Movie Review: फ्रोजेन 2 (हिंदी संस्करण)आवाजें: प्रियंका चोपड़ा, परिणीति चोपड़ा, अचिंत कौर, मनीष पॉल आदि.
निर्देशक: क्रिस बक, जेनिफर ली
निर्माता: वॉल्ट डिजनी एनीमेशन स्टूडियो
नई कहानियों पर नई धार चढ़ाने की बजाय सिनेमा का युग पुराने में नया तलाश रहा है. इतिहास में सिनेमा के इस दौर को सीक्वेल काल के रूप में याद किया जाएगा. हॉलीवुड से चला ये सिलसिला हिंदी सिनेमा तक को अपने दायरे में ले चुका है. इस दायरे में जम चुके सिनेमाकारों और दर्शकों दोनों को फ्रोजेन 2 देखना इसीलिए जरूरी है. जरूरी इसलिए ताकि ये समझा जा सके कि एक सीक्वेल और एक कामयाब सीक्वेल बनाने में कितना फर्क होता है, और कामयाबी के लिए जरूरी तत्व क्या हैं?
डिजनी के लॉस एजिंलिस स्थित एनीमेशन स्टूडियो में पूरा एक दिन बिताने के दौरान जिस बात ने मुझे सबसे सबसे ज्यादा प्रभावित किया, वह थी इन एनीमेशन फिल्मों को बनाने में लगी मेहनत और इस मेहनत को सिरे तक पहुंचाते ऐसे लोग जिन्होंने अपना तमाम जीवन डिजनी के नाम कर दिया है. कोई 10 साल से यहां काम कर रहा है, कोई 20 साल से तो कोई 25-26 साल से भी ज्यादा वक्त इस एनीमेशन स्टूडियो में गुजार चुका है. डिजनी परंपराओं की वाहक कंपनी रही है. फ्रोजेन 2 उसकी इसी परंपरा से निकली ऐसी कहानी है जिसकी पिछली कड़ी ने छह साल पहले एनीमेशन फिल्मों का इतिहास बदल डाला.
तो सवाल उठता है कि आखिर फ्रोजेन 2 में ऐसा क्या नया देखने को मिलने वाला है? ये नया ही इस सवाल का जवाब है. डिजनी की फिल्म कोको में जैसा जंगल देखकर लोगों की आंखें खुली की खुली रह गईं, उससे बेहतर जंगल फ्रोजेन 2 में गढ़ा गया है.
घास का एक एक तिनका और सूरज की रोशनी का एक एक कण यूं खिला है जैसे कुदरत ने खुद ये जंगल गढ़ा हो. दूसरा बड़ा काम इस फिल्म में है पानी का एक घोड़ा नॉक. एनीमेशन में वैसे ही पानी को बनाना मुश्किल काम है, उस पर से उसी पानी में पानी का बना घोड़ा दिखाना, फ्रोजेन 2 की तकनीकी टीम की दक्षता का ऐसा प्रमाण है, जिसके पार जाने में खुद डिजनी को काफी वक्त लगने वाला है.
सीक्वेल हमेशा पिछली फिल्म में अनसुलझे रह गए सवालों से निकलती है. पर फ्रोजन तो अपने आप में संपूर्ण फिल्म थी, फिर? निर्देशक जोड़ी जेनिफर ली और क्रिस बक ने इसका जवाब तलाशने के लिए दर्शकों के सवालों की बजाय अपने किरदारों के मन में उठने वाले सवालों पर गौर फरमाया और कहानी रचने में कामयाब रहे.
एल्सा और एना नाम की राजकुमारियों को इस बार ये पता चलना है कि उनके माता पिता का क्या हुआ? और, दर्शकों को पता चलना है कि कैसे एक साम्राज्य को बनाने में छोटी छोटी बातें बड़ी बन जाती हैं. फ्रोजेन 2 मनोरंजन, रोमांच और विस्मय के साथ एक राजनीतिक टिप्पणी भी करती चलती है, जिसकी आज के समय में वाकई बहुत जरूरत है बशर्ते कुछ नेता भी ये फिल्म देखें और इसका मतलब समझें.