विपक्ष के राजनीति मे नेताओं का घोर अभावः—-
लोकसभा के चुनावी सभा में एवं वर्तमान में चल रहे संसद सत्र में किए गए अभद्र टिप्पणी से निकले बातों पर अपनी राय…..(कालीचरण सिहं… पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री भाजपा किसान मोर्चा)…..
लोकसभा चुनाव 2 माह पूर्व बीता है। इस चुनाव में उन नेताओं ने अपनी मुंह से इतने भोडे शब्दों का प्रयोग एक दूसरे के लिए किया जिसका जितना निंदा किया जाए वह बहुत कम ही है । कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने हर चुनावी सभा में प्रधानमंत्री को चोर -चोर का नारा लगाया ,उसी पार्टी से दो दशक पूर्व निकली ममता बनर्जी ने चुनावी सभा में यहां तक कह दिया कि अगर मेरी सरकार बनती है तो वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को मुकदमा चलाकर जेल में डाल दूंगी ,क्योंकि इस देश को इन्होंने लूटा है । आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी नायडू पीछे नहीं रहे मायावती जो जाति का प्रयोग कर कम लांछन नहीं लगाया, तेजस्वी उससे भी दो कदम बढ़कर नीतीश कुमार जी को हर चुनावी सभा में पलटू चाचा- पलटू चाचा कह कर अपमानित किया। इस तरह विपक्षी पार्टी के सभी क्षत्रप आगे निकलने की होड़ में अपने को दिखाने का भरपूर कोशिश किया । भारत की जनता लोकतंत्र में पूरा विश्वास करती है, और अपने हित और अनहित की सारी बातों को बड़े ध्यान से समझती है।
इसका उदाहरण चुनाव के मतगणना के समय ही आ गया , जनता विपक्ष के नेताओं के द्वारा जो अनर्गल आरोप लगा रहे थे ,वर्तमान सत्ता पर उसे नकारते हुए वर्तमान सत्ता को पहले से ज्यादा अपना मत देकर ज्यादा बहुमत दिया ,इसके बाद भी जितने क्षत्रप थे जो चुनावी सभा में अपशब्दों का ज्यादा प्रयोग कर रहे थे वह कुछ सीखने को तैयार नहीं है इसका जीता जागता उदाहरण वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में सदन में नेता के रूप में अधिक कुमार चौधरी जिन्होंने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस करते हुए अपनी सारी हदें पार कर प्रधानमंत्री पर अभद्र टिप्पणी किया जो भारत के लोकतंत्र के इतिहास में इस तरह की घटना अक्षम्य अपराध है । इससे स्पष्ट होता है कि विपक्ष पार्टियों में खासकर अनुभवी लोगों का घोर अभाव होता जा रहा है ।सीख लेने को कोई तैयार नहीं है । लोकसभा के अंतिम सत्र में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव जी के वक्तव्य पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और उचित भी नहीं समझा कि वे वोल किया रहे हैं,जो उनके भी पार्टी के थे उन लोगों ने भी उन्हें मजाक समझा । उन्होंने यह कहा कि वर्तमान भारत के प्रधानमंत्री का नारा सबका साथ सबका विकास अगर है तो सब को साथ लेने के चलने की उनमें व्यवहार दिखता है मैं कई बार उनसे कार्य के लिए मिला बड़ा ही सम्मान पूर्वक उन्होंने तुरंत उस कार्य को किया इसका अर्थ यह है कि सबका साथ लेने की उनका यह जो विचार है स्पष्ट है इसलिए मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि पुनः प्रधानमंत्री मोदी जी बने।जब यह कह रहे थे मुलायम सिंह जी तब विपक्षी दलों के लोग उन्हें मजाक में ले रहे थे ।
150 वर्ष पुरानी कांग्रेस पार्टी समझने को तैयार नहीं है ,जबकि देश, की जनता ने उन्हें पहली कतार में बैठने के लायक भी नहीं रहने दिया .राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट है अमेठी वहां से भी हार का मुंह देखना पड़ा ।
