नई दिल्ली: सीएए का विरोध भारत में कई स्थानों पर हो रहा है, लेकिन अब दूसरे देश में इसमें दखल देने की कोशिश करने लगे हैं. यूरोपीय संघ की संसद में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पेश हुआ है. अब इस पर 29 जनवरी को बहस होगी और 30 जनवरी को वोटिंग भी. भारत ने इस कवायद का विरोध करते हुए कहा है कि सीएए भारत आंतरिक मामला है और उसे इससे दूर रहना चाहिए.यूरोपीयन पार्लियामेंट के सांसदों का कहना है कि भारत के नागरिकता कानून में खतरनाक बदलाव किए गए हैं. वहीं भारत का कहना है कि यूरोपीयन संसद को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए, जो लोकतांत्रिक रूप से चुने गए सांसदों के अधिकारों एवं प्रभुत्व पर सवाल खड़े करे.भारत का कहना है कि सीएए कानून संसद के दोनों सदनों में बहस के बाद लोकतांत्रिक तरीके से पारित हुआ है. हमें उम्मीद है कि यूरोपीयन संसद में प्रस्ताव लाने वाले और इसका समर्थन करने वाले आगे बढऩे से पहले एक बार फिर विचार करेंगे और हमसे संपर्क करेंगे, ताकि उन्हें तथ्यों की पूर्ण और सटीक जानकारी मिल सके.यूरोपीयन संसद में इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट समूह ने प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र, मानव अधिकार की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के आर्टिकल 15 का जिक्र किया गया है. इसके अलावा नवंबर 2005 में हस्ताक्षर किए गए भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी संयुक्त कार्य योजना और मानव अधिकारों पर यूरोपीय संघ-भारत विषय पर संवाद का उल्लेख भी किया गया है.इसमें भारत से अपील की गई है कि वह ्र सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ वार्ता करें और भेदभावपूर्ण नियम को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार करे. प्रस्ताव में कहा गया है, सीएए भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा. इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट विश्व में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है.