नयी दिल्ली: न्यूजीलैंड की दो मस्जिद में शुक्रवार को हुए आतंकी हमले में करीब 9 भारतीय अथवा भारतीय समुदाय के नागरिकों के लापता होने की खबर है. न्यूजीलैंड में भारतीय उच्चायुक्त संजीव कोहनी ने अलग-अलग सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी ट्विटर पर दी. इस गोलीबारी में कम-से-कम 49 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इस घटना के बाद अधिकारियों ने एक व्यक्ति पर आरोप लगाया है और तीन अन्य को हिरासत में ले लिया गया. एक विस्फोटक का समय रहते पता लगा लिया गया. ऐसा लग रहा है कि इस नस्लीय हमले की योजना बहुत सावधानीपूर्वक तैयार की गई थी.प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने इसे ”हिंसा की एक असाधारण और अभूतपूर्व” घटना बताते हुये स्वीकार किया कि इसमें प्रभावित लोग या तो प्रवासी हैं या फिर शरणार्थी हैं. मृतकों की संख्या बताते हुये उन्होंने कहा कि 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. उन्होंने कहा, ”यह स्पष्ट है कि इसे अब केवल आतंकवादी हमला ही करार दिया जा सकता है. हम जितना जानते हैं, ऐसा लगता है कि यह पूर्व नियोजित था.”पुलिस ने गोलीबारी के बाद तीन पुरुषों और एक महिला को हिरासत में ले लिया. इनमें से एक व्यक्ति पर बाद में हत्याओं का आरोप लगाया गया. इस घटना से देश की 50 लाख की आबादी में शोक की लहर है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस घटना में और हमलावर शामिल हो सकते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर को दूसरे सर्वोच्च स्तर तक ले जाया गया है.अधिकारियों ने यह तो स्पष्ट नहीं किया कि किसको हिरासत में लिया गया है पर यह कहा कि इनमें से कोई भी व्यक्ति निगरानी सूची में नहीं है. एक व्यक्ति जिसने गोलीबारी की जिम्मेदारी ली है उसने शरणार्थी विरोधी 74 पृष्ठों का एक दस्तावेज छोड़ा है जिसमें उसने व्याख्या करते हुये कहा है कि वह कौन है और इस हमले की वजह क्या है. उसने कहा कि वह एक 28 साल का श्वेत आस्ट्रेलियाई है और नस्लवादी है.ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने पुष्टि की है कि हिरासत में लिए गए चार लोगों में से एक आस्ट्रेलिया में जन्मा नागरिक है. पुलिस आयुक्त माइक बुश ने शुक्रवार रात कहा कि एक व्यक्ति पर हत्या का आरोप लगाया गया है. उन्होंने तीन अन्य संदिग्धों के बारे में नहीं बताया और यह भी नहीं कहा कि क्या दोनों जगहों पर हुये हमलों के लिए वही जिम्मेदार था.अर्डर्न ने संवाददाता सम्मेलन में संभावित वजह के रूप में शरणार्थी विरोधी भावनाओें का हवाला देते हुये कहा कि गोलीबारी से प्रभावित हुये अधिकांश लोग या तो प्रवासी हैं या फिर शरणार्थीं है. उन्होंने न्यूजीलैंड को अपना घर चुना और यह उनका घर है. प्रधानमंत्री ने कहा कि वे हमारे हैं. जहां तक संदिग्धों का प्रश्न है वे ऐसे लोग हैं जिनके विचारों की व्याख्या अतिवादी विचारों के तौर पर की जाएगी, जिसका न्यूजीलैंड में कोई स्थान नहीं है.बुश ने बताया कि पुलिस ने कार में दो देसी विस्फोटकों का पता लगा लिया. इसे पहले कहा गया था कि कई वाहनों में इन्हें लगाया गया है. मध्य क्राइस्टचर्च में मस्जिद अल नूर में दोपहर एक बजकर 45 मिनट पर हुई गोलीबारी में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई.चश्मदीद लेन पेनेहा ने बताया कि उन्होंने एक व्यक्ति को काले कपड़े पहने मस्जिद में घुसते देखा और उसके बाद दर्जनों गोलियों के चलने की आवाजें सुनाई दीं. इससे घबराये हुये लोग मस्जिद में इधर उधर भागने लगे. इसके बाद वह वहां से भागा और इस दौरान उसके हाथ से कुछ गिर गया जो शायद उसका स्वचालित हथियार था. तब वह मस्जिद की तरफ लोगों की मदद करने के लिए दौड़ पड़े.हमलावर ने संभवत: एक लाइवस्ट्रीम वीडियो भी बनाया जिसमें इस भयावह कांड की वीभत्सता को दर्ज किया गया है. बंदूकधारी मस्जिद में करीब दो मिनट रहा और वहां मौजूद नमाजियों पर बार बार गोलियां दागीं. यहां तक कि उसने पहले ही दम तोड़ चुके लोगों पर भी ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं. वहां से वह सड़क पर निकला और पैदल चल रहे लोगों पर गोलियां बरसाईं. फिर वह वापस मस्जिद में गया और करीब दो दर्जन से अधिक लोग जमीन पर पड़े थे. वहां से फिर वह वापस आया और एक महिला को गोली मार दी और अपनी कार में आकर बैठ गया. उसकी कार में इंग्लिश रॉक बैंड ”द क्रेजी वर्ल्ड ऑफ आर्थर ब्राउन” का ”फायर” गीत बज रहा था. गीत में गायक गा रहा था, ”आई एम द गॉड ऑफ हेलफॉयर (मैं नर्क की अग्नि का देवता हूं.)” इसके बाद बंदूकधारी वहां से चला जाता है और वीडियो बंद हो जाता है.इसके अलावा एक दूसरे हमले में मस्जिद लिनवुड में हुई गोलीबारी में दस लोगों की मौत हो गई. जिस आदमी ने हमले की जिम्मेदारी ली है उसने कहा कि वह न्यूजीलैंड केवल इसलिए आया ताकि वह हमले की योजना तैयार कर सके और प्रशिक्षण दे सके. उसने कहा कि वह किसी संगठन का सदस्य नहीं है, लेकिन उसका कई राष्ट्रवादी समूहों के साथ संबंध है.पुलिस आयुक्त ने कहा कि क्राइस्टचर्च और लिनवुड को निशाना बनाया गया और अगर वह हमलावर वहां पहुंच जाता तो एक तीसरी मस्जिद एश्बर्टन को भी निशाना बनाया जा सकता था. उसने कहा कि उसने न्यूजीलैंड को इसलिए चुना क्योंकि वह यह बताना चाहता था कि संसार का यह दूरदराज वाला क्षेत्र भी ”बड़े प्रवास” के लिए सुरक्षित नहीं हैं. न्यूजीलैंड को सामान्य तौर पर शरणार्थी और प्रवासी लोगों का स्वागत करने वाला देश माना जाता है. पिछले साल प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि शरणार्थिओं का सालाना कोटा साल 2020 में एक हजार से बढ़ाकर डेढ़ हजार किया जायेगा.