सात दिवसीय भागवत में सोलह हजार 108 विवाह, शुम्भरासुर वध, सुदामा चरित्र की कथा के साथ हुआ समापन
फतेहपुर
फतेहपुर प्रखंड अंतर्गत खामारवाद पंचायत के कालूपहाड़ी गांव में चल रहें 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का सोमवार को समापन हो गया। आखिरी दिन वृंदावन धाम के राष्ट्रीय प्रवक्ता व कथावाचक गोपाल नंदन महाराज ने शुम्भरासुर वध,सोलह हजार 108 विवाह ,उषा अनिरुद्ध विवाह, जरासंघ दध, परीक्षित का मुक्ति, सुदामा चरित्र की कथा, प्रभु का निजधाम गमन के बारे में व्याख्या, प्रभुपाद, कथावाचक महाराज के मुखारवृंद से उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया। इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें एवं अंतिम दिन कथावाचक गोपाल नंदन महाराज ने शुम्भरासुर का वध, सोलह हजार एक सौ कन्याओं से विवाह की कथा सुनाई। कथा व्यास ने बताया कि श्रीकृष्ण रुक्मिणी के प्रथम पुत्र प्रद्युम्न ने नामक महामायावी दैत्य का वध किया था। राक्षस राज तारकासुर के अत्याचारों से सारा संसार आहत हो रहा था। तारकासुर ने ब्रह्मा जी की तपस्या करके यह वर प्राप्त किया था कि शिव का पुत्र ही उसका वध कर सकेे। लेकिन शिव तो अनंत तपस्या में लीन थे। देवराज इंद्र ने कामदेव और रति को शिव की तपस्या भंग करने के लिए भेजा। कामदेव ने अपने काम बाणों और देवी रति ने अपने नृत्य से ऐसा वातावरण बनाया जिससे समस्त संसार काम के आधीन हो गया। परंतु फिर भी वह दोनों भगवान शिव की तपस्या न भंग कर सके। तब कामदेव ने अपना काम बाण भगवान शिव पर छोड़ा काम बाण लगते ही भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। उनके नेत्र से एक अत्यंत भयानक अग्नि प्रकट हुई जिसने कामदेव को भस्म कर दिया। महादेव द्वारा कामदेव के भस्म होते ही देवी रति अत्यधिक घबरा गईं। वह भगवान शिव की शरण में गई और उसने कामदेव को पुनः जीवित करने की विनती की।और भगवान श्री कृष्ण के सर्वोपरी सोलह हजार 108 कन्याओं से विवाह ,उषा अनिरुद्ध विवाह, जरासंघ दध, परीक्षित का मुक्ति, प्रभु का निजधाम गमन तथा सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। इस दौरान भजन गायन ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। कथावाचक ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने कहा जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होता है, इतिहास इसका साक्षी है। लोगों ने रातभर इस संगीतमयी भागवत कथा का आनंद उठाया। इस सात दिवसीय भागवत कथा में आस-पास गांव के अलावा दूर दराज से काफी संख्या में महिला-पुरूष भक्तों ने इस कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक इस कथा में पुरा वातावरण भक्तिमय रहा। प्रवचन के बाद आयोजक कर्ता के द्वारा उपस्थित भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।