निजी नर्सिंग होम माफिया के कारण बंद होने के कगार पर आयुष्मान योजना
देवानंद सिंह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम योजना आयुष्मान भारत
निजी नर्सिंग होम माफिया के कारण बंद होने के कगार पर शुरुआती दौर में कुकुरमुत्ते की तरह निजी नर्सिंग होम खुले जिन्हें नर्सिंग होम के बारे में कोई जानकारी नहीं वे भी नर्सिंग होम खोलकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को सिविल सर्जन से मिलकर जमकर लूट का खसोट किया इसमें स्वास्थ्य विभाग की भी चांदी रही नीचे से लेकर ऊपर तक सबने बहती गंगा में डुबकी लगाई अपवाद को छोड़कर कुछ नर्सिंग होम सेवा भाव से भी काम किया अब गलत करने वालों के कारण जांच होने लगी और इसमें अच्छे व्यवस्थित अस्पताल भी इसकी जद में आ गए आयुष्मान भारत योजना के तहत झारखंड के निजी अस्पतालों में हुए इलाज की करीब 140 करोड़ की राशि बकाया है.सरकार गंभीर नहीं हुई तो धीरे-धीरे सभी निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाभुक मरीजों का इलाज बंद हो जाएगा.
जैसे ही केंद्र को कुछ गलत का अंदेशा हुआ तो केंद्र ने एनएएफयू यानी नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट के माध्यम से जांच करानी शुरू की और जब जांच का दायरा बढ़ा तो गलत करने वाले तो इसकी जद में आए ही कुछ सही अस्पताल भी इसका दंश झेल रहे हैं इसका सीधा असर निजी नर्सिंग होम जो निस्वार्थ काम कर रहे थे उन पर पड़ा और अब वे बिल नहीं मिलने के कारण इलाज बंद करने के लिए अल्टीमेटम दे दिया है
बड़ा सवाल है कि विभाग को गलत करने वालों पर कार्रवाई करने की जरूरत है उनकी पहचान भी जरूरी है और यह तभी संभव हो सकता है जब सिविल सर्जन कार्यालय निष्पक्ष होगा विभाग को बदनाम होने से अगर बचाना है तो इस पर कार्रवाई आवश्यक है अन्यथा केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार की भी बदनामी होगी कई घोटालेबाज निजी नर्सिंग होम ने तो अपना धंधा ही चेंज कर लिया है तो कई ने जमकर अनैतिक के कार्य भी किया सूत्रों की माने तो उपायुक्त कार्यालय में इसकी शिकायत भी हुई है पूर्व में
जमशेदपुर में कई अस्पतालों पर लगे थे गंभीर आरोप. किन परिस्थिति में फाइलों में दफन हो गया शिकायत?