15 सितम्बर को वैशाली, रोहतास, सारण, भोजपुर, गोपालगंज, बेगूसराय, सुपौल, पटना, कैमूर और अररिया में बिजली गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई. सबसे अधिक मौत वैशाली जिले के राघोपुर में हुई है. राघोपुर पूर्वी पंचायत में ठनका की चपेट में आकर चार लोगों की मौत हुई. रोहतास के खुर्माबाद में दो किसानों की मौत ठनका गिरने से हुई. वहीं, एक व्यक्ति की मौत काराकाट में हुई.
सारण जिले के पानापुर में बिजली गिरने से दो बच्चियों की मौत हो गई. भोजपुर जिले के उदवंत नगर में दो लोगों की मौत हुई. मृतकों में एक छात्रा शामिल है. वह कॉलेज से घर लौट रही थी तभी उस पर बिजली गिर गई. गोपालगंज के भोरे में ठनका गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई. बेगूसराय जिले के डंडारी थाना क्षेत्र में ठनका गिरने से एक महिला की मौत हो गई. वहीं, अररिया जिले के फारबिसगंज प्रखंड के पुरवारी झिरवा में वज्रपात की चपेट में आने से मो. सदरूल की मौत हो गई. सुपौल जिले के बसंतपुर प्रखंड के कोचगामा में ठनका गिरने से 37 साल के मोहम्मद नासिर की मौत हो गई. कैमूर जिले के चैनपुर के लोहरा गांव में ठनका गिरने से एक किशोर की मौत हो गई. पटना जिले के पालीगंज में ठनका गिरने से एक व्यक्ति कि मौत हो गई.
मौसम विभाग ने जारी किया बिजली गिरने का अलर्ट
मौसम विभाग ने बिहार के कई जिलों में भारी बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है. विभाग ने कहा है कि अगले छह घंटे तक उत्तर बिहार में भारी बारिश की संभावना है. विभाग ने लोगों से इस दौरान ऐहतियात बरतने की अपील की है. विभाग ने रोहतास, कैमूर, शेखपुरा, नवादा, सारण और बक्सर में बिजली गिरने की संभावना जताई है. विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी से हवा नमी लेकर उत्तर बिहार की ओर बढ़ रही है, जिसके चलते उत्तर बिहार में भारी बारिश हो सकती है. आपदा प्रबंधन विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है.
औसतन 300 मौतें हर साल, जानकारी के अभाव में मौत का औसत पार
बिहार में औसतन हर साल 300 मौतों बिजली गिरने के कारण होती रही है, लेकिन इस साल यह आंकड़ा इस औसत को पार कर चुका है. बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग की बैठकों में सलाह के लिए बुलाए जाने वाले वज्रपात सुरक्षित भारत अभियान के संयोजक कर्नल संजय श्रीवास्तव के अनुसार आकाशीय बिजली से बचने के उपायों की जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच रही है, जिसके कारण शहरों की अपेक्षा बिहार की ग्रामीण आबादी इसकी शिकार ज्यादा हो रही है. शहरों में ज्यादातर भवनों पर तडि़त रोधक (लाइटनिंग अरेस्टर) और तडि़त चालक (लाइटनिंग कंडक्टर) लगे रहते हैं, इसलिए वह बिजली को खींचकर अर्थिंग के जरिए जमीन तक भेज देते हैं, जबकि गांवों में खुले खेतों में पड़े लोहे-तांबे के सामान, जलस्रोत, ऊंचे पेड़ आकाशीय बिजली को आकर्षित कर लेते हैं. इसके आसपास रहे लोगों की आकाशीय बिजली के करंट या तेज आवाज से धड़कन रुक जाती है या जलकर मौत हो जाती है.
बचना है तो क्या करें, न करें…यह जान लीजिए
– खुले में हैं तो किसी पक्के मकान तक पहुंच सकते हैं तो पहुंचें
– खुले में ही हैं तो दोनों पैर सटा चुक्कू-मुक्कू बैठ कान बंद कर लें
– लोहे के खंभों, ऊंचे पेड़ों, तालाब-जलाशय आदि से खुद को दूर करें
– सूखी लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते पर खड़े हो सकते हैं
– जिन चीजों में करंट आ सकता है, उन्हें तुरंत अपने से दूर कर दें
– समूह में सटकर खड़े न हों, दूरी बनाकर रहें और जमीन पर न सोएं
– घर में हों तो नल, फ्रिज या ऐसे करंट वाले उपकरणों को नहीं छुएं
स्थायी उपाय भी कर सकते हैं
आकाशीय बिजली से बचाने के लिए बिहार में कुछ संस्थाएं नो प्रॉफिट, नो लॉस पर लाइटनिंग अरेस्टर और लाइटनिंग कंडक्टर भी उपलब्ध करा रही हैं. लाइटनिंग कंडक्टर 54 हजार रुपए में मिल रहा है. यह जिस ऊंचाई पर लगाया जाता है, उससे 45 डिग्री की छाया में वज्रपात को रोकता है. यानी, खेत में 40 फीट ऊंचाई पर इसे लगा दें तो उस जगह से 45 डिग्री का कोण बनाने पर जितनी परिधि होगी, उतनी दूर तक बिजली नहीं गिरेगी. लाइटनिंग अरेस्टर इससे करीब तीन गुणा कीमत पर 1.42 लाख रुपए में उपलब्ध है. यह जहां लगाया जाता है, उसके 1.4 वर्ग किमी के दायरे के आकाश में बिजली बननी शुरू होते ही उसे खींचकर जमीन में डाल देता है. मतलब, यह 1.4 वर्ग किमी के दायरे में बिजली से बचाने वाला छाता है. बिजली न गिरेगी और न आवाज होगी.