नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़े हैं, सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे: ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद स्कूली नौकरी गंवाने वाले पात्र उम्मीदवारों को पूरा समर्थन देने का सोमवार को आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सुनिश्चित करेगी कि वे बेरोजगार न रहें या उनकी सेवा में कोई रुकावट न आए।
बनर्जी ने स्कूलों की नौकरी गंवाने वाले लोगों के साथ यहां नेताजी इनडोर स्टेडियम में एक बैठक में, प्रभावित शिक्षकों और कर्मियों से अपने-अपने स्कूल जाने और स्वैच्छिक तरीके से फिर से काम करने का आग्रह किया।
शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को बंगाल में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देते हुए पूरी चयन प्रक्रिया को ‘त्रुटिपूर्ण और दागदार’ बताया था। इन कर्मचारियों का चयन 2016 में राज्य स्कूल सेवा आयोग के एक भर्ती अभियान के माध्यम से चुना गया था।
मुख्यमंत्री ने पीड़ित शिक्षकों को यह आश्वासन भी दिया कि वह दो महीने के अंदर सभी पात्र उम्मीदवारों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करेंगी।
हजारों शिक्षक आज ममता बनर्जी से मिलने पहुंचे थे। उन्हें संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आप अपने स्कूलों में वापस जा सकते हैं और स्वेच्छा से पढ़ाना शुरू कर सकते हैं। आप अभी सेवा में हैं क्योंकि आपको अभी तक कोई सेवामुक्ति पत्र नहीं दिया गया है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि कोई भी योग्य उम्मीदवार नौकरी न खो दे। हमारे पास यह सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं तैयार हैं कि योग्य उम्मीदवारों को सेवा में किसी भी तरह की रुकावट का सामना न करना पड़े। हम उन्हें बेरोजगार नहीं रहने देंगे।’’
बनर्जी ने कहा, ‘‘मैं उन लोगों के साथ खड़ी रहूंगी जिनके साथ अन्याय हुआ है। मुझे परवाह नहीं है कि दूसरे क्या सोचते हैं। मैं आपका सम्मान वापस दिलाने के लिए सब कुछ करूंगी।’’
बनर्जी ने दोहराया कि राज्य सरकार न्यायालय के फैसले का सम्मान करती है और प्रशासन ‘अत्यंत सावधानी और निष्पक्षता’ के साथ स्थिति को संभालने के लिए सक्रियता से कदम उठा रहा है।
ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार उच्चतम न्यायालय के फैसले पर समीक्षा याचिका दायर करेगी और संबंधित पीठ से 3 अप्रैल के फैसले पर “स्पष्टीकरण मांगेगी”। उन्होंने उन लोगों की “नौकरियां बहाल करने” के लिए दो चरण की योजना बताई, जिनकी नियुक्तियां शीर्ष अदालत ने रद्द कर दी थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘पहले चरण में हम पात्र उम्मीदवारों का ब्योरा देखेंगे और उनकी खोई नौकरी उन्हें लौटाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे। दूसरे चरण में हम तथाकथित दागी उम्मीदवारों के मामले उठाएंगे। हम इस बात की गहराई से जांच करेंगे कि उन्हें ‘अयोग्य’ करार क्यों दिया गया, किस आधार पर उन्हें दागी पाया गया और जांच कैसे की गई जिसमें उन्हें दोषी पाया गया। मैं उनके साथ अलग से बैठक करुंगी।’’
बनर्जी ने प्रभावित शिक्षकों से कहा कि वे अपनी नौकरी करते समय सरकार पर भरोसा रखें और ‘पात्र’ तथा ‘दागदार’ उम्मीदवारों के बीच कोई टकराव नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह दावा भी किया कि उनका नाम किसी ऐसी चीज में घसीटा जा रहा है जिसके बारे में “मुझे कोई जानकारी नहीं है’’। उन्होंने स्कूली नौकरियों में नियुक्ति संबंधी विसंगतियों का जिक्र करते हुए यह बात कही।
बनर्जी ने कहा, “अगर कोई मुझे स्कूल की नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़े होने के लिए सजा देना चाहता है तो मैं जेल जाने के लिए भी तैयार हूं।”
उन्होंने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, “पूरी शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाने की साजिश है। कुछ लोग एक गंदा खेल खेल रहे हैं।”