जल स्त्रोतों की भूमि पर किये गये अतिक्रमण को हटाने के लिए अंचल कार्यालय ने पातू कॉलोनी के 37 परिवारों को भेजा नोटिस
*80 वर्षों से पातू कॉलोनी में निवास करते हैं लोग, नगर परिषद को देते हैं होल्डिंग टैक्स*
राष्ट्र संवाद संवाददाता
रामगोपाल जेना
चक्रधरपुर
जिले के विभिन्न तालाब, नदी, नाला सहित अन्य जल स्रोतों की भूमि पर किये गये अतिक्रमण को चिह्नित कर उसे शीघ्र हटाने की कार्रवाई चक्रधरपुर में शुरू हो गई है. इसी कड़ी में चक्रधरपुर अंचल कार्यालय की ओर से नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या एक पुरानीबस्ती पातू कॉलोनी में निवास करने वाले 37 परिवारों को नोटिस दिया गया है. नोटिस मिलने के साथ ही पातू कॉलोनी में 80 वर्षों से झोपड़ी बनाकर बसे परिवार के लोग चिंतित हैं. अंचल कार्यालय द्वारा दिए गए नोटिस में कहा गया है कि झारखंड उच्च न्यायालय के पारित आदेश के अंतर्गत अतिक्रमण हटाने एवं प्रदूषण रोकने के लिए आपको आदेश दिया जाता है कि 7 दिनों के अंदर स्वत अतिक्रमण हटा ले. अन्यथा सरकार द्वारा करवाई करने पर व्यय की गई राशि की वसूली की जाएगी. साथ ही आदेश दिया गया है कि व्यक्तिगत रूप से 17 जनवरी शुक्रवार को अंचल कार्यालय में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण दें. जिसको लेकर शुक्रवार को 37 परिवार के तमाम सदस्य अंचल कार्यालय पहुंचे और सभी ने लिखित रूप से स्पष्टीकरण दिया. इस दौरान लोगों ने बताया कि नगर परिषद क्षेत्र के
पुरानाबस्ती पातू कॉलोनी में विगत 80 वर्षों से संजय नदी के किनारे झोपड़ी बना कर रहते आ रहे है. भूमिहीन रहने के कारण नदी के किनारे का भू-खंड को जो लोग गंदगी, शौच आदि करते थे उसको साफ-सुथरा करके हमलोग रहने लगें. जो कि बारिस के मौसम में नदी के बाढ़ आने से वह इलाका जलमग्न हो जाता हैं और रात-रात भर जग कर हम अपने परिवार की सुरक्षा करते रहते है. जबकि यहां बिजली विभाग द्वारा बिजली का आपूर्ति किया गया है. जिसमें रोड भी बना हुआ हैं और नगर परिषद द्वारा स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था के लिए सोलर जलमीनार भी लगाया गया है. साथ ही साथ प्रत्येक वर्ष लोगों द्वारा होल्डिंग टैक्स दिया जा रहा है. ऐसी विकट परिस्थिति में उच्च न्यायालय का हवाला देकर हम जैसे गरीब झोपड़ी वासियों को हटाना न्याय संगत नहीं है. जबकि हमलोग आदिवासी एवं ओबीसी समुदाय से आते है और भूमिहीन भी है. सरकार उक्त जमीन को हमलोग के नाम पर बंदोबस्ती कर दे, तो हम सभी गरीब अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर सके. मौके पर काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
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क्या है मामला
नगर विकास व आवास विभाग के निर्देशानुसार जल स्रोतों को मूल नक्शे के आधार पर आकार चिह्नित किया जायेगा. इसके बाद जल स्रोतों की भूमि तथा इसके आसपास की सरकारी भूमि पर किये गये अतिक्रमण और अवैध निर्माण को भी चिह्नित किया जायेगा. इसके बाद अतिक्रमण को नियमानुसार शीघ्र हटाने की कार्रवाई की जायेगी. यदि किसी जल स्रोत की भूमि या इसके आसपास की सरकारी भूमि की अवैध बंदोबस्ती कर ली गयी है, तो उस अवैध बंदोबस्ती के विरुद्ध नियमानुसार त्वरित कार्रवाई करते हुए अवैध बंदोबस्ती को रद्द करने का प्रस्ताव दिया जायेगा. जल स्रोत, नदी, नाले, तालाब को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए जल स्रोतों में ठोस या तरल अपशिष्ट पदार्थ के प्रवाह को दंडनीय अपराध घोषित करते हुए उसे रोकने के लिए भी ठोस कार्रवाई की जाएगी.
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9 एकड़ में फैला रानी तालाब में अतिक्रमण, नहर हुआ संक्रिण
चक्रधरपुर शहर का रानी तालाब 9 एकड़ में फैला है. जिस कारण शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों के लिए एक बड़ा जल स्रोत है. लेकिन कुछ दशक से रानी तालाब में अतिक्रमण हो रहा है. जिसके कारण 9 एकड़ में फैला तालाब अब 7 एकड़ रह गया है. तालाब से निकलने वाली नहर में भी अतिक्रमण होने के कारण संक्रिण हो गया है. बारिश के दिनों में जल निकासी के नहर में ओवरफ्लो होकर पानी सड़कों और घरों में घुस जाता है. रानी तालाब को भी अतिक्रमण मुक्त करना अति आवश्यक है.
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80 वर्षों से पातू कॉलोनी में निवास कर रहे हैं लोग
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80 वर्षों से पातू कॉलोनी में लोग निवास कर रहे हैं. सरकार द्वारा उन्हें बिजली, सड़क व स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था कराई गई है. यहां गरीब तबके के लोग झोपड़ी नुमा घरों में रहते हैं. अचानक नोटिस पहुंचने पर सभी लोग चिंतित हैं.
–अजित साहू, पातू कॉलोनी
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पातू कॉलोनी में निवास करने वाले लोगों से प्रत्येक वर्ष नगर परिषद द्वारा होल्डिंग टैक्स लिया जाता है. साथ ही बिजली कनेक्शन विभाग द्वारा दिया गया है. गंदगी नुमा जगह को साफ-सुथरा करके लोग 80 वर्षों से निवास कर रहे हैं.
–नदिया साहू
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पातू कॉलोनी में आदिवासी, ओबीसी तबके के लोग वर्षों से रह रहे हैं. सभी लोग मजदूरी करते हैं. भूमिहीन होने के कारण 8 दशक पहले नदी किनारे गंदगी जगह को साफ कर रहने लायक बनाया और उसी में झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. सरकार हम पर रहम खाए.
–मंदो देवी, पातू कॉलोनी
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अचानक नोटिस मिलने से सभी लोग चिंतित हैं. मानो की लोगों के सर से साया ही उठ गया. गरीब लोग रोजाना मजदूरी कर अपना भरण-पोषण करते हैं. नोटिस मिलने से सभी लोग काम छोड़कर अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. सरकार जमीन को बंदोबस्ती कराएं. ताकि लोग जीवन यापन कर सके.
— आशु साहू, पातू कॉलोनी
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80 वर्षों से पातू कॉलोनी में 37 परिवार निवास कर रहे हैं. 2019 में अचानक नदी में बाढ़ आने के कारण कई लोगों का घर भी बह गया था. लोग बेघर हो गए थे. तभी सरकार ने आगे बढ़कर पीड़ित परिवारों की मदद करते हुए मुआवजा राशि दिया था. आज अचानक नोटिस भेज कर हमारे सर से छत छिनने का काम किया जा रहा है.
— सुनील साहु, पातू कॉलोनी
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