1945 का एक घटना है–आर एस एस के सरसंघचालक गोलवलकर जी के आमंत्रण पर संघ के कार्यक्रम में महात्मा गांधी पहुंचे, वहां उन्होंने देखा कि सैकड़ों की संख्या में नौजवान प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने गुरु जी से पूछा यह बच्चे क्या कर रहे हैं ? गुरु जी ने उन्हें बताया यह नन्हे पौधे को मैं प्रशिक्षित कर रहा हूं जब देश आजाद होगा उनके कंधों पर देश की जिम्मेवारी होगी अभी से इनको समझने और जानने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है ,।महात्मा गांधी ने जब वहां आए एक जनसभा में कहा भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा संगठन है जो अभी से राजनेता तैयार कर रहा है जब देश आजाद होगा उनकी भागीदारी देश के लिए होगा ।कांग्रेस को भी उन्होंने इस तरह के कार्य करने की नसीहत दी और इस कार्य को प्रारंभ किया परंतु देश जब आजाद हुआ तो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने टॉप डाउन मॉडल को जन्म देकर बड़े नेताओं को किनारे किया उसी समय कांग्रेसमें आलाकमान की संस्कृति चल पड़ी जिसका दंश आज कांग्रेस झेल रहा है पार्टी गांधी परिवार पर इतना आश्रित हो गया कि राहुल के त्यागपत्र के बाद अधिकतर नेता राहुल को ही अध्यक्ष पद पर देखना चाहते हैं।
गांधी के तर्ज पर 70 के दशक में जयप्रकाश नारायण जी ने नए लोगों को नए पौधे के रूप में संरक्षित कर तैयारी शुरू किया पर इमरजेंसी लाकर श्रीमती गांधी ने इसे कुचलने का भरपूर प्रयास किया आज भी देश के कई राज्यों के क्षत्रप उनके द्वारा लगाए गए पौधे के रूप में राजनीतिक क्षेत्र में सितारे की तरह है ।
2011- 12 में उसी कड़ी में अन्ना हजारे ने तीसरी बार नए लोगों को लाकर वैकल्पिक राजनीति का नया मॉडल देने का प्रयास किया लेकिन अरविंद केजरीवाल जैसे अति महत्वाकांक्षी लोगों के हाथों समाप्त हो गई कई राजनेता नष्ट हो गए ।
वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के हाथों या नेतृत्व में नव राजनीत एवं नव राजनीतिज्ञों की पौधा तलाश कर तराशा जा रहा है और नेताओं को कतार में डाला जा रहा है ।
वर्तमान मे कुछ मंत्री दूसरे क्षेत्रों में सफल रहे ,उन्हें भी ला कर दायित्व युक्त बना कर देश को लाभ दिया जा रहा है । ऐसे भारतीय जनता पार्टी में आर एस एस से प्रशिक्षित कार्यकर्ता हमेशा मिल रहे हैं 1951 से ही जनसंघ को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ,नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेई ,भाई महावीर ,सुंदर सिंह भंडारी ,कुशाभाऊ ठाकरे जैसे प्रशिक्षित स्वयं सेवक जनसंघ को दिए गए।
पार्टी का अर्थ एक विचारधारा के आसपास निष्ठावान लोगों का संगठन जो जनता से संवाद और स्वभाव का माध्यम बने परंतु आज अधिकतर पार्टियों में अपने कर्म केवल चुनाव को ही मानती है ।सर्वविदित है सांसद और विधायक के द्वारा जिस प्रकार अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाताओं को उपेक्षित किया जाता है, यह किसी से छुपा नहीं है ।जब की राजनीति तो चुनाव जीते तो पार्टी का एजेंडा लागू करवाने का प्रयास करना ,और हारे तो सरकार और प्रशासन पर दबाव बनाकर सरकारी योजनाओं को जनता के हित में लागू करवाना होता है। इ
इसका उदाहरण……
श्रीमती स्मृति ईरानी केंद्रीय मंत्री जो 2014 में अमेठी से चुनाव हार जाने के बाद भी अमेठी को कभी नहीं छोड़ा, अमेठी की जनता के साथ हमेशा खड़ी दिखाई दी, उसका परिणाम 2019 में कांग्रेस की परंपरागत सीट से उस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हारना है ।आज भारत के नवनिर्माण में सभी राजनीतिक पार्टियों मैं अच्छे लोगों को जगह मिलनी चाहिए ,चाहे वह किसी भी क्षेत्र से आ रहे हो, तभी नए सोच से बदलाव की संभावना होगी और योग्य नेताओं का अभाव नहीं रहेगा सबसे आवश्यक कार्य विपक्षी पार्टियों में यही है नहीं तो निकट भविष्य में देश में विपक्ष पार्टी नहीं रह जाएगी।