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    Home » कितना बड़ा है ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
    अन्तर्राष्ट्रीय संवाद विशेष

    कितना बड़ा है ग्लोबल वार्मिंग का खतरा

    Devanand SinghBy Devanand SinghMay 10, 2019No Comments2 Mins Read
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    आसान शब्दों में समझें तो ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और इसके कारण मौसम में होने वाले परिवर्तन पृथ्वी के तापमान में हो रही इस वृद्धि (जिसे 100 सालों के औसत तापमान पर 10 फारेनहाईट आँका गया है) के परिणाम स्वरूप बारिश के तरीकों में बदलाव, हिमखण्डों और ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और वनस्पति तथा जन्तु जगत पर प्रभावों के रूप के सामने आ सकते हैं.ग्लोबल वार्मिंग दुनिया की कितनी बड़ी समस्या है, यह बात एक आम आदमी समझ नहीं पाता है. उसे ये शब्द थोड़ा टेक्निकल लगता है. इसलिये वह इसकी तह तक नहीं जाता है. लिहाजा इसे एक वैज्ञानिक परिभाषा मानकर छोड़ दिया जाता है. ज्यादातर लोगों को लगता है कि फिलहाल संसार को इससे कोई खतरा नहीं है.

    घातक परिणाम

    ग्रीन हाउस गैस वो गैस होती है जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहाँ का तापमान बढ़ाने में कारक बनती हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन अगर इसी प्रकार चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे. दुनिया के कई हिस्सों में बिछी बर्फ की चादरें पिघल जाएँगी, समुद्र का जल स्तर कई फीट ऊपर तक बढ़ जाएगा. समुद्र के इस बर्ताव से दुनिया के कई हिस्से जलमग्न हो जाएँगे, भारी तबाही मचेगी. यह तबाही किसी विश्वयुद्ध या किसी ‘ऐस्टेराॅइड’ के पृथ्वी से टकराने के बाद होने वाली तबाही से भी बढ़कर होगी. हमारे ग्रह पृथ्वी के लिये भी यह स्थिति बहुत हानिकारक होगी.

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