चुनावी दंगल…
हर तरकश से छूट रहे बाण
देवानंद सिंह
चुनाव के दौरान राजनीतिक ड्रामा न बढ़े, ऐसा हो ही नहीं सकता है। राजनीतिक पार्टियां अपने तरकश से हर वह बाण निकालना चाहती हैं, जिससे पब्लिक के बीच अपना नंबर ऊपर हो जाए और विरोधी पस्त हो जाए। झारखंड विधानसभा चुनाव भी इससे अछूता नहीं है। राज्य में 30 नवंबर को पहले चरण का चुनाव होना है। पहले चरण में 13 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। लिहाजा, राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी चरम पर पहुंच चुका है। सत्तारूढ़ बीजेपी के नेता जहां विरोधी गठबंधन को ठगबंधन का दर्जा दे रहे हैं, वहीं विरोधी नेता भी सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाने में पीछे नहीं हैं। वे भी सरकार को हर मामले में कठघरे में खड़ा कर रहे हैं और सरकार को गरीब, किसान विरोधी बता रहे हैं। स्टार प्रचारक भी अपने तुफानी दौरों में एक-दूसरे को घेरने में लगे हुए हैं।
चुनाव तो हर पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होता है, लेकिन झारखंड चुनाव की बात करें तो सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए यह चुनाव कुछ ज्यादा ही प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। सीएम रघुवर दास के सामने अपने सियासी सफर को आगे बढ़ाने का पूरा दबाव है। प्रदेश में बदले राजनीतिक हालातों में यह और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। लिहाजा, सीएम तो विरोधी दलों को घेर ही रहे हैं। वहीं, उनके दल के बड़े स्टार प्रचारक भी इस मामले में कतई पीछे नहीं हैं। सीएम रघुवर दास ने विरोधियों को मजबूर सरकार देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश को जनता मजबूर नहीं, बल्कि मजबूत सरकार चाहिए। मजबूत सरकार केवल बीजेपी ही दे सकती है। उन्होंने विपक्षी दलों के गठबंधन को मिलावटी तक करार दे दिया। उन्होंने गठबंधन की तुलना मिलावटी सामान के साथ भी कर डाली। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मिलावटी सामान शरीर के लिए घातक होता है, ठीक उसी प्रकार मिलावटी सरकार भी प्रदेश के लिए हानिकारक होती है। ऐसे में, उन्हें पूरा भरोसा है कि जनता प्रदेश में मजबूत सरकार बनाएगी, बकायदा जनता इसका मन भी बना चुकी है।
वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी रघुवर दास के पक्ष में प्रचार करने के लिए झारखंड पहुंचे। उन्होंने विश्रामपुर में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए अपने तरकश से विरोधियों पर खूब बाण चलाए। उन्होंने कांग्रेस को गरीबी के लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने माना कि कांग्रेस के लिए हमेशा से ही गरीबी महज चुनावी मुद्दा रहा, लेकिन उसने कभी भी ईमानदारी से देश से गरीबी हटाने के लिए कोई काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस का शासनकाल रहा तो गरीबी हटाओ का नारा दिया गया। चाहे वह जवाहर लाल नेहरू की सरकार रही हो या फिर इंदिरा गांधी की। इसके बाद के कांग्रेस शासनकाल में भी यही नारा दिया गया, लेकिन वास्तव में गरीबी हट ही नहीं पाई, लेकिन इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार ने जमीनी स्तर से काम किया है, जिसे देश की जनता समझती है। वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी लातेहार में आयोजित जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने भी विपक्षियों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि राजनीति में किसी को बैठाना-उठाना नहीं होता है। यह विकास का पैमाना होता है। अच्छी सरकार आएगी तो विकास के नए आयाम खुलेंगे। उन्होंने लोगों से कहा कि आपकी उंगुली में बड़ी ताकत होती है, इसीलिए उसका इस्तेमाल सही होना चाहिए। सतारूढ़ बीजेपी के स्टार प्रचारकों को डिफेंट करने में विपक्षी नेता भी पीछे नहीं हैं। झाविमो के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राजधनवर में जनसभा को संबोधित करते हुए रघुवर सरकार को गरीबों को उजाड़ने वाली सरकार बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बालू उठाव पर रोक लगा दी है, जिससे अपना ही मकान बनाने में लोगों को कठिनाई हो रही है। वर्षों से गैर मजरूआ जमीन पर लोग घर बनाकर रह रहे हैं, जिनको सरकार उजाड़ने पर आमदा है। उन्होंने कहा कि अगर, गैर मजरूआ जमीन की रसीद नहीं कट रही है तो लोगों को बसाना सरकार का काम है, लेकिन सरकार उन्हें बसाने के बजाय उजाड़ रही है।
उधर, आजसू के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने भी जनता के बीच जाकर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि राज्य का विकास आजसू के नेतृत्व से ही संभव है। उन्होंने झामुमो पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि झामुमो को 70-80 दशक से केवल वोट चाहिए, जनता की जरूरत को कभी नहीं पूछा गया। उन्होंने कहा कि आजसू पार्टी में कार्य और कर्म की पूजा होती है, इसीलिए आजसू इनकमिंग और आउटगोइंग दोनों ही पार्टी है। इसके अलावा कांग्रेस, राजद के साथ अन्य पार्टियों का पहले चरण का चुनाव प्रचार चरम पर है। पार्टियों के स्टार प्रचारक धकाधक जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। आने वाले दिनों में इसमें और भी तेजी आएगी, लेकिन महत्वपूर्ण यह होगा कि जनता किसको अपना प्रतिनिधि चुनती है।