लखनऊ: संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में गोरखपुर से लेकर बुलंदशहर तक कई शहरों में प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई. इस हिंसा में 10 लोगों की अबतक मौत हो चुकी है जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हैं. हिंसा के बाद प्रशासन ने सख्त ऐक्शन लेते हुए अब तक करीब 3000 लोगों को हिरासत में लिया है. हिंसा के बाद भी इन इलाकों में तनाव की स्थिति बनी हुई है. एहतियातन सभी स्कूल-कॉलेजों को बंद रखने का आदेश प्रशासन की ओर से दिया गया है. 21 जिलों में शनिवार रात 12 बजे तक के लिए इंटरनेट बंद है.वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी हजारों लोगों ने शुक्रवार को रैलियां निकालीं. इसके अलावा देश के अन्य राज्यों में भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन हुए. इस बीच सरकार ने इस तरह का संकेत दिया है कि वह इस संबंध में सुझावों पर विचार करने को तैयार है. सर्वाधिक बवाल उत्तर प्रदेश में हुआ, जहां सीएए के विरोध के नाम पर भड़की हिंसा की चिंगारी से 20 जिले सुलग उठे. विभिन्न जिलों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों में 10 लोग मारे गये. कानपुर में आठ लोग घायल हो गये.पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि बिजनौर में दो और zरोजाबाद, सम्भल और मेरठ में एक-एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है. इसके अलावा गोरखपुर, भदोही, बहराइच, फर्रुखाबाद और बुलंदशहर में हिंसा की घटनाएं सामने आयीं. प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, वाहनों में आग लगा दी. फिर पुलिस ने भी कार्रवाई की. हिंसा की वारदात में आमलोगों के साथ 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.कांग्रेस ने मोदी सरकार को देश में हो रहे व्यापक प्रदर्शनों के लिए जिम्मेदार ठहराया और नागरिकता संशोधन कानून को वापस लिए जाने की मांग की. पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने सीएए को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए कहा कि उनके राज्य में इसकी कोई जगह नहीं है.दिल्ली के दरियागंज इलाके में प्रदर्शनकारियों ने एक कार को आग के हवाले कर दिया और सुरक्षा बलों पर पथराव किया. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भीड़ पर पानी की बौछार की और लाठीचार्ज किया. वहीं, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों और कर्नाटक-केरल में छिटपुट हिंसा की खबरें हैं.