ने सदन के सामने गलत जानकारियां पेश कीं। राहुल गांधी ने सबूतों के साथ यह बताया है कि देश में ‘वोट चोरी’ हो रही है। देश की जनता भाजपा को नहीं चुन रही, लेकिन फिर भी यह सारे नियमों को दरकिनार कर ‘वोट चोरी’ की सरकार बना रही है। दूसरी बात, हमने वोट कैसे और किस तरह चुराए गए, हमने सबूत पेश किए। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार ने सदन के सामने गलत जानकारियां पेश कीं। खरगे ने भाजपा को ‘गद्दार और ड्रामेबाज’ बताते हुए कहा कि आरएसएस और मनुस्मृति की विचारधारा देश को खत्म कर देगी। उन्होंने देश, वोट और संविधान को बचाने के लिए कांग्रेस का साथ देने का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा ही देश को बचा सकती है, भागवत और मनुस्मृति की विचारधारा देश को बचाएगी नहीं, बल्कि खत्म कर देगी। इन्हीं के रास्ते पर नरेन्द्र मोदी चल रहे हैं। उनका कहना था कि हिंदुत्व के नाम पर गरीबों को फिर से गुलामी में रखने का प्रयास हो रहा है।
संसद और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, “उनके (भाजपा के) पास सत्ता है। वे वोट चोरी करते हैं… चुनाव के समय वे महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपये देते हैं। राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का नाम लेकर आरोप लगाया, ‘चुनाव आयोग भाजपा सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव आयुक्त के लिए कानून बदला, नया कानून लेकर आए और कहा कि चुनाव आयुक्त कुछ भी करे, उन पर एक्शन नहीं लिया जा सकता, उन पर कार्रवाई नहीं हो सकती। लेकिन, हम इस कानून को बदलेंगे।’ उन्होंने आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के इस वक्तव्य की भी आलोचना की कि जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार सत्य से नहीं, सत्ता(शक्ति) से चलाई जाती है। दूसरी तरफ भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा कहां चूकने वाले थे। उन्होंने कहा, ‘आज रामलीला मैदान में राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा और कांग्रेस पार्टी ने रैली करके चुनाव आयुक्त, चुनाव आयोग के खिलाफ जहर उगला है। यह पहली बार नहीं है, लेकिन उनकी भाषा का स्तर देखिए, नाम लेकर उन्हें (चुनाव आयुक्तों को) धमकाना कहीं न कहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की चुनाव प्रणाली को अपमानित करने की कोशिश करना ही है। कांग्रेस पार्टी और भाजपा के मध्य यह एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाया तो जाता ही रहेगा और दोनों पक्षों द्वारा समाज को अपने पक्ष में करने का प्रयास भी किया जाता ही रहेगा, लेकिन निर्णय तो आखिरकार धरातल पर उतारने के लिए जनता को ही करना ही पड़ेगा। वैसे सत्तारूढ़ जो भी होते हैं, उन्हें तरह—तरह के आरोपों को झेलना ही पड़ता है। लेकिन, आज जो स्थिति बन गई है उससे तो अब ऐसा ही लगने लगा है कांग्रेस अब कुछ कर गुजरने के लिए तथा सड़क पर उतरकर समाज को अपने से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हो गई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं)।


