दलाल मोटी रकम लेकर बांट रहे है कुलडीहा में सरकारी जमीन का कागजात
राष्ट्र संवाद संवाददाता
वीरेंद्र कुमार सिंह
पोटका। आप माने या न माने आपको जानकार यह आश्चर्य होगा कि आपके जमीन का कोई कागजात न हो तो घबराने की कोई बात नहीं। पोटका के कुलडीहा में ” झारखंड भूदान यज्ञ कमिटी” द्वारा जमीन संबंधी जारी दस्तावेज अंधा बांटे रेवड़ी के तरह मिल रहा है। जिस कारण इस तरह के दस्तावेज पर संदेह होने लगा है। अधिकांश लोग जो सरकारी जमीन को अतिक्रमण कर घर बनाए हुए है उनके पास इसी तरह का कागजात है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक गिरोह है जो इस तरह का कागजात एक मोटी रकम लेकर बना रहा है। जिसका एक तर चाईबासा से भी जुड़ा हुआ है। अगर इसका जांच किया गया तो यह भी कहीं चाकुलिया के मटीयाबांधी पंचायत के फर्जी प्रमाण पत्र के समान सिद्ध न हो जाए।
प्रखंड के कुलडीहा पंचायत में पिछले दिनों सीओ निकिता बाला के द्वारा सरकारी जमीन पर कब्जा कर घर बनाने वाले शिशिर पात्रों के घर को जमींदोज कर दिया गया था। इसके बाद कुलडीहा में वैसे लोग डरे सहमे हुए है जो सरकारी जमीन पर घर बनाकर रह रहे है। वे अब अपनी बचाव में तरह तरह के हथकंडा अपना रहे है।
बताया जाता है कि पोटका प्रखंड के कुल डीहा में सरकारी जमीन का लूट जितना हुआ है उतना किसी पंचायत में नहीं। भू माफिया सरकारी जमीन का बिक्री कर माला माल हो गए अब उनका घर ही खरीददारों के गले का हड्डी बना गया है। सरकारी जमीन अतिक्रमण करने के खिलाफ प्रशासन की ओर से कुल डीहा में 75 लोगों पर जे पी एल ई का मामला दायर किया गया है। इनमें कई लोगों ने अंचल कार्यालय में जमाबंदी संबंधी दस्तावेज जमा किया है। इसी से संबंधित झारखंड भूदान यज्ञ कमिटी का एक दस्तावेज है। सीओ पोटका निकिता बाला ने इस तरह के दस्तावेज के जांच के लिए अपने वरीय पदाधिकारी को लिखा है लेकिन इसमें किसी तरह का अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आया है।
शिशिर पात्रों के घर को तोड़े जाने के बाद अंचल कार्यालय के द्वारा इसी प्लॉट में घर बनाए चिन्मय भगत तथा उपा नंद भगत को नोटिस देकर 6 मई तक जमीन संबंधी कागजात प्रस्तुत करने को कहा गया था। इन दोनों ने भी झारखंड भूदान यज्ञ समिति द्वारा प्रदत कागजात प्रस्तुत किया है।
ध्यान देने वाला मुख्य बात यह है कि अभी तक जमीन खरीदनेवालो ने जांच पदाधिकारी के समक्ष भू माफिया का नाम छिपाए रखा। वे भय वश या और किसी कारण हो लेकिन विक्रेता का नाम नहीं बतलाते है। खुद पर मुकदमा दायर होना पसंद करते है लेकिन भू माफिया का नाम नहीं रखते। ताकि उन पर किसी तरह का कोई कार्रवाई हो। आज की तिथि में भी भू माफिया सरकारी जमीन को बिक्री बेरोकटोक कर रहे है।
जिनका घर तोड़ा गया शिशिर पात्रों अब कोट का सहारा ले रहे है। पहले तो वे अंचल कार्यालय में जमीन संबंधी किसी तरह का कागजात न होने का लिख कर दिए हुए है। अब वे उनके नाम से जमीन बंदोबस्त होने का दावा प्रस्तुत कर रहे है। यह अलग बात है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। क्योंकि वैसे लोग जो सरकारी जमीन पर आलीशान भवन बनाए हुए है उसे नहीं तोड़ा गया जबकि एक गरीब का छोटा सा एस्बेस्टस घर को तोड़ दिया गया। जो चर्चा का विषय बना।