नई दिल्ली: कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 1 जनवरी बुधवार को कहा कि संसद द्वारा पारित कानूनों को लागू करना राज्य सरकारों का संवैधानिक कर्तव्य है. प्रसाद ने कहा कि जो राज्य यह कहते हैं कि वे संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करेंगे, उन्हें ऐसे निर्णय करने से पहले उचित विधिक राय लेनी चाहिए. प्रसाद ने यहां संवाददाताओं से कहा, संसद द्वारा पारित कानूनों को लागू करना राज्यों का एक संवैधानिक कर्तव्य है.संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) रद्द करने की मांग करते हुए केरल विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किये जाने के कुछ ही घंटों बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जोर देते हुए कहा कि यह कानून पूरे देश पर बाध्यकारी है और यह पूरी तरह से कानूनी एवं संवैधानिक है.प्रसाद ने कहा कि सातवीं अनुसूची के तहत आने वाले विषयों के बारे में कानून पारित करने की शक्तियां सिर्फ संसद के पास है और यह (शक्ति) किसी विधानसभा के पास नहीं है. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, यह सिर्फ संसद है, जिसे नागरिकता पर कोई कानून पारित करने की शक्तियां प्राप्त हैं, केरल विधानसभा सहित किसी (अन्य) विधानसभा को नहीं. केरल विधानसभा के प्रस्ताव पारित करने पर प्रसाद ने राज्य सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को बेहतर कानूनी सलाह लेनी चाहिए. उन्होंने कहा, यह कानून पूरे देश पर बाध्यकारी है. सीएए किसी भारतीय मुसलमान से संबद्ध नहीं है, इसका किसी भारतीय नागरिक से कोई लेना देना नहीं है.यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार सीएए पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए तैयार है, उन्होंने कहा कि इस पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा हो चुकी है.उन्होंने कहा, हम लोकतंत्र का सम्मान करते हैं और असहमति के अधिकार का सम्मान करते हैं. हर किसी को प्रधानमंत्री या गृह मंत्री की आलोचना करने का अधिकार है. उन्होंने कहा, लेकिन टुकड़े-टुकड़े गैंग भारत को तोडऩा चाहता है, जो हम नहीं करने देंगे. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्म्द खान से हाल ही में की गई बदसलूकी की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि तथाकथित प्रख्यात लोग मंच पर उन्हें (राज्यपाल को) धकेलते देखे गए. खान के खिलाफ कन्नूर में एक कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शन हुए थे. प्रसाद ने कहा कि इस सलूक को उचित नहीं ठहराया जा सकता.