*उज्ज्वला योजना ने बनाया उर्मिला महली के जिंदगी को रोशन*
जामताड़ा जिले के दक्षिण बहाल पंचायत के बोधबांध गांव की उर्मिला महली अपने बच्चे और पति के साथ रहती है। उर्मिला दीदी रोज सुबह उठकर लकड़ी चुनने के लिए जंगल जाती थी। फिर बहुत मेहनत करने के बाद जंगल से लकड़ी और पत्तों को इकट्ठा कर घर लाती थी। घर आने के बाद रसोई के काम में लग जाती थी। लकड़ी व पत्तों से खाना बनाते समय धुआं की वजह से आंखों से आसूं आते थे। साथ ही कभी -कभी धुआं से घुटन भी होता था। बहुत मेहनत करने के बाद 3 घंटे में खाना बनकर तैयार होता था । फिर पूरे परिवार को खाना खिलाती थी । खाना खिलाने के बाद फिर से अगले दिन के लिए खाना बनाने के लिए सुबह लकड़ी चुनने के लिए जंगल की अोर निकल पड़ती थी। उर्मिला दीदी की पूरी जिंदगी जंगल, लकड़ी इकट्ठे करना,खाना बनाना और घर के काम में ही बीत जाता था। अपने बच्चे को भी समय नहीं दे पाती थी। बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा दिक्कत होती थी। लकड़ियां भिंगी हुई रहती थी । जिसकी वजह से जलाना और खाना बनाना मुश्किल हो जाता था। पर आज उर्मिला दीदी अपने परिवार के साथ बहुत खुश है, क्योंकि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत उर्मिला दीदी को गैस चूल्हा एवं सिलेंडर उपलब्ध करा दिया गया है। अब समय पर खाना बन जाता है और बचे हुए समय पर अपने बच्चे के साथ वक्त बिता पाती है। अब उन्हें रोज जंगल जाना नहीं पड़ता । लकड़ी खोजना नहीं पड़ता । पत्ते इकट्ठे नहीं करने पड़ते । उज्ज्वला योजना ने उर्मिला दीदी की जिंदगी को बहुत खूबसूरत बना दिया है।