खिचड़ी सरकार की ओर झारखंड
देवानंद सिंह
झारखंड विधानसभा 2019 चुनाव संपन्न हो गया है। 20 दिसंबर को आखिरी चरण का मतदान था। अब राज्य में सरकार किसकी बनेगी, इसको लेकर कयास तेज हो गए हैं। राज्य विधानसभा चुनाव के बार अलग-अलग एग्जिट पोल भी सामने आ गए हैं। एग्जिट पोल के आकड़े जिस प्रकार सामने आए हैं, उससे तो नहीं लगता है कि कोई भी पार्टी पूरे बहुमत के साथ सामने नहीं आ रही है। यहां बता दें कि राज्य विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं और बहुमत के लिए 41 सीटें होनी चाहिए, हालांकि 23 दिसंबर को मतगणना होनी है, जिसमें स्पष्ट हो जाएगा कि इस बार राज्य विधानसभा की क्या तस्वीर उभकर सामने आएगी।
पहले आकड़ों को समझते हैं। महा एग्जिटपोल में बीजेपी को 32 सीट मिलने का अनुमान है। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा को 21, कांग्रेस 16 और आरजेडी को 4 सीटें मिलने का अनुमान है। बता दें कि इस चुनाव में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। वहीं, पूर्व के चुनाव में बीजेपी की सहयोगी रही AJSU को 3 और जेवीएम को 3 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि 5 सीटें अन्य के हिस्से में जा सकती हैं। टाइम्स नाउ के सर्वे की मानें तो बीजेपी को 28 सीटें मिल सकती हैं, जबकि जेएमएम को 23, कांग्रेस को 16, आरजेडी को 5, जेवीएम को 3 सीटें मिल सकती हैं। जबकि अन्य के हिस्सों में 6 सीटें जा सकती हैं। उधर, एबीपी और सी-वोटर के सर्वे में बीजेपी को 32 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि जेएमएम को 18 और कांग्रेस को 14 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, आजसू को 5, आरजेडी को 3 और जेवीएम को 2 सीटें मिल सकती हैं। इंडिया टुडे और ऐक्सिस माइ इंडिया के सर्वे में बीजेपी को 27 सीटें मिलती दिख रही हैं। जेएमएम को 22 सीटें मिलने अनुमान है, वहीं कांग्रेस को 17 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, आजसू को 5, आरजेडी को 4, जेवीएम को 3 सीटें मिल सकती हैं। अन्य के हिस्से में 3 सीटें आ सकती हैं।
इसीलिए झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद जो भी सर्वे सामने आए हैं, उन सभी से यह स्पष्ट हो गया है कि कोई पार्टी सिंगल रूप से बहुमत के साथ सामने नहीं आ रही है। इसका सबसे बड़ा झटका बीजेपी को लगने जा रहा है। बीजेपी के इस कमजोर प्रदर्शन का फायदा साफ तौर पर महागठबंधन के पक्ष में जाता दिख रहा है। अगर, बीजेपी के हाथ से झारखंड भी खिसक जाता है तो निश्चित ही यह स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास और बीजेपी हाईकमान के लिए बहुत चिंता का विषय बन जाएगा, क्योंकि हाल के चुनावों में बीजेपी के हाथ से राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट् जैसे राज्य खिसक चुके हैं। झारखंड शुरू से ही राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है, लेकिन पिछले पांच साल में राज्य राजनीतिक रूप से भी स्थिर दिख रहा था और विकास के नए मानदंड भी रघुवर दास के नेतृत्व में राज्य ने तय किए। यही वजह थी कि राज्य बीजेपी ने 65 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था। अगर, सभी सर्वे की बात करें तो बीजेपी 35 सीटें जीतने में भी सफल होती नहीं दिख रही है। सिर्फ एबीपी-सी-वोटर सर्वें में ही बीजेपी को 32 सीटें जीतते हुए दिखाया गया, जबकि अन्य एग्जिट पोल में वह 30 सीटों तक भी नहीं पहुंच रही है। इसीलिए यह बात स्पष्ट है कि अगर, बीजेपी को राज्य में दोबारा सरकार बनानी है तो निश्चित ही उसे दूसरी पार्टियों का सहयोग लेना पड़ेगा। वह भी जोड़-तोड़कर, क्योंकि महागठबंधन में शामिल जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी मिलकर बहुमत के आकड़े को छूते हुए नजर आ रहे हैं। इस परिस्थिति में बीजेपी को कहीं-न-कहीं आजसू के साथ फिर गठबंधन करने की जरूरत तो पड़ेगी ही, बल्कि जेवीएम और अन्य पार्टियों का सहयोग भी लेना पड़ेगा। वह सब भी उस परिस्थिति में ही संभव हो पाएगा, जब गठबंधन किन्हीं वजहों से अपनी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं आती है, लेकिन ऐसा नहीं दिखता है और राज्य से बीजेपी की विदाई साफ तौर पर दिखाई दे रही है और महागठबंधन हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रहा है।