11 मार्च 1783 के उस गौरवमयी कालखंड दिवस का यह महत्त्व है कि मुगल बादशाह शाह आलम की सेना को पराजित कर सिखों ने दिल्ली पर राज किया था और लाल किला पर केसरिया खालसा ध्वज फहराया था।
सिख जरनैल जस्सा सिंह रामगढ़िया, जरनैल जस्सा सिंह अहलूवालिया, जरनैल बघेल सिंह, जरनैल तारा सिंह घोबा और जरनैल महा सिंह सुकरचकिया ने शाह आलम की सेना को हराया था।
दिल्ली के तीस हजारी , 25 हजारी, पांच हजारी, मोरी गेट लाल किला का इतिहास पढ़िए सब पता लग जाएगा।
5 महीने तक सिखों ने राज किया और जब बादशाह शाह आलम की बेगम ने उन्हें भाई बता दिया तो वे वापस पंजाब को चले गए।
लेकिन जाते-जाते उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी का शहादत स्थल दिल्ली शीशगंज, संस्कार स्थल गुरुद्वारा रकाब गंज, राजा जयसिंह का महल जिसमें छठे गुरु श्री हरकृष्ण जी महाराज ठहरे थे, जैसे तेरह ऐतिहासिक स्थल के पट्टे सिख गुरुद्वारा के नाम लिखवाए।
गुरुद्वारा बंगला साहिब की जमीन पर ही बात में अंग्रेजों ने राष्ट्रपति भवन संसद भवन प्रधानमंत्री एवं अन्य पदाधिकारियों के आवास बनवाए। जिसके बदले में जमीन पहले पाकिस्तान पंजाब के लायलपुर में दी गई और देश के बटवारा के बाद वह जमीन हरियाणा में मिली है