बाजारवाद के युग में भी हैं ऐसे चिकित्सक
जय प्रकाश राय
विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ योजना कही जाने वाली आयुष्मान भारत योजना के एक साल पूरा होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यालय में 15 चयनित लाभुकों से मिलकर उनसे हाल जाना। इन लोगों में वैसे लोग शामिल थे जो कभी सोच नहीं सकते थे कि उनका इस तरह इलाज हो सकेगा वह भी बिना खर्च के। एक लाभ इस योजना का जरुर है कि गरीब लोगों के पहुंच अब वैसे अस्पतालों तक होने लगी है जिनके बारे में वे पहले कभी सोचते ही नहीं थे। कैसी विडंबना है कि देश की बहुत बड़ी आबादी पैसे के अभाव में इलाज नही ंकरा पाती। लोग अपने परिजनों को अपनी आंखों के सामने तिल तिल कर मरते देखने को विवश होते हैं। घर बार बेचकर भी वे इतना पैसा नहीं जुटा पाते जिससे कि वे अपने परिजन की जान बचा सकें। यही कारण है कि यह योजना पहले ही साल इतनी कामयाब मानी जा रही है। यह सही है कि शुरुआती दौर में इसे लागू करने को लेकर कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। कई अस्पताल इस योजना से जुड़ऩे में आनाकानी कर रहे थे। लेकिन समय के साथ साथ इस योजना से जुडऩे वाले अस्पतालों की संख्या बढने लगी है और इसका लाभ लोगों को मिल रहा है। ऐसी ही एक लाभुक है पूर्वी सिंहभूम जिला के बहरागोड़ा निवासी दासी कर्मकार । इस 60 वर्षीया महिला के पेट में एक बड़ा ट्यूमर था। वह कई सालों से इसे लेकर परेशान थी। कई जगह इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में तो ट्यूमर इतना बढ गया कि कोई अस्पताल इस मरीज को देखने तक को तैयार नहीं होता। सिविल सर्जन डॉ माहेश्वर प्रसाद के माध्यम से यह महिला गंगा मेमोरियल अस्पताल मानगो, जमशेदपुर पहुंची और डा नागेंद्र सिंह ने इस महिला का सफल आपरेशन कर इसकी जान बचाई। प्रधानमंत्री को इस महिला के पुत्र ने बताया कि किस तरह डा एन सिंह और सिविल सर्जन पूर्वी सिंहभूम डॉ महेश्वर प्रसाद ने भगवान बनकर उसकी मां की जान बचाई। यदि यह योजना नहीं होती तो वे शायद आज इस स्थिति में नहीं होते। वैसे डा एन सिंह को जानने वाले बताते हैं कि यदि यह महिला इस योजना के तहत उनके पास नहीं आती तो भी वे इसका इलाज करते। क्योंकि वे तो काफी पहले से ही गरीब मरीजों का इसी तरह नि:शुल्क इलाज करते रहे हैं। यह योजना तो साल भर पहले शुरु की गयी लेकिन डा सिंह विगत कई सालों से इसी तरह की सेवा प्रदान कर रहे हैं। यहां डा सिंह इसलिये भी प्रशंसा के पात्र हैं क्योंकि जब उनके पास यह महिला आई तो उसकी हालत अत्यंत खराब थी। पेट में 40 किलो का ट्यूमर निकालना उसकी जान पर संकट पैदा करने वाला था। कुछ दिन पहले ही कोलकाता में इलाज के दौरान एक मरीज की मौतके बाद वहां डाक्टर पर जानलेवा हमला हुआ था और पूरे देश के डाक्टरों में आक्रोश था। ऐसे में कोई ऐसे जटिल मामले को हाथ में लेने के लिये तैयार नही ंहो रहाथा। लेकिन डा सिंह ने यह जोखिम उठाया और महिला आज पूरी तरह स्वस्थ है। डा सिंह का कहना है कि जिस विश्वास के साथ परिजन उनके पास आये थे, उसके बाद वे उनको ना करने का सवाल ही नहीं था। सबसे बड़ी बात है कि मरीजों और उनके परिजनों को उनपर पूरा भरोसा था। जब डा सिंह ने परिजनों से कहा कि आपरेशन के दौरान जान भी जा सकती है तो उन्होंने कहा कि जो भी होगा आपके हाथ से ही होगा। कितने डाक्टर हैं जिनपर मरीज इतना भरोसा करते हैं? खासकर आज जब चिकित्सकों के साथ कई तरह की घटनाएं हो रहीहैं।
बहरागोड़ा निवासी दासी कर्मकार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय की ओर से आमंत्रण देकर दिल्ली बुलाया गया और फिर प्रधानमंत्री ने उनसे ओर उन जैसे और लोगों से मिलकर आयुष्मान योजना के लाभ के बारे में जानकारी ली। यह सही है कि सरकार के वश में नहीं है कि वह स्वास्थ सेवा को पूरी तरह अपने नियंत्रण में लेकर काम करे। जिस तरह शिक्षा में निजी संस्थानों की भूमिका काफी बढ गयी है उसी तरह स्वास्थ में भी निजी संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। जब बाजारबाद पूरी तरह हावी है और निजी अस्पताल मरीजों की पहुंच से काफी दूर हो गये हैं तोखासकर ऐसे अस्पतालों को जो सेवा भाव से इलाज करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों की इस मूल जरुरत को समझा है जो अच्छी बात है और इसका लाभ जाति, धर्म, सम्प्रदाय से परे लोगों को मिल रहा है।
लेखक चमकता आईना, जमशेदपुर के संपादक हैं