सात चरणों में होंगे लोकसभा चुनाव, 23 मई को आएंगे नतीजे
देश में 543 लोकसभा सीटें, पांच राज्यों के दायरे में 249 सीटें
सीटों की संख्या और राजनीतिक दृष्टि से अहम हैं ये पांच राज्य
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का असर पूरे देश की राजनीति पर
एक लंबे इंतजार के बाद रविवार को लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखें तय हो गईं। इस बार देश में सात चरणों में मतदान हो रहे हैं। 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23 अप्रैल, 29 अप्रैल, 6 मई, 12 मई और 19 मई, इन सातों चरण के मतदान के बाद 23 मई को मतगणना होगी और देश में नई सरकार तय हो जाएगी।
देश की सभी 543 सीटों पर हार-जीत अहम होती है, लेकिन पांच ऐसे राज्य हैं, जहां के चुनाव परिणाम देश का ताज-ओ-तख्त तय करते हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्य शामिल है। 249 लोकसभा सीटें कवर करने वाले ये राज्य लोकसभा सीटों की संख्या की दृष्टि से भी अहम हैं और राजनीतिक दृष्टि से भी।
आइए जानतें हैं लोकसभा चुनाव में इन पांच राज्यों की भूमिका कैसे महत्वपूर्ण है और कैसे इन राज्यों का जनादेश देश का भविष्य तय करेगा!
उत्तर प्रदेश: दिल्ली की गद्दी का रास्ता यहां से होकर जाता है
सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश पर हर राजनीतिक दल की नजर रहती है। कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच एनडीए ने शानदार जीत दर्ज की थी। 80 में से 71 सीटें भाजपा ने जीती थी। सपा ने 5 सीटें, जबकि बसपा जैसी बड़ी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया था।
इस बार यहां का समीकरण बिल्कुल ही अलग है। एनडीए के विरोध में 10 मार्च तक की स्थिति के अनुसार कांग्रेस अलग लड़ रही है, जबकि सपा और बसपा ने यहां हाथ मिला लिया है, राष्ट्रीय लोक दल भी उसके साथ है। सपा यहां 37 सीटों पर बसपा 38 सीटों पर और रालोद यहां तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
अमेठी और रायबरेली सीटें इस गठबंधन ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए छोड़ दी है और इसी आधार पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव सार्वजनिक मंचों से कहते फिर रहे हैं कि इस महागठबंधन में कांग्रेस भी उनके साथ है। भाजपा के लिए यहां मुश्किलें खड़ी हो सकती है, हालांकि विपक्ष का स्पष्ट तौर पर एकजुट न होना भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है।