कथा के पांचवे दिन सिमला में हुआ गोवर्धन भगवान का पूजा एवं माखन चोरी बाल लीला कथा
देवघर: वृन्दावन से आए हुए जया मिश्रा ने कथा के दौरान बताया श्री कृष्ण की बाल लीलाओं में, माखन चोरी और गोवर्धन पूजा की कथाएं बहुत प्रसिद्ध हैं। माखन चोरी में, बाल कृष्ण और उनके ग्वाल बाल मित्र, गोपियों के घरों से माखन चुराकर खाते थे, जबकि गोवर्धन पूजा में, कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर, ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था. बाल कृष्ण बचपन से ही नटखट और चंचल थे और उन्हें माखन चुराना बहुत पसंद था! वे ग्वाल बालों के साथ मिलकर गोपियों के घरों से माखन चुराते थे और उसे आपस में बांटकर खाते थे.यशोदा मैया कृष्ण को माखन चुराने से मना करती थीं, लेकिन कृष्ण उनके मना करने के बावजूद भी माखन चुराते थे. एक बार यशोदा मैया ने कृष्ण को माखन खाने के लिए मुंह खोलने को कहा तो कृष्ण के मुंह में पूरा ब्रह्मांड दिखाई दिया. कुछ लोग मानते हैं कि कृष्ण माखन चुराते समय थोड़ा माखन बिखेर देते थे, क्योंकि वे माखन को ऊँचे टंगे होने के कारण ऊखल पर चढ़कर उतारते थे जिससे माखन गिर जाता था! जानकारी के अनुसार ऐसा मना जाता हैं कि कृष्ण माखन चुराते थे, क्योंकि वे अपने मामा कंस के अन्याय के खिलाफ थे, जो लोगों से दूध, माखन और घी के रूप में टैक्स वसूलता था. ब्रजवासियों को इंद्रदेव की पूजा करने के बजाय, गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कृष्ण ने प्रेरित किया था, क्योंकि इंद्रदेव ने ब्रज में भारी बारिश कर दी थी.कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर, ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था! गोवर्धन पूजा का अर्थ है गौ संवर्धन, यानी गायों की रक्षा और सम्मान. गोवर्धन पूजा के बाद, ब्रजवासियों ने अन्नकूट उत्सव मनाया, जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए और उन्हें भगवान को अर्पित किया. गोवर्धन पूजा की कथा, प्रकृति और गौ-संवर्धन के महत्व को दर्शाती है! सिमला सोआलोना ग्रामवासी द्वारा माखन चोरी बाल लीला, गोवर्धन पूजा में बड़ चढ़कर भाग लिया एवं श्रीमद भागवद कथा को स्मरण करने आए उपस्थित भक्त गणों ने गोवर्धन पूजा में प्रसादी के रूप में फल बतासा से लेकर अन्य पूजा सामग्री चढ़ाकर गोवर्धन पर्वत भगवान से आशीर्वाद लिया एवं माखन चोरी में झांकी के द्वारा कई तरह के नाटक में सम्मिलित होकर उपस्थित भक्त गणों के मन को मोहने में कामयाब रहे! सिमला में श्री मद भागवद कथा का पांचवां दिन ऐसा लग रहा था जैसे समस्त गांव वृन्दावन में तब्दील हो गया हो,रात्री में कथा समापन होने के दौरान उपस्थित सभी भक्त गणों को पंडाल में बैठाकर प्रशादी कराया गया सिमला के कमिटी के सदस्यों द्वारा कथा के दौरान भक्त गणों का विशेष ख्याल रखा जा रहा है एवं अंतिम दिन तक इसी तरह भक्त गणों के सुविधा के लिए कमिटी के सदस्य तात्पर्य रहेंगे!