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    Home » मेहुल चोकसी मामले में त्वरित और सटीक कदम उठाने की जरूरत
    Breaking News Headlines संपादकीय

    मेहुल चोकसी मामले में त्वरित और सटीक कदम उठाने की जरूरत

    Devanand SinghBy Devanand SinghMarch 28, 2025No Comments5 Mins Read
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    देवानंद सिंह
    पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के प्रमुख अभियुक्त मेहुल चोकसी से जुड़ा मामला फिर चर्चा में है, चर्चा यह थी कि उनका भारत सरकार प्रत्यर्पण कराएगी, लेकिन उनके बेल्जियम में रहने की खबर ने भारतीय अधिकारियों की चिंता को बढ़ा दिया है। उनकी संभावित उपस्थिति और बेल्जियम सरकार द्वारा की जा रही निगरानी से यह स्पष्ट होता है कि यह मामला केवल एक वित्तीय धोखाधड़ी का नहीं, बल्कि एक अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यर्पण और न्याय की व्यवस्था से जुड़े बड़े मुद्दे का भी है। इस खबर ने न केवल भारतीय न्यायिक व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि भ्रष्टाचार और वित्तीय अपराधों से जुड़े लोग कहीं न कहीं, कानूनी और प्रशासनिक खामियों का फायदा उठाकर अपने पंख फैला लेते हैं।

    उल्लेखनीय है कि 2018 में पंजाब नेशनल बैंक से 13,500 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था, जो भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक था। इस घोटाले में मेहुल चोकसी और उनके भांजे नीरव मोदी के अलावा कई अन्य लोगों को आरोपी ठहराया गया था। आरोप है कि इन दोनों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी कागजात और धोखाधड़ी का सहारा लिया और भारतीय बैंकों को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया। इस घोटाले के बाद भारतीय जांच एजेंसियों ने न केवल चोकसी और मोदी के खिलाफ कार्रवाई की, बल्कि दोनों को भारत प्रत्यर्पित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास भी शुरू किए।

    चोकसी की हालिया खबरों से यह स्पष्ट हो गया है कि वह वर्तमान में बेल्जियम में रह रहे हैं, जहां उन्होंने अपनी पत्नी की मदद से एक एफ़ रेज़िडेंसी प्राप्त की। यह किसी सामान्य व्यक्ति के लिए संभव नहीं होता, और चोकसी ने इसके लिए गुमराह करने वाले दस्तावेजों का सहारा लिया, ताकि भारतीय अधिकारियों को उनके ठिकाने का पता न चल सके। बेल्जियम की सरकार ने इस मामले पर निगरानी रखने का वादा किया है, लेकिन उनके बयान से यह भी संकेत मिलता है कि यह मामला न्याय विभाग के अंतर्गत आता है, जहां से जानकारी मिलने में वक्त लग सकता है।

    चोकसी के मामले में एक बड़ा मुद्दा उनके प्रत्यर्पण का है। भारतीय अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बेल्जियम से उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन चोकसी ने अपनी स्थिति को मजबूत किया है। उन्होंने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए भारत आने से मना कर दिया है, और दावा किया है कि वह ल्यूकीमिया (ब्लड कैंसर) से पीड़ित हैं। उनके इस दावे को एक बेल्जियम डॉक्टर द्वारा समर्थित किया गया है, जिसने कहा है कि वह यात्रा करने में 100 प्रतिशत अक्षम हैं। इससे भारत सरकार की प्रत्यर्पण की कोशिशें और जटिल हो गई हैं।

    यहां पर एक बड़ा सवाल यह है कि क्या किसी ऐसे व्यक्ति को, जो आर्थिक अपराधों में शामिल हो, मानवाधिकारों और स्वास्थ्य के आधार पर बचाया जा सकता है, या फिर न्याय के लिए कानून को सही तरीके से लागू किया जाएगा। चोकसी की स्थिति में एक और चिंता यह है कि यदि, वह बेल्जियम से स्विट्ज़रलैंड या किसी अन्य यूरोपीय देश में चले जाते हैं, तो उनके ठिकाने का पता लगाना और भी मुश्किल हो सकता है। इससे भारतीय एजेंसियों के लिए एक और चुनौती खड़ी हो जाती है, क्योंकि यूरोपीय देशों में वह बिना किसी गंभीर बाधा के यात्रा कर सकते हैं। भारत सरकार को इस मामले में कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। यह केवल एक व्यक्ति के खिलाफ कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह पूरे वित्तीय सिस्टम और अंतर्राष्ट्रीय न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा भी है। यदि, चोकसी जैसे अपराधी कानूनी खामियों का फायदा उठाकर न्याय से बचने में सफल होते हैं, तो इससे पूरे वैश्विक वित्तीय और कानूनी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत को अपने प्रयासों को तेज़ी से बढ़ाना होगा, ताकि मेहुल चोकसी को शीघ्र भारत लाया जा सके और उसे न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सके।

    इस मामले को लेकर एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है- भारत की न्यायिक प्रणाली की सख्ती और समयबद्धता।
    बड़ी रकमों के गबन के जिम्मेदार मेहुल चोकसी जैसे आरोपी को न्याय दिलाने में विलंब नहीं हो सकता। कई बार, ऐसे मामलों में प्रक्रिया इतनी लंबी खिंच जाती है कि दोषियों को बचने का मौका मिल जाता है। भारत में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों की सुनवाई में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि ऐसे अभियुक्तों को समय रहते सजा मिल सके।

    इसके अलावा, चोकसी की तरह के अभियुक्तों के खिलाफ सिर्फ कानूनी प्रक्रिया से ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा की जा रही कूटनीतिक और कानूनी चालों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। चोकसी ने अपनी नागरिकता छिपाने और विदेशों में शरण लेने के लिए जो कदम उठाए हैं, उनका नतीजा यह हो सकता है कि भविष्य में ऐसे और अधिक अपराधी इसका फायदा उठाएंगे। ऐसे में, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समझौते और कड़े प्रावधानों की आवश्यकता है, ताकि अपराधियों को छिपने और भागने का मौका न मिले।

    मेहुल चोकसी के बेल्जियम में ठिकाने का पता चलने से यह साबित होता है कि आर्थिक अपराधों के अभियुक्त अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर न्याय से बचने के लिए विभिन्न रणनीतियों का सहारा लेते हैं। भारतीय अधिकारियों को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी होगी, ताकि ऐसे अपराधी वैश्विक स्तर पर न्याय से बचने में सफल न हो सकें। चोकसी और उनके जैसे अन्य अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में किसी भी प्रकार की देरी या कमजोरी न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को कमजोर कर सकती है। इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि इस मामले में त्वरित और सटीक कदम उठाए जाएं, ताकि अंततः दोषियों को न्याय मिल सके और वित्तीय भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया जा सके।

